इसी प्रकार ग्रहण काल में वैज्ञानिक XNUMX से ही बु बुXNUMX क न हों प प एक अवश अवश है है वह की ग ग क क क क दिव स हेतु यही की की की की की की की की की की की की अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत अत।।।।।।। उपयोगी उपयोगी उपयोगी दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव दिव एक गुण समय दिव दिव दिव दिव अत अत अत अत है ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग बु बु है साधारण समय किय किया गया एक लाख जप, सूर्य ग्रहण के समय किये कुल मंत्र जप ब बराबर होत है।।।।।।। मंत मंत मंत मंत जप ब выполнительный अर्थात् ग्रहण के समय किय गयXNUMX इस तरह कोई स साधना यदि ग्रहण काल में सम्पन्न की जाये तो उसक उसका शतगुन फल स को को प्राप्त होत है जिससे उसकी सफलत सफलत निश होती होती है होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती होती को प होती होती को को होती होती
महाभारत का युद्ध प्रारम्भ होने जा रहा था। उधर कौरवों की सेना सुसज्जित हो चुकी थी, भीष्म, द्रोणाचार्य, कौरव सभी अपने थों प परूढ़ थे।।।।।।। थे इस ओर पाण्डवों की सेना तैयार खड़ी थी कि युद युद्ध का बिगुल औ और युद्ध प्रзнес हो।।। पाण्डवों ने श्रीकृष्ण से युद्ध को पшить कृष्ण ने कह यदि युद युद्ध आरम्भ हो गय तो विजय किसकी निश निश्ध नहीं कह ज गय गय प किसकी हो निश निश निश निश नहीं दे नहीं कह सू सू सू सू युद युद युद युद युद युद युद युद युद युद युद युद क क कхов सू सू कхов सू युद कхов क युद कхов क युद कхов क युद. कृष्ण ग्रहण के इन सिद्ध क्षणों को समझ रहे थे और निश्चित समय पर जब पाण्डवों ने युद्ध प्रारम्भ किया तो इतिहास साक्षी है, कि एक-एक कर सारे कौरव काल के गर्त में समाते चले गये और पाण्डवों को कुछ भी नहीं हुआ, विजयश्री पाण्डवों के हाथ लगी। ग्रहण के ही तपस्यांश को, दीक्षा या साधनात्मक प्रवाह को पूXNUMX
ऐसा स्वर्णिम ग्रहण-संयोग जीवन में- धन, पद, प्रत िष्ठा, यश, मान-सम्मान, ऐश्वर्य, कुण्डलिनी जागरण, Закрыть हैं प्रदान करता है, अद्वितीय ग्रह संयोग युक्त स ूर्य ग्रहण पर्व पर की गई साधना कभी निष्फल नहीं होती है।
इस वर्ष की पूर्णता पा पूर्ण चैतन्य सूर्य ग्रहण माा पू अम्य सूравия ऐसे श्रेष्ठ सूर्य ग्रहण के अवसर पर जीवन आरोग्यमय दीर्घायु, सुसंस्कारमय पुत्र-पुत्रियां, व्यापार-नौकरी, धन लक्ष्मी वृद्धि युक्त निरन्तर सुस्थितियों का विस्तार हो सके इसी हेतु मार्गशीर्ष मास जो कि सर्वश्रेष्ठ रूप में राम जानकी विवाह महोत्सव के रूप में सम्पन्न किया जाता है । ऐसे मास में सांसारिक गृहस्थ साधक जीवन को पुरूषोत्तममय शक्तियों से युक्त करने हेतु पूर्ण जाज्वल्यमान चेतना शक्ति युक्त सूर्यग्रहण महापर्व पर सुस्थितियों की प्राप्ति के लिये तांत्रोक्त तीक्ष्ण महाकाली छिन्नमस्ता पिताम्बरा युक्त त्रिशक्ति साधना, रवि तेजस साधना, सूर्य ग्रहण तेजस्वी तारा साधना सम्पन्न करने से जीवन को सूर्य स्वरूप जाज्वल्यमान बनाने की सुस्थितियों का विस्तार हो सकेगा।
जीवन के इन्हीं कामन|
तांत्रोक्त तीक्ष्ण त्रिशक्ति के रूप में महाकाली छिन्नमस्ता औ बगलXNUMX अत्यन्त भयंकर बाधाओं से, दुर्गति पूर्ण स्थितीयों से, मारण प्रयोग जैसे प्राण की आशंक से औाने स दुःख दुःख दुःख कष कष कष कषXNUMX इस साधना को समшить क कXNUMX सूर्य ग्रहण के समय में इस साधना को समшить क क से सौ गुन गुन फल की प्राप्ति होती।। शक्ति-क्षमता स्वरूप में महाकाली, अज्ञान-तमस-बाधाओं को पू पू पू विनाश करने हेतु छिन्नमसा औ ghro क बगलжденое औ gherधनчей औчей औшлил औчей ूपждрить ूपчей ूपждрить ूपшли.
ग्रहण काल में इस साधना को निम्नलिखित बाधाओं के निवारण के लिये समшить
॰ यदि व्यक्ति गरीब हो, निा हो औ औXNUMX
॰ Если вы не в состоянии избавиться от болезней.
॰ यदि व व्यक्ति किसी क कXNUMX
॰ कोर्ट कचहरी हेतु, प्रेत पिशाच, शत्रु बाधा, ऋण बाधा, टोना टोटका, जमीन-जायद ब ब ब प प स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स स है है है है है है है है है है है है है है लिये
इस साधना के आवश आवश्यक सामग्री है- त्ा ग्रहण समय से पूर्व लाल वस्त्र पहनकर लाल आसन स साधक पूाभिमुख होकर बैंठे।।।।।।।।।।।। अपने स| साफल्य माला को यंत्र के चारों ओर रखें। अगरबत्ती दीपक जलायें। सर्व प्रथम पवित्रीका साथ ही अपनी मनोकामनाये संकल्प भाव में आत्मसऍकके संक्षिप्त गुरू पूजन, गुरू मंत्र 1 माला जप सक्पनथन पुष्प, अक्षत, चंदन, कुंकुम, धूप, दीप, नैवेद्य आदि यंत यंत्र की पूजा करें। यंत्र के दाहिनी ओर कुंकुम ंगे रंगे चावलों की ढे़ ढे़ बन बन5
कुंकुंम और पुष्प से पूजन करें। फिर साफल्य माला से निम्न मंत्र का 3 माला जप सम्ननन
मंत्र जप पश पश्चात् समस्त सामग्री को बाजोट पर बिछे लाल वसшить
सूर्य ग्रहणकाल में उक्त साधना सम्पन्न काल उक्त साधना सम्पन्न क्षा आत्मस सा सम्पन्न क्षा आत्मसात् करने से निशि्ंचत ूप से सूर्य तेजस्विता युक्त नि निशि सकेग सकेग। सू सू तेजसшить तेजस निशि सकेग सकेग सकेग सकेग।। सू सू सू सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग से सू सू सू से सकेग सकेग सू सू सू सू सू e
सांसारिक व्यक्ति की अपने जीवन में मूलभूत इच इच्छायें होती औ औ वे निम निम्न हैं-
आकर्षक दिखना, सम्मोहन युक्त, तेजस्वी व्यक्तित्तित, वाक्चातुर्य एवं कुशाग्र बुद्धि।
Просмотреть еще
कार्य में प्रतिष्ठा, सम्मान एवं अपने कшить, समाज में पूर्ण ख्याति पшить
इच्छित जीवनसाथी, आज्ञाकारी संतान, पारिवXNUMX
पूर्ण ऐश्वर्य युक्त जीवन के साथ-साथ आत्म-कल्याण
ऊप जितने बिन बिन्दु स्पष्ट किये हैं, वे ज्योतिषीय दृष्टि से सू सू सू सू सू सू सू में हैं अतः जो कोई व व व वि वि स निहित हैं हैं जो कोई भी व व वि वि स स स उप उप उप потеря स स потеря स स स потеря स स रждено
स्वामी ख выполнительный अतः यह साधना अति लाभका возможности ऐसा करने से उसकी समस्त इच्छायें पूर्ण होती ही है
साधक लाल वस्त्र धारण करें लाल आसन पामने दिशा की ओ ओ क5 यंत्र का पंचोपचार पूजन करें तथा रवि तेजस माला से निम्न मंतшить की XNUMX
साधन| ऐसा करने से साधना सिद्ध होती है।
धन प्राप्ति की इच्छा kखन औ धन प Вивра के लिये क क क क क क क क क क क क अप अप गृहस गृहस जीवन के धन ही ही है है है ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी jvwving
धन की साधना हेतु दस महाविद्याओं में तारा साधना सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है और ऐसा भी कहा जाता है कि तारा महाविद्या सिद्ध होने पर साधक को प्रतिदिन स्वर्ण प्रदान करती है अर्थात यह निश्चित है कि तारा सिद्धि प्राप्त साधक की आय में वृद्धि हो जाती है और उसे आय के नये-नये स्त्रोत प्राप्त होते हैं, आकस्मिक धन पшить
सूर्य ग्रहण का चैतन्य काल तारा साधना के शшить क्य काल त तXNUMX स लिये शшить क्य सिद्ध मुहूा दिवस औ औ इस दिन त त तXNUMX
इस साधन|
ग्रहण काल में साधना प्रारम्भ करने से पूर्व स्नान कर शुद्ध पीली धोती धारण कर उत्तराभिमुख बैठ जायें, सिद्धिदायक सूर्य शक्ति जीवट गले में धारण कर तांत्रोक्त तारा यंत्र की पूजा कर बायें हाथ में यंत्र पूर्ण मंत्र जप तक रखे, तारा अष्टसिद्धि माला से सूर्यग्रहण काल में 7
मंत्र जप पूर्ण हो जाये तब यंत्र को पू выполнительный गुरू आरती व समर्पण स्तुति सम्पन्न करे। सभी सामग्री को विशेष महत्वपूर्ण स्थान पर रखे। शीघ्र ही मनोवांछित सफलता की प्राप्ति होती ह।
Обязательно получить Гуру дикша от почитаемого Гурудева до выполнения любой садханы или принятия любой другой дикши. Пожалуйста свяжитесь Кайлаш Сиддхашрам, Джодхпур через Эл. адрес , WhatsApp, Телефон or Отправить запрос чтобы получить посвященный энергией и освященный мантрой материал садханы и дальнейшее руководство,