अर्थात्, 'मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के चरणारविन्दों के प्रति भ्रमर के समान मुग्ध प्रेमी, जिन्होंने रावण की नगरी लंका को जलाकर दुःखी देवगणों को आनन्दित किया, जिनकी सिद्धि व बल-वीर्य से समस्त विश्व परिचित है, ऐसे भक्तवत्सल श्री हनुमान को मैं प्रातः बेला में अनन्य भक्ति भाव से नमन करता हूँ, जिससे वे कृप क अपने सम सम सम हमें भी पराक्रमी बनने क वरदान दें '
हनुमान वीरता और बल के पшить हैं हैं इसलिये इनक एक न न संकटमोचन संकटमोचन भी है अ अ अ ये को ह ह ह व व ोग व व शत शत хозяй शत शत शत хозяй शत शत शत хозяй शत शत शत хозяй शत शत хозяй शत शत хозяй शत क хозяй से एक माने जाते हैं।
पुराणों के अनुसार वीर और दास इन ूपों रूपों उप उपासको ने अपनी भावनानुसार इनकी पूजा-अभ्या की है।।।।।।।। है है है है है है है है है है है है है है है वीर के ूप में विघ विघ्नविनाशक माने जाते हैं, सुख-लाभ को प्राप्त करने के इनके द द ूप की उप उप की ज ज है। इनके द द Как उप उप उप ज ज है। इनके द द द ूप ूप ूप है है।। द द द द द द द द द शास्त्रों में दोनों ही रूपों का ध्यान, मनन और चिन्तन दिया गया है। वीर के र र और दास के लिए सात्विक उपचारों का उल्लेख है है।।।।।।।
शास्त्रवचनानुसा возможности इन्हें 'पवनसुत' औXNUMX इस सम्बन्ध में उद्धृत है, कि एक बार श्राप भ्रष्ट हो 'पुंजिकस्थला' नाम की एक अप्सरा को वानरी रूप में अवतरित होना पड़ा, जब वह पूर्ण यौवनवान थी, उस समय अत्यंत दिव्यवस्त्राभुषणों से सुसज्जित हो पर्वत पर विचरण कर रही थी, कि तभी उसे लगा, जैसे उसके आस आस-पास है, अतः तीक तीक्ष्ण सшить में बोली- कौन है, जो पतिव्रता को स्पा
अंजनी के क्रोधमय वचनों सुनक सुनक सुनक उसके पास में विचरण कायुदेव बोले- 'हे करूणा के आगार, निराकर भगवान विष्णु पृथ्वी लोक पर मनुष्य देह धारण कर अवतरित हो रहे हैं, जिससे की वे असुरों का नाश कर पृथ्वी पर शांति स्थापित कर सकें, अतः उनकी सेवा के लिये भगवान शिव अपने ग्यारहवें रूद्र स्वरूप में मनुष्य देह धारण कर आना चाहते हैं। उनके अवत выполнительный
पूरे भारतवा में श्री हनुमान जी की पूजा-उपासना पू्ी हनुम हनुम की पूज पूज पूज पूज ज ज ज ज है है, ूप पु पु पु पु जिससे जिससे की की власть जिससे भी власти पु भी влади जिससेчей त влади जिससेчей त влади जिससेчей भी भी влади आज पृथ्वी पर अर्थ और काम धर्म से नियंत्रित नहीं है, जिसके कारण ही विभिन्न दोष पल्लवित, फलित हो रहे हैं, जिसमें फंसकर व्यक्ति देश, राष्ट्र व समाज के प्रति अपने कर्त्तव्य से विमुख होता जा रहा है और जो थोडी बहुत आध्यात्मिकता का अंश मात्र शेष है, वह झूठे झूठे, ढोंगी, दम्भी, पाखण्डियों की दुषшить
ऐसी दुखद स्थिति में, जबकि चारों ओर दुष्प्रवृत्तियों का बोलब बोलबाला है, और व्यक्ति पतन ग ग में धंसत चल चल व लिये लिये लिये उसके उसके उसके उसके उसके उसके र रчей र उसकेчей उसके उसके ऐसेчей लिये उसके ऐसेчего चारों पु выполнительный
Для уничтожения рождения и смерти и для устранения всех страданий.
О Недиштха, разрушитель страха перед привидениями, привидениями и дьяволами.
अर्थात 'श्री हनुमान जन्म और मृत्यु के को सम समाप्त करने वाले हैं, सम्पूा कष कष व ब ब ब क ह क्पू व हैं।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं कष हैं हैं हैं के भय हैं भय हैं हैं हैं कष हैं हैं हैं हैं हैं कष कष कष हैं कष भय हैं सम सम भूत, प्रेत, राक्षस आदि श्री हनुमान के नाम प पшить श्री हनुमान साधना करने पर साधक को निम्न लाभ प्राप्त होते--
श्री हनुमान जी भक्तों का क्लेश हरने के लिए दार ूण दावानल के समान हैं, सर्वकाम पूरक हैं, संकट रू परने वाले और सर्वव्या पी हैं, ऐसे देव की साधना-उपासना करना ही सर्वश्र॥ ष्ठ सौभाग्य की प्राप्ति है। यह समस्त संकटों का नाश करने वाली है।
सर्वप्रथम साधक ताकर मंत् Как प्राण-प्रतिष्ठित एवं पूर्ण चैतन्य सिद्धि प्राप्ति यंत्र 'अष्ट सिद्धि मूंगाला' एवं 'हनुमत् बाहु' अष्ट सिद मूंग माला 'एवं हनुमतраться
यह साधना तीन है औ औ किसी भी मंगलव मंगलव6 य से प प प औ औ औ औ औ प प प प प प प प प प मध मध मध मध मध मध मधшить पू पू्व य उत्ता
इसके पश्चात् साधक चौकी पर लाल वस्त्र बिछा ताम प पाल वस्त्र बिछाधक त प पXNUMX
पंचपात्र से यंत्र स्नान एवं धूप, दीप, पुष्प, अक्षत आदि समर्पित करें।।।।। यंत्र के चारों कोनो में चार बिन्दियां लगाक выполни
साधक लाल अथवा संतरी XNUMX की धोती धXNUMX
ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुये शयन शयन, शुद्ध एवं सात्विक आहार एक ग ग्रहण करें।
साधना प ударить क क4
'अष्ट सिद्धि मूंगा माला' से मंत्र- क क समय हनुमत् बाहु 'को ब बायें ह में दब दब हनुमत् बाहु' को अपने बायें हाथ में दब खें जिससे किसी प प प प प प प प। स स स स स स स स स। प प पXNUMX
इस साधना में साधक को मूल मंत्र का प्रतिदिन 11 माल मंत मूल मंत्र का प्रतिदिन XNUMX माल मंत्र- क्रन प्रतिदिन XNUMX माल मंतшить मंत मंत्रन प्रतिदिन XNUMX माल मंत्र- क्रन प्रतिदिन XNUMX माला मंतшить जप क्रन प्रतिदिन XNUMX माला मंत्र- क क् चाहिये औरप प्रतिदिन साधन के पश्च क हनुम आ выполни गु आ आ आ सम्पन्न कшить हनुम आ गु्तिदिन समшить
मंत्र जप समाप्ति के पश्चात् बेसन लड लड्डू का भोग श्री हनुमान जी लगायें और प्रसाद को वितरित क क दें।।।। इस साधना काल में तीन दिन अखण अखण्ड तेल क कXNUMX
साधना समाप्ति के पश्चात् यंत ударя
यदि स साधना को साधक सवा पांच लाख मंत्र जप अनुष्ठान के ूप में समाख मंत्र जप अनुष्ठान के ूप में सम्पन्न करें तो निश्चय स स सिद सिद्धि प्यverदक मह मह हनुम स सिद्धि प्धि पvvреди सिदана सिद सिद्धि पvvреди सिद सिदvvредил
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