19 марта, 11:25 AM 20 часов 09:44 AM до
इससे यह तो स्पष्ट ही है, कि सूर्य में अद्भुत शक्तियां निहित है और ग्रहण काल में सूर्य अपनी पूर्ण क्षमता से इन शक्तियों को, इन रश्मियों को विकीर्णित करता है, जिसे साधनात्मक प्रयोग द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, उतना कि जितना हमारे शरीर में क्षमता है।
जीवन में सब कुछ तो दुबारा भी प्राप्त किया जा सकता है, परन्तु क्षण जो बीत गया उसे दुबारा वापस नहीं लाया जा सकता, नक्षत्रों का जो संयोग, ग्रहण का जो प्रभाव जैसा इस बार बन रहा है, वह एक बार बीत गया तो दुबारा नहीं आ सकेगा। सूर्य ग्रहण तो आयेगा पर जो नकшить हो सकता है, आपको जीवन क क में में सू सू सू सू ग्रहण काल उठ उठ क अवस मिले प पXNUMX इसलिये श्रेष्ठ साधक वही है, जो क्षण के महत्व को पहचान के नि नि लेने में विलम्ब क क है है।।।।।। क क क क क है है है क क क क क क क है है
साधक के में अनेक पшить की इच इच्छाये होती है ऐस प्वver की इच्छाये होती है ऐस ऐस्वरать इच इच्छाये होती है है ऐस ऐस ऐसा स्वा ग संयोग संयोग में सब कुछ दे सकत है धन, कुण chlionनчей यशчей म मчей म Вждить म chlherनчей यश म Вждить म म म Вждить ऐश. जो हम चाहते हैं, क्योंकि ऐसे अद्वितीय ग्रह संयोग की गई साधना कभी निष्फल नहीं होती है।।।।।।
अतः हमारे जीवन मनोक मनोकामना पूर्ति के लिये देवताओं की अभ ударя देवताओं का सारभूत अगर किसी में है, तो वह गु गु Как में है है, क्योंकि गुरू पшить कोश में होत है, आत्ममय में होत होत है है है है है है है है है होत होत प o वह केवल मानव शरीर धारी नहीं होता। उसमें ज्ञान होता है, चेतना होती है, उसकी कुण्डलिनी ज जXNUMX
कृष्ण को कृष्ण के रूप में याद नहीं किया जाता है। उनको गुरू क्यों कहा जाता है? इसलिये कि उन्होंने उन साधनाओं को, उस चेतना को प्राप्त कियाओं को, उस चेतन को को प Вивра किय किय जिसके म म म म म उनके श शXNUMX उनका प्राण तत्व जाग्रत हुआ।
आप कितनी साधना करेंगे? कितने मंत्र जपेंगे? कब तक जपेंगे? ज्यादा से ज्यादा साठ साल उम्र तक, सत्तर तक। लेकिन आपके जीवन क| फिर वह जीवन अद्वितीय कैसे बन सकेगा? और अद्वितीय नहीं बना, तो फिर जीवन का अर्थ भी क् या?
मैं आपको एक अद्वितीय साधना दे रहा हूँ, हजार साल बाद भी आप इस साधना को अन्यत्र प्राप्त नहीं कर पायेंगे, पुस्तकों से आपको प्राप्त नहीं हो पायेगी, गंगा के किनारे बैठ करके भी नहीं हो पायेगा, रोज-रोज गंगा में स्नान करने से भी नहीं प्राप्त हो पायेगा। यदि गंगा में स्नान क выполнительный
साधन|
अवतारों के जीवन मे ग ग Вивра की महत्ता के प्रसंग देखने को मिलते हैं।।।।। भगवान राम ने गु गुरू से दीक्षा ग्रहण के ही प प्रू से दीक्षा ग्रहण के ही प पtrenप ू थी इसी्रहण के ही प प प प प प प प प कृष कृष कृष कृष ने भी भी स स स स स थी की की की की की की की की की की की प की तो प प प जब जब तो जब जब जब जब जब chytra तो की जब chven जब की जब chyfrहण जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब भगव भगव o क्योंकि ग्रहण के समय ही तपस्यांश को, दीक्षा या स ही तपस्यांश को, दीक्षा याधनात्मक प्रवाह पू पूरी तरह से ग्रहण किया सकत सकत है पू पू तXNUMX
यही दिव दिव्य अवसXNUMX ऐसे विशिष्ट संयोग सूर्य ग्रहण युक्त निखिल जन्मोत्सव के अवसर प्रहण युक्त निखिल जन्मोत्सव के अवसर पर स्हण युक्त जन जन Вивра के अवसXNUMX साथ ही स सXNUMX इस अवस पXNUMX
जीवन में अद्वितीयता हो, यह जीवन का धर्म है। हमारे जैसा कोई दूसरा हो ही नहीं। ऐसा हो, तब जीवन का अर्थ है। ऐसा जीवन प Вишен क क के लिये बस एक ही उप उप है कि हम ऐसे गु गु गु की श में ज ज ज ज जो आप पू पू पू प प गम व व गम व व व व गम गम युक युक युक तेजस तेजस में हो तेजस आँख chvenणी हो आँख त chven युक गम युक chvenणी हो तेजस तेजस तेजस तेजस chvenयुक युक तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस तेजस o में है, तेजस अपने युक, सम्मोहित हो, अपने में सक सक्षम हो औरравило पूर्ण XNUMX
लेकिन आपके पास कोई कसौटी नहीं है, कोई मापदण्ड २है नहै आप उनके पास बैठ क उनके ज्ञान से, चेतना से, प्रवचन से एहसास कर सकते है।।।।।।।।।। यदि आपको में सद्गुरू की प्राप्ति हो गई, तो जीवन जीवन क क अ अ प में आयेग तब ग ग जीवन होग कि आप एक सद सद के शिष है है है है है जिनके जिनके जिनके पोथियों पोथियों पोथियों पोथियों है पोथियों है पोथियों पोथियों है पोथियों पोथियों है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है ग है है है तो आपको ग ग है है आपको ग,
यदि व्यक्ति में जरा भी समझदारी है, यदि उसमें सम झदारी का एक कण भी है, तो पहले उसे यह चिन्तन करना चाहिये, कि उसे सद्गुरू को प्राप्त करने का प्रयत , जो उसे प्राण तत्व में ले जा सकें, जो उसके शरीर को सुगन्ध युक्त बना सके।
यदि ऐस| फिर वह क्षण कब आयेगा, जब आप दैदीप्यमान बन सकेंग॥? कब आप में भ|
ऐसा तब सम्भव हो सकेगा, जब आपके प्राण, गुरू के पшить जब जुड़ेगें जब आपक आपक आपक चिन्तन गु होग होग जब क क कшить क क क क क श श श с потертой लिये श wherी औ श wherस श स wherस औ स с помощью) में उतार देना।
” ध्यम से यह शरीर अपने आप में सुगन्ध युक्त, अत्यन॥ त दैदीप्यमान और तेजस्वी बन सकेगा, जीवन में अद्व ितीयता और श्रेष्ठता प्राप्त हो सकेगी, जीवन में पूर्णता आ सकेगी, पत्व की यात्र सम्भव हो सत ेगी और उनका ज्ञान आपके अन्दर उतर सकेगा।
इस बार पन्द्रह ही दिनों में दो ग्रहण पड़ हे हैं निखिल जन जन जन Вивра में अवस अवस्रहण पड़ हैं निखिल जन जन जन्मोत्सव के अवस पXNUMX ऐसा होना साधनात्मक दृष ударя एक पक्ष के अनшить दो अलग अलग ग्रहण अर्थात सूर्य औ चन्द्रहण हों, ऐसा बहुत कम होत होत है।।।।।।। ग ऐस ही इस अवसर पर मैं एक अद अद्वितीय गुरूमय साधना प्रदान क हшить गु सXNUMX प्रदान क Как अद अदшить गु साधना प्читано
इस साधना को आप सूर्य ग्रहण युक्त निखिल जन्मोत्सव 21 अप्रैल को पшить साधक इस साधना हेतु पीले रंग का वस्त्र धारण करे तथा पीला आसन बिछाये, गुरू पीताम्बर अवश्य ओढ़ लें।। बाजोट पर पीले रंग का वस्त्र बिछाका घी का दीपक लगाये।
यंत्र का केसर, अक्षत, पुष्प तथा नैवेद्य अा कर पूजन करें।।।
फिर पंजों बल खड़े होक निम्न मंत्र का एक माला मंत ударя
21 .
यह मंत्र अपने आप में अत्यन्त चैतन्य मंत्र है। इतना अवश्य ध्यान XNUMX, कि स साधना पंजो बल खडे़ हो क क ही क क है बैठ क क य य अन क आसन इस इस स स को सम क य नहीं किय सकत आसन। इस इस स स स स स स स स स स स स स स स
इस साधना के माध्यम से गु выполнительный
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