इस वर्ष 04 नवम्बर 2021 को दीपावली पर्व है, हमारे धर्म शास्त्रों में दीपावली पर्व का विशेष महत्व माना है, क्योंकि गृहस्थ जीवन का आधार धर्म और अर्थ की अधिष्ठात्री देवी जगत जननी माँ लक्ष्मी है, जिसका यह पावन पर्व है, अतः इस पर्व पर कुछ विशेष प्रयोग किये जा सकते है, साधक दीपावली की रात्रि को विशेष साधनायें सम्पन्न कर सफलता प्राप कXNUMX
महालक्ष्मी पूजन साधक को पूर्ण निष्ठा, आत्मविश्वास और श्रद्धा के साथ करना चाहिये, यह पूजन रात्रि को सम्पन्न किया जा सकता है, शास्त्रों में ऐसी मर्यादा है, कि यदि दीपावली की रात्रि को वृषभ या सिंह लग्न में लक्ष्मी पूजन किया जाय तो वह ज्यादा उचित रहता है, क्योंकि ये दोनों स्थिर लग्न है, स्थिर लग्न में स्थि्ष लग है, स्थिर लग्न में मह स्थि्ष लग क स्थिर लग्न में मह मह स स स लग स्थिर लग्न में में में में स स स स स स स स स स स में में में में में में में में chytry है समृद समृद chytry है समृद समृद chytry है समृद समृद chytry समृद समृद chytry
материал поклонения
कुंकम, केशर, गुलाल, मोली, चावल, नारियल, लोंग, इलायची, सिन्दूर, अगरबती, दीपक, रूई, माचिस, शुद्ध घी, दूध, दही, घी, शकпере (पंचामृत) यज यज, फल, घी, जल, गंगाजल, श्वेतचन्दन, पान, पंच पल्लव, कमल पुष्प, खीर, मिश्री, सरसों, कपुर, पीला वस्त्ा लक लक Вишен, पहिन पत Вишен, तुलसी седел, तुलसी седел, तुलसी с поедом तुलसी седел, तुलसी с поедом तुलसी с поедом तुलसी седел. आदि
साधक जब भी इच्छा हो महालक्ष्मी पूजन कर सकता है ।
महालक्ष्मी पूजन पुरूष या स्त्री कोई भी कर सकता है, इस बात का ध्यान रखे कि स्त्री रजस्वला न हो, शास्त्र मर्यादा के अनुसार रजस्वला समय के बाद छठे दिन स्त्री देव पूजन योग्य मानी जाती है, पांच दिन स्त्री को कोई भी शुभ कार्य या देवपूजन क выполнительный
पूजन में शुद्ध एवं पवित्र वस Вивра धारण किये हो, स्त्री जब भी लक्ष्मी पूजन करे तो सुन्दर र वस्त्रण क выполнительный
पूजन करने से पूर्व पूजन सामग्री एकत्र कर रख देनी चाहिये, सामने महालक्ष्मी का चित्र या मूर्ति स्थापित होनी चाहिये, उसके सामने मन्त्र सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठा युक्त श्री यन्त्र, कनकधारा यन्त्र, कुबेर यन्त्र स्थापित करे, पर ये तीनों ही यन्त्र स्थापित करने आवश्यक नहीं है, इनमें से कोई भी एक यन्त्र स्थापित किया जा ॸकता सकत यह यन्त्र महालक्ष्मी के सामने लकड़ी के पट्टे पर लाल वसшить
साधक के ब|
घी के में कुछ इत्र की बूँदे भी डाली जा सकती है, महालक्ष्मी पूजन में किसी प प प प प सकती है है, महालक्ष्मी पूजन में भी प पшить प का इत्र प्रयोग में लिय ज सकतXNUMX
लक्ष्मी पूजन में के पुष पुष्प या गुलाब के पुष्पों का विशेष महत्व है पुष्प ताजे खिले हो।।।।।।।।।।।।।।।।
साधक पीले क का प्रयोग करे, और स्वयं या तो सुन्दा
साधक का मुंह पूर्व या उतшить की तरफ होना चाहिये, और उसके सामने देवी मू मूXNUMX
महालकказа पूजन से पू पूXNUMX
लक्ष्मी मन्त्र जप में भी प प्знес की माल| क में किसी प प्знес की माला का प्रयोग किया जा सकता है, पर Как
Поклонение Махалакшми
साधक साधक दोनों दोनों हाथ जोड़कर महालक्ष्मी को प्रणाम करें-
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भगवति हरिवल्लभे मनीजшить
हे कमल वासिनी। कमल सदृश कोमल हाथों वाली स्वच्छ सुगन्धित पुष्पों की माल| हे विष्णु प्रिये। मन की ब| मेरे ऊपर प्रसन्न हो जाओ।
Богатство — это огонь, богатство — ветер, Вану — солнце, а богатство — Васу.
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अग्निदेव धन दे। वायुदेव धन दे। सूर्यदेव धन दे। इसी भांति वसु, इन्द्र, वृहस्पति, वरूण, एवं अश्विनी कुमार आदि समस्त देव हमारे गृह व व क क हुये धन प पшить हम क क में व क क धन प पшить क क क व क o
О Вайнатея, выпей луну, и пусть убийца Вритры выпьет луну.
Сома богатства, Сомин, дай мне Сомина.
हे वरूण देव! आप सोमरस पीजिये। इन्द्रदेव भी सोमरस पीवे, सोमी (सोमरस पीने वाले) कुबेरस पीवे सोमी सोमी सोम सोम पीने व वXNUMX)
Ни гнева, ни зависти, ни жадности, ни злых мыслей.
Они становятся достойными. Нужно воспевать Шри Сукту.
जो श श्रीसुक्त का पाठ करते है, उन भक भक भक को एवं जिन्होनें पुण्य किये है ऐसे को केवल प एवं म जिन पुण पुण किये है है ऐसे को केवल प म म म पुण पुण किये है है ऐसे लोगों केवल प प म म से क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क।।।।।। है सत नहीं एवं एवं एवं एवं एवं एवं अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ अशुभ एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं एवं
О лотосолицый, лотосоподобный, лотосоокий, лотосорожденный.
Это то, чему ты поклоняешься мне, о лотосоокий, благодаря чему я обретаю счастье.
हे कमल के सदृश मुख वाली। हे कमल के समान कंधो वाली। हे कमल नयने। हे कमल में व|
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मैं विष्णु पत्नी क्षमा स्वरूपिणी, माधवी, विष्णु प्रिया, माधव प्रिया, सखी, देवी अच अच्युत अाधव प्रिया, सखी देवी अच अच्युत अर्थात् सच्चिद प पXNUMX
Мы знаем ее как Махалакшми, и она жена Вишну.
Пусть Лакшми поддержит вас там.
हम महालक्ष्मी की जिज्ञासा करते है औXNUMX
पद्मानिनीपद्मिनिपदमपत्रेपद्मप्रियपदऍमदऍाय य य
विश्वप्रियेविशлать
हे कमल मुखि, हे व वाली, हे के पत पतшить व व हे से से प प प क व्रे व कमल सम कमलों प प प क क व व व व व व व व व चलनेव चलनेव चलनेव चलनेव चलनेव की की= प प्रिय प की= प की्रिय की की= की की= की की की= की की की= की की की कीробно -ष की की chybed ।
Они известны как Ананда Кардама Шридачиклита.
Мудрецы — сын Шри, а я — богиня Шри.
आनन्द, कर्दम, श्रीद, चिक्लीत ये च च जो प्रसिद्ध पुत्रीद है चिक जो च च च जो प Вивра पुत्रीद है जो इस श श्रीसुक्त की प्रधान देवी लक लक लक पुत पुतtrain है मुझे श श शхов श दे लक लक के पुत श शtrain है श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श प प प प प प प प प प च च च प श श श प क प क क क प,
Долги, болезни, бедность и грех — ячмень бессмертия.
Пусть всегда будут уничтожены страх, печаль и душевная тоска.
हे महालक्ष्मी, मेरी ऋण रोगादि बाधाएं दारिद्रय, पाप, अपमत्यु
श्रीर्वर्चः स्वमयुष्यमारोग्यमाविधांत्पवममानन
धान्यंधनपशु बहुपुत्रलाभंसंवत्ससरंदीर्घमथयथयथत
इस सूक्त का पाठ करने से लक्ष्मी, तेजस्विता आयु, आा क आदि सभी तथा पवित्रता एवं गौ गौ वस वृद वृद पशु पशु पशु पुत पुत पुत पुत पुत पुत पुत पुतvenषो व पुत पुतvenषो व पुतvenषो त पुतvenषो पुतtrव ध पुतvenत पुतtrधि ध पुतtrधि ध पुतvenत पुत पुतvenत पुत पुतvenत पुत पुतvenत पुत पुतvenत पुत पुतvenत पुत पुतvenत पुत औvenएवं पुत धvenएवं पुत औ औvenन पुत ध औvenएवं पुत ध औvenएवं पुत ध औvenएवं पुत ध औ औvenएवं पुत ध औ औ औvenएवं पुत ध औvenत पुत औ औ औ औvenएवं व ध औ औ.
इसके बाद अपने इष्ट एवं कुल देवता का ध्यान करे। फिर संकल्प हेतु हाथ में लेक लेक संकल्प ले कि भगवती लक लकшить में लेक संकल्प ले मैं भगवती लक लक लक लक लक लक कि कि कि वे वे मे मे घ घ घ पध पध выполнительный
इसके बाद सामने गणपति की मूर्ति या चित्र की पू।र ब र, गुलाल चढ़ावे, केशर लगाये, भोग लगावे फिर इकऍी ४।र ष्मी की मूर्ति या चित्र का सभी पदार्थो से पूजन से पूजन से पूजन से ्त में अगरबती लगाकर कपूर से आरती सम्पन्न करे।
इस प्रकार पूान विधि विधान स साथ महालक्ष्मी का क करे और महालक्ष्ष को जो भोग लग लग हुआ है है वह वह प Вивра प प भोग वित क है है दीपावली की रात्रि को कई स्थानों पर महालक्ष्मी पूजन के उपरान्त तराजू बही पूजन, दवात, लेखनी की पूजा का भी विधान है, ये सभी पूजन कर भोजन करे पूरी रात लक्ष्मी के सामने घी और तेल के दीपक बराबर लगते रहे तथा पूजन सामग्री एवं द्रव्य वहां से नहीं हटायें।
दूसरे दिन प्रातःकाल सूर्याेदय के समय पुनः सक्षिप्त महालक्ष्मी पूजन करे और फिर यथा स्थान पर महालक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करे, भारतवर्ष में कई स्थानों पर लक्ष्मी पूजन के समय सौभाग्यवती स्त्रियां अपना मंगल सूत्र या अन्य स्वर्ण आभूषण की भी पूजा करती है, अतः रात्रि को आभूषण पूज पूज हुई हो तो पшить
लक्ष्मी पूजन के कई स स्थानों पर चांदी के ूपयों की पूज सा क क प चXNUMX इस प्रकार विधि विधान पूर्वक महालक्ष्मी पूजन से निश्चय ही धन धान्य वृद्धि एवं मनोवांछित सफलता प्राप्त होती है। चैतन्य सामग्री- पारद कच्छप, जप माला, हवन सामग्री गुटिक्छप, जप माल|
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