शंकराचार्य के चारों पीठों में आदिक| हयग्रीव, अगस्त्य, दत्तात्रेय, दुर्वाशा, पा दत आदि ने शшить
श्री विद्या एकमात्र विद्या है, जिसके नौ स्वरूपों में ही समस्त कामनाओं की पूर्ति का मंत्र निहित।।।।।।।।। है सर्व प्रथम तनावमुक्त जीवन, प्रत्येक मनोकामना की पूर्ति, जीवन के रोग-शोक का शमन, शत्रु बाधा से मुक्ति, राज्य पक्ष से अनुकूलता एवं सम्मान, जीवन में पूर्ण भाग्योदय, आर्थिक सुदृढ़ता प्रत्येक अनिष्ट का शमन, पूर्ण गृहस्थ सुख एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व भौतिक रूप से मानव जीवन की प्रथम आवश्यकता है। श्री विद्या पूा ew
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