''तुमने महान तप किया है, तुम इन्द्र आदि सभी देवत ाओं के
गुरू होओगे तथा सभी ग्रहों में पूज्य होओगे और 'ब ृहस्पति' नाम
से पुकारे जाओगे। तुम बड़े वक्ता और विद्वान होओगे,
तुम्हारी या तुम्हारे द्वारा जो मेरी अर्चना कर ेगा,
Закрыть बनेगा।''
तदनन्तर बृहस्पति को देवताओं का आचार्य पद प्रा प्त हुआ और वे समस्त लोकों के सर्वाच्च पद पर आसी न हुये। धन बल, राज्य बल से भी अधिक श्रेष्ठ ज्ञान बल है। इस ज्ञान को समस्त शास्त्रों के ज्ञान को आध्या Закрыть त्र पूजा होती है। विदनीय होते हैं।
वर्ष 2080 जो कि पुरूषोत्तम मास युक्त है इस वर्ष म ें श्रावण मास दो माह तक क्रियाशील रहेगा। अतः 29 जून से 23 नवम्बर तक चार्तुमास पूर्णरूप से साधनात्मक रूप में चेतन्य व सक्रिय रहेगा। वैसे तो चार माह का ही चार्तुमास होता है परन्तु इसी चार्तुमास में एक माह अधिक होने के फलस्वरूप चार्तुमास पंच माह से सरोबार होगा।
इन पंच माह के चार्तुमास में सभी ग्रहों के अधिप ति जो की देवगुरू बृहस्पति है। उनकी अभ्यर्थना आराधना शिव परिवार स्वरूप में क रने से गृहस्थ भौतिक पारिवारिक उन्नति के साथ-सा थ चारों ही स्वरूपों में आध्यात्मिक सिद्धता से युक्त होकर जीवन सर्व सुखोंमय मोक्षदा युक्त निर ्मित हो सकेगा।
29 जून से 03 जुलाई के मध्य पंच दिवसों में अथवा 20 नवम् बर से 24 часа ि प्राप्ति दीक्षा ग्रहण कर अगले पंच माह में जो भ ी पूजा, अर्चना, मंत्र, जप, हवन यज्ञ सम्पन्न करने पर उसका कोटी गुना सुफल प्राप्त हो सकेगा। इसी के प्रभाव से गुरू वृहस्पतिमय सुश्रेष्ठता यें भी आ सकेगी।
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