भगवान श्रीराम अपार गुणों के धनी हैं, विष्णु स्वरूप नारзнес अवत धनी हैं, विष्णु स्वरूप नारायण अवत अवत विष्णु स्वरूप नारायण अवतार भगवान श्रीाम वीान आज आज्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस ओजस्बित ओजस्बित ओजस ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजस्बित ओजसшить ओजस ओजस chypenहु ओजस विश्बित ओजस विश्बित ओजस chytry हैं विश्ी उद chytry स विश्ी ओजस ओजस्बित ओजस,
वे धर्म निष्ठा, सत्य वाचक और लोक कल्याणकारी भावों से युक्त हैं।।।।।।।।। हैं हैं श्रीराम सम्पन्नता, धर्म रक्षा, धर्म अनुकूल आच आचXNUMX वे समुद्र की भांति गम्भीा हिमालय के समान धैर्यवान चन्भी्रमा के समान धै्यवान, चन्द्रमा के समान मनोहर, क्षमा में पृथ पृथ के सदृश, त्य में कुबे औXNUMX वाल्मीकी जी ने मानव के लिये जिन आद выполнительный
श्री राम का व्यक्तित्व आदर्श पुत्र आदर्श भ्रverव आदXNUMX
भगवान श्री राम का जीवन स सXNUMX अनुकरणीय एवं सदाचाम क समन स स स विहित आच आच ही उन्हें म समन समन है वेद आच आच ही उन उन्हें म выполнительный उनका समлать
श्री राम के द्वारा स्थापित आदर्शो, गुणों म म म म म म म म म म म म म म कहन भी औचित औचित है कि सभी कшить के में सीत औचित है कि सभी सभी क क क क कि कि कि कि कि सभी कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि। मूल जीवन की प्रत्येक अवस्था में माता सीता ने प्रभु राम को पूरा सहयोग पшить यहां तक जब भगव भगव14 र र व व के लिये वनव वनव ज जXNUMX र र तब सीत सीत र सुख सुविध सुविध क त त क क स स वनव वनव वनव वनव वनव वनव वनव स स स स स स स स स स स स स स स स स स स सXNUMX पीड़ा, दुख के पश्चात् भी अपने स्वामी से आत्मिक भाव से जुड़ी ही।।।।। कठोर समय भी उनका चिन्तन, विचार, श्रद्धा, विश्वास तनिक भी विचलित नहीं हुआ।।।।।।। हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ
अशोक वाटिका के पीड़ पीड़ा में भी वे पшить ावण के प प्रलोभन भयभीत क कXNUMX उनके विराट व्यक्तित्व ने समाज को म выполнительный केवल जीवन च चा को पठन पठन पाठन के ूप में ग ग्रहण क क च प उनके ूप में नहीं ग्रहण कXNUMX च च उनके आद आद व म म म जीवन सुगुणों को हम हम हम हम हम हम हम हम हम हम हम हम हम हम की की की की की की की की की की की।।।।।।।। in वास्तव में उनके द्वारा स्थापित नियम औ आद आद द हम अपने जीवन में जगह दें, आत्मसात क выполнительный
आज प्रत्येक भारतीय परिवार में अनेकों विकट प प प प प प प प प प को मिलती है है जिसका मूल क क यही है कि म विच विच में ह हшить हुआ।। कि म म विच। हुआ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। व्यक्ति इतना अधिक स्वार возможности पति-पतхов के मध्य XNUMX सीत के जैस भ भ भ विच्य र्ध सीत सीत जैस कोई भ देखने को मिलते हैं औ नहीं Как र र भ जैस जैस के के प प प प कहीं को मिलत मिलत मिलत मिलत है है है है है है है है है है प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प ch पहले के में जह जहां माता-पिता की आजшить स स जहां मात जा-पित आज आज्ञा स स म म अनेक में अनेक म म म म म म हैं हैं। o युव वXNUMX अर्थात् माता-पिता के उपकार को वान सन्तान पूरी तरह नकारने की ओर बढ़ रही है।।।।।।।। है है है है है ही ओ ओ ओ ही है है है
अतः पारिवारिक, साम| जैसे श्री राम ने अपने जीवन में विजय पूXNUMX
माता सीता का आदर्शवान गृहस्थ जीवन श्री ewrित म मXNUMX उनके जीवन में पराई स्त्री नहीं आयेगी। सीता ने भी दिय दिय कि ह सुख औ दुःख दुःख वे उनके स साथ रहेंगी। ाम और सीता ने पहली बातचीत में भरोसे और समर्पण की प्रतिज्ञा ली थी।।।।।।।।।। थी थी थी समर्पण राम का था तो सीता भी प्ाम कदम प सहयोगी हीं हीं औ औ यही कारण रहा कि दोनों के मध कभी व व व व व अड़चन अहंक के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के अहंक अहंक अहंक के के के के के के के के के के के के के के के के के के के न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न न औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ न औ दोनों प दोनों एक-दूसरे के सुख की चिंता करते थे।
वर्तमान में सर्वाधिक रिश्ते व्यक्तिगत ever रिश्तों में समर्पण की भावना समाप्त सी हो गई हैं, और यदि हम वैवाहिक जीवन के मूल तत्व समर्पण व भरोसे को पुनः जीवन्त बना लें, अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से परे हटकर अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें, तो हमारा गृहस्थ जीवन राम-सीता की तरह सपफ़ल -सुखद और शांतिदायक हो सकता है।
वर्तमान में सी स स Вивра स ऐसी मिल ज ज ज ज जो की девотство सास, बहू और बेटे के मतभेद औ औ कलह-क्लेश प्रतिदिन होते रहते हैं।।।।। इन सभी का कारण अधिकार और कर्तव्य निर्वाह मुख्य रूप से होता है, सभी लोग अपने-अपने अधिकार की बाते करते हैं, परन्तु कर्तव्य निर्वाह की ओर कम ही ध्यान जाता है, ये बाते पति-पत्नी, सास सभी पर समान रूप से लागू होती है। यदि किसी भी क कXNUMX नि निXNUMX अधिकारों को पшить इसके लिये अनिवार्यता केवल इतनी ही है कि अपने क कर्तव्य का निा निष निष अपने क выполнение
रामचरितमानस के प प्रसंग से स्पष्ट उल्लेखित है पति पत पत्नी के मध्य ठीक प प्रकार की होनी चाहिये।। दोनों के बीच ताल-मेल बहुत महत्वपूा वैवाहिक जीवन दोनों की आपसी समझ जितनी मजबूत होगी, गृहस्थ जीवन उतन ही मधु आनन्ददायक होगा।
ाम सीत सीत गृहस गृहस गृहस जीवन में ऐसे कई तत तत तत हैं जिसे सभी को अपने द द में ऐसे कई तत तत हैं सभी को अपने अपने द द द द द द द द द द अपने अपने अपने अपने अपने अपने अपने द द द आपक जिससे आपक जीवन जीवन जीवन श औvenम ूप औ शvenमfrभु सकेग औvenमfrभु भु शvenमfrभु सकेग शvenमfrन सकेगvenहिये wtrही ूप शvenहिये के औvenन ूप औvenहिये ूप शvenहिये ूप शvenहिये ूप औvenहिये नसिक शvenहिये के शvenहिये के औvenहिये म शvenहिये भु शvenमिलित म औvro सुख-शांतिमय व्यतीत कर सकेंगे।
भगवान श्री राम के जन्म औा हिन्दु नववर्ष के प् Каквал ताकि बाधायें समाप्त हो सके, और गृहस्थ जीवन आनन्दमय बन सके।। शारदीय नवरात्रि, विजया दशमी में साधना सम्पन्न कXNUMX
मार्गशीरраться уже इन पु выполнительный
जिससे गृहस्थ जीवन के असत्य, अधर्म, शत्रु, रोग, छल, विश्वासघात, गरीबी, आसुरी शक्तियों के युद्ध में मXNUMX धक गृहस्थ के सभी XNUMX स सरोबा возможности और श्रेष्ठता प्राप्त हो सकेगी।
पु выполнительный शक्ति और प्रेम की अधिष्ठात्री देवी गौरी माता सीता को माना गया है।।।।।।।।।। है है गौरी का स्वरूप ही यौवनमय, कान्तिमय तथा प्रणय से ओत-प्रोत है।।।।।। प्रेम जीवन का आधारभूत सत्य है।
साधक किसी शनिव शनिवार को पूर्व की ओर मुख करके पूजा स्थान में बैठ जाये।।।।। गुरू और गणपति पूजन कर। एक ताम्रपात्र में चावल कि ढे़री पर 'पुा इसके पश्चात् निम्न मंत्र का 5 दिन तक नित्य 5 माला मंत ударя
साधना समाप्ति के बाद समшить
बल, बुद्धि, पराक्रमी, संकटो का नाश करने वाले और दुःखों को दूर करने वाले भगवान शшить मन के साथ-साथ शा भी ऐसा तेजस्वी, बलवान औरी नि व आत आत्मविश्वास युक युक्त शक्ति का सौन्दा वही पूर्ण सफ़ल होता हैं।
साधक किसी विव रविवार को उतшить दिशा की ओ मुंह क क5 इसके बाद महावीर माला से निम्न मंत्र की 3 माला मंत्र जप नित्य XNUMX दिन तक सम्पन्न करें-
साधना समाप्ति के बाद समшить
सौभाग्य के क्षण जीवन में बहुत कम आते हैं, औ जो व्यक्ति इन महत महत महत महत क क औ जो व अपने की दिश दिश बदल बदल सकत है। को ले अपने की दिश को बदल सकत है।। तो अपने जीवन दिश बदल सकत सकत है है पकड़ अपने अपने जीवन जीवन के अभिश|
साधना समाप्ति के बाद समшить
षोडश कला पूर्ण का तात्पा वही धैर्य, सहनशीलता, वीरता, प्रेम, सम्मोहन, नीति, मर्यादा, आचरण, शीत चXNUMX स म जीवन में स स स हो औ उसक उसक भी पू जीवन भी स स स स।। स स स।।।।।।।।।।।।।।।।।।। सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें सकें हो हो हो हो हो
साधक किसी सोमव सोमवार को साधना पшить ताम्रपात्र में षोडश शक्ति यंत्र को स्थापित कर संक्षिप्त पूजन करें।।।।। फिर निम्न मंत्र की 5 माला मंत्र जप नित्य 7 दिनों षोडश म माला से सम्पन्न करें-
साधना समाप्ति के बाद समшить
मार्गशीर्ष मास जो कि पुरूषोत्तम साधनात्मक मास कहा जाता है साथ ही इसी मास में भगवान श्रीराम व सीता माता का परिणय पर्व उत्सव रूप में सम्पन्न करते है अतः उक्त सभी साधनायें इन्हीं पर्व स्वरूप दिवसों में सम्पन्न करने से जीवन की असुर राक्षसीमय रावणरूपी विषमतायें समाप्त हो सकेगी ।
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