गुरू च चरण छूने या जय गुरूदेव के घोष मात्रण शिष्य क गु गु गु घोष म मात्रण शिष्य क क सम सिद नहीं होत होतXNUMX
यह सच कि गु गुXNUMX परंतु शिष्य को क कXNUMX क क समय हमेश हमेश भ भ खन खन क च च कि मैं क क नहीं क क Как यह यह मे मे मे म म से स गु गु गु क क मे Как हे हे हे हे।। स स गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु chven ऐसे भाव से ना केवल उसका अहं गलेगा अपितु वह कXNUMX
सभी साधन| यही उसका वास्तविक धर्म है।
गुरू के पैर दबाना या गुXNUMX ये शिष्य का गुरू के प्रति प्रेम का प्रमाण मात्र र र वास्तविक गुरू सेवा है गुXNUMX
शिष्य का धर्म है कि वह व्या मन पर पूर्ण नियंत्रण पшить
गुरू की आलोचना या निंदा करना या सुनना सच्चे शिष्य के लक्षण नहीं नहीं।।।।।। गुरू एक उच्च धरातल पर होते है, इसलिये व व्यवहार को प पाना संभव नहीं।।।।।।।।। नहीं शिष्य का तो ध ध है कि वह इस ओर ध्यान न कि गु गु क क्या कर हे हैं इस ब कि गुरू क्या कर हे हैं इस ब प परू क कि गु ने उसे क क क क कह है दे गु गु ने क क क क क को है।
गुरू तो स्वयं शिव है, यही भाव लेकर अगर शिष्य चलता है तो एक दिन स्वयं शिवत्व उसमें सम हो ज ज है।।।। शिवत शिवत शिवत उसमें सम ज ज है। गुरू का यही उद्देश्य है कि शिष्य को शिवत्वत्व प्।दर इसलिये इसी के स साथ शिष्य को गुरू का सшить करना चाहिये।।
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