राम के औ अंकिचन अंकिचन दास के ूप स स्वयं को प्रतिष्ठित क क हनुम हनुम ने इष इष इष को म भगवती में क में दिख आलौकिक आलौकिक आलौकिक आलौकिक आलौकिक आलौकिक आलौकिक आलौकिक क क क क क ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूप ूपжденным प्रेरणा के स्त्रोत हैं, जन साधारण उनकी प्रतिदिन वन्दना और अर्चना करता है इस सरल साधारण से अलौकिक भोले भाले व्यक्तित्व की जो सदा दंभ और कायरता से दूर रहें, जो कार्य कोई न कर सका, संभव कर दिखाया, इसीलिये वह केवल वीर ही नहीं महावीर कहलाये भगवान राम से भी अधिक आज उनके मंदिर है। घर घर में उनकी पूजा की विशेष मान्यता है।
Шива-путра и Шивааватар
शास्त्रीय प्रमाण एवं पुराण कथा के आधार पर स्प ष्ट है कि हनुमान रामायण मे आये मात्र एक वानर के प ात्र के रूप में नहीं वरन् वह सही मायने में शिव स े उत्पन्न माँ अंजनी के पुत्र हैं जो शक्ति, पौरूष और असीम बल पराक्रम के प्रतीक हैं। उनके अंशीभूत होने के कारण ही वह शिव-अवतार के रू प में मान्य हैं, शौर्य एवं दुर्धर्ष शक्ति की पर ाकाष्ठा का वह निश्चय ही स्वयं में प्रतीक बन गये हैं, अन्याय एवं अत्याचार को निर्मूल करने के लिय े अपने इष्ट के चरणों में सदा सौम्य बने, दास्य भाव से सदा ही तत्पर रहे हैं।
सतयुग, द्वापर, त्रेता, कलयुग सभी कालों में महावी выполни यह वेद ऋचा भी महावीर का यशोगान करती हैं, स्वयं भगवान कृष्ण महाभारत के युद्ध क्षेत्र में अर्जुन के रथ पर महावीर की ध्वजा फहराते हैं भगवान राम भगवती सीता की खोज में महावीर को भेजकर कुशलता प्राप्त करते हैं और अन्त में इन्ही की मदद से रावण को युद्ध में परास्त कर श श्री का वरण करते हैं तो निःसन्देह ही उनके चा च में न कहीं विशिष विशिष्ट अलौकिकत ही ही होगी।।।।।। होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी होगी कहीं आज महावीर हनुमान नाम औा
надменная личность
बहुत ही कम देखने में आता है, जहां बल की पराकाष्ठा हो वहां अहं न पले लेकिन महावीर का स्वरूप स्वयं में विरल एवं पूर्ण अहं रहित हैं जो सदा दास एवं सेवा भाव में निमग्न रहे, मात्र अपने इष्ट का चिन्तन और कल्याण ही जिसका जीवन बन गया। हर विपत्ति की बेला में उन्होंने महावीर को अपना कुशल एवं विश्वसनीय सलाहकार माना, चाहे वह माँ सीता की खोज का प्रसंग रहा हो अथवा समुद्र पर सेतु निर्माण, लक्ष्मण की संजीवनी बूटी लाने का प्रसंग हो या वानर सेना एकत्रित कर रावण के साथ युद्ध कौशल, महावी выполнительный
महावीर साधना दीक्षा सम्पन्न कर ही इतिहास पुरू ष बन सके-चाहे हमारे ऋषि मुनि रहे हो अथवा वीर योद ्धा, महावीर साधना सम्पन्न कर उन्होंने अपने जीव न में उच्चता प्राप्त की, विश्वामित्र, वशिष्ठ, वा Закрыть ना दीक्षा कर अपने शिष्यों को सम्पन्न करवाई, वाल्मीकि ने लव को यह साधना सम्पन्न कराकर 12 वर्ष के लव को इतना पराक्र मी बना दिया कि राम के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को ब ांध कर उसने और उसके भाई कुश ने हनुमान और स्वयं रा म को बांध कर माँ सीता के सामने सशरीर उपस्थित कर दिया, रावण ने अन्तिम क्षणों में अपन ी गर्भवती पत्नि मंदोदरी को निर्देश दिया कि यदि Закрыть ूरन्न करनी आवश्यक है और मंद कर रावण का कुल दीप जल ाये रखा।
महाभारत युद्ध में स्वयं पांचो पांडव भयकान्त जब भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष मदद के लिये उपस्थित हुये तो स्वयं श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सम्बोधित करते हुये सभी पांचो पांडवो को महावीर साधना दीक्षा सम्पन्न करने की ही सलाह दी और इस साधना को सम्पन्न करने पर ही पांडव युद्ध में विजयश्री प ударя
श्री हनुमान वीरता, पराक्रम, दक्षता के प्रत है और शक्ति, बल, वीर्य ओज, स्फूा जो साधक, जो व्यक्ति चाहे उसे शास्त्तравия क्यक्ति च उसे श श श श श श अपनी बुद बुद बुद के अनुस अनुस अनुस अनुस पू सेव भ से प प प प प प पрабола शक्ति बाहर से प्राप्त नहीं की जा सकती और न ही बाजार से मिलती है, शक्ति का स्रोत तो अपने स्वयं के भीतर छुपा है, उसे जाग्रत करने की आवश्यकता है, जो कि गुरू से दीक्षा साधना को आत्मसात् करने से जाग्रत किया जा सकता है। जिससे के स साथ-साथ शा भी ऐसा तेजस्वी, बलवान औरी हो ज की आत्मविश बलवान और निरोगी हो ज ज आत आत Вивра क क प प प सौनvenग ग ग ग गvenगwedय wling ग सौन गvenगwedय wling ग सौनvenगwedय wling ग सौनvenगwedय गvenगwedस जvenगwedस जvenगwedस जvenगwedस inक गvenगwedस जvenग wling ग सौन्द्या
हनुमान ूप ूप से भगवान शंकर के अवतार हैं, क्योंकि जब भगवान विष्णु दшить क क्योंकि भगव भगवान विष्णु द्वारा रा का स्व ग्रहण क अवत अवत अवतXNUMX इस प्रकार विष्णु एवं ever मूलतः हनुम| ऐसा अपने आप पू पूर्णत्व पшить वही समर्पण-स्वरूप साधक दшить
श्री हनुमान प्रतीक हैं ब्ा, भक भकXNUMX, बल पXNUMX औ वीXNUMX निर्बल होकर, अधीन होकर भी क्या जीना? शत्रु अथवा बाधा बड़ी व छोटी नहीं होती वह तो व व्यक्ति अथव घटन छोटी नहीं वह तो केवल व व्यक्ति अथव घटन तो हैं औ उस प पшком आत आत chytry ज ज्व जчего ज जшить ज जшить जчего जчего ज जшить जчего जчего ज जшить ज ज्व्त्त्त्त्त्त्त्व्व है्व्व ज्मविश्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व्व द ज्मविशраться
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