जीवन धारण के ऊ ऊर्जा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है औा एकमात्र सूर्य ही ऐसे देव हैं, जिनसे समस्त प्राणियों, पेड़-पौधों, वनस्पतियों को ऊर्जा प्राप्त होती।।।।।।।।।।।। सूर्य ही समस्त चराचर जगत में ऊष्मा का संचार क। त। त। सूर्य की चेतना आत्मसात करने से व्यक्तित्व में स्वतः ही परिवर्तन आने लगता है और अन्दर एक अडिगता तथा दृढ़ संकल्प जैसे गुणों का समावेश होने लगता है जिससे व्यक्तित्व में सम्मोहन वशीकरण के गुणों का विस्तार होता है और एक अद्वितीय तेजस्विता साधक के देह में समाहित होकर समस्त विषम प выполнительный
प्रत्येक सांसारिक व्यक्ति को आज के में अनेक प्रकार व के क स के में अनेक पшить व के क कXNUMX ऐसी प प में व व्यक्ति तनावग्रस्त, विचलित, परेशान हो ज जाता है औ अपने लक लक लक व क पीड़ असफलत हीनत हीनत हीनत हीनत हीनत हीनत हीनत जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवनхов जीवन जीवन जीवनхов जीवन जीवन जीवनхов जीवन जीवन.
अतः में अनुकूल स्थितियां निा कXNUMX जिससे व्यक्ति अपने आकर्षण शक्ति में सभी को बांध करीत पा प व व को ब अपने क बन बनाक प पXNUMX
साथ ही हमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सम्मोहन वशीकरण की चेतना की आवश्यकता होती है, जिससे हमारा कोई भी कार्य रूके नहीं, चाहे राजकीय कार्य, शासकीय कार्य, प्रशासनिक कार्य, सामाजिक कार्य, पारिवारिक कार्य क्षेत्र, नौकरी अथवा कहीं पर किसी भी कार्य में हमारे समक्ष रूकावटें ना आये। इस सू सूर्य देव की चेतना से युक्त होकर अपने अनшить सम्मोहन वशीक वशीक के गुणों को समाहित कर व्यक्ति जीवन सुख सुख सौभ गुणों समृद समृद्द सौनпере आक क क chy, ऊ्द सौनпере आक ऊ्द выполни आक आक chyfrote जिससे रस, आनन्द, प्रेम, भोग, प्ा युक्त जीवन निर्मित होगा।
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