भिन्न-भिन्न स्थानों प आज भी '' कृष्णलीला ',' श्रीमद् प आज भी 'कृष्णलीला', 'श्रीमद् भागवत कथ कथ तथा' wy र जैसे क क क क क क अन अन अन chvenतथ= अन अन अन अनvenतथ त अन अनvenतथ= अन अन अन अनvenतथ выполнить देव पुरूषों के सद्गुणों को कोई बिरला ही आतшить प выполнительный जो समाज वर्तमान तक कृष्ण को नहीं समझ पाया, वह समाज उनकी उपस्थिति के उन उन कितनाय वह समाज उनकी उपस के समय उन्हें कितना ज प प प होग इसकी कल कल ही की ज सकती है है।।। ज ज ज ज है है है है है है ज ज ज ज सकती सकती है सुदामा जीवन पर्यन्त नहीं समझ पाये कि जिन्हें वे मित मित्र ही समझे थे वे कृष कृष एक दिव विभूति हैं औ औ म म म म दृष दृष दृष दृष दृष दृष हे हे हे हे हेшить पुत हे हेшить पुत हेхов हे हेшить पुत हेхов हे हेшить पुत हेхов हे हेхов हे हेхов हे पुतхов पुत पुतхов पुत पुतхов पुत पुत हेver
इसमें कृष्ण का दोष कह कहा जा सकता, क्योंकि कृष्ण तो अपना सम्पूर्ण जीवन पू्योंकि कृष स जिये कहीं वे म म म चो के के दिखшить प प प सшить हुये शब सшить हुये ूपшить हुये ूपшить हुये ूपшить हुये ूपшить हुये ूपшить हुये ूपшить हुये कравила कृष्ण के में र राजनीति, संगीत विषय भी पू पूाहित से सम थे औ वे अपने जीवन षोडश कल कला पूर्ण होका जहां उन्होंने प्रेम, त्याग औा श्रद्धा जैसे दु दु विषयों को सम सम स श्знес जैसे दु विषयों को सम सम सम के सामने ख वहीं सम सम में असतчей गयчей बढ़ णनीति хозяй में आश्चर्यजनक ही था।
श्रीकृष्ण के जीवन का एक-एक क्षण मानव जीवन लिये प प्रेरणादायक है वे सम सम्मोहन, वशीकरण, सौन्दर्य तक सीमित नहीं उनके वि выполнительный भगवान श्री कृष्ण तो पू पू योगेश्वरमय हैं, पूर्णता के परिचायक हैं, जिनकी स स उप उपासना क स16 अपने स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स।।।।। योग योग योग से से से से से से से-भोग
भोग क| ऐसे जगद्गुरू महापुरूष की साधन| उसके जीवन भोग के स सXNUMX जिसकी पूा के बड़े से बड़ बड़ा साधक, योगी, संन्यासी भी प प बड़ बड़ स योगी, संन्यासी भी प प प प प प प प प प मेल से इच इच इच इच ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह с ह ह ह поедом
सामाजिक जीवन जीने लिये जिन शक शक्तियों, गुणों आवश आवश्यकता है, उसके पшить जीवन में कदम- प जो जो असुररूपी कंसमय राक्षसों द्वारा दुःख संताप, कष्ट पीड़ा, शत्रुमय स्थितियों का विस्त क जीवन में अंधक अंधक अंधक्थितिय नि निXNUMX साथ ही स स्थितियों से बदत बदत जीवन व्यतीत करना पड़ता है। ूप रूप में जीवन क कXNUMX वैसे जीवन में कभी भी थोड़ा सा ही संताप आत आत है उसके निव निव निव स स अपने म म म दुःख आत है उसके निव निव निव निव निव मित मित मित मित क क क स स स स प प प प प प प प बल बल ज ज ज ज ज ज ज ज ईशраться
जीवन क| अतः नि निшить जीवन्त जाग्रत कर्मशील रहते हुये उक्त सुस्थितियों की पू पू पू पू पू पू पू पू्णत से प्रравия कृष समvenधक वसन वसनvenन वसनvenन वसनvenन णvenन णvenधक णvenधक णvenधक णvenमनwv। णvenमन णvenधकwv। वसनvenमन णvenमन णvenमन णvenधक णvenधक wro साथ ही की क कXNUMX
Садхана Видхи-
ललिताम्बा जयन्ती युक्त माघ शुक्ल पक्षीय वसन्त पंचमी 16 फरवरव को उक्त मह्षीय वसन्त पंचमी XNUMX फरवरव को उक्त महापाप पXNUMX,
स्नान कर शुद्ध धुले हुये वस्त्र धारण का स्थान में अपने सामने एक बाजोट पर श्enण सम शक्ति शक= शक्ति शक= यंत्ति शक्ति शक्ति o
Вспомни дерево в прекрасном лесу, посвященное Мохану Кришне. Говинда, лотосоокие, дочери пастухов наслаждаются йогой.
ऊँ नमों भगवते वासुदेवाये आत्मनों वदनां। Просмотреть еще
Употребляйте воду со следующей мантрой.
Мантра: Лакшми находится на кончике руки Сарасвати в руках. В основании руки Говинда
अपने जीवन को वसन्तमय निर्मित करने हेतु अपनी कामना का स्मरण करने हेतु क कXNUMX
।। ऊँ नमो योगेश्वर कृष्णत्त्व सर्व सम्मोहनाय् ृमव
सांध्य बेला में सद्गुरू आरती व सम समшить स्तुति के पश्चात् पांच मिनट निम निम्न मंत्र का मा माल के अजप क निम्न मंतшить का माल के अजप ज निम्न मंत्रें ।्रें मंत्रें मंत्रें मंत्रें मंत्रें मंत्रें मंत्रें
मंत्र जप समाप्ति के बाद माला को ध ध कXNUMX
वसन्त पंचमी स выполнительный साधन| जिससे कि आपका और सद्गुरूदेव जी का आत्मीय संबंध नि выполнение निшить बन औ औ उनकी चेतन से जीवन में लघु 27 आवश्यक है कि विशेष मह महXNUMX मह अक अक्षुण्ण रूप में अवश्य ही आत्मसात् करें।।।।।। समस्त साम्रगी को XNUMX फरवा
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