इलापु выполнительный
वन्दे महोदारतरं स्वंभावं घृषшить
जो इलापुर के सुा मंदि मंदि में विराजमान होकर समस्त के आ आ आ आ हो हैं जिनका स्वभ बड़ ही उद उद उद हम उन घृष जिनकXNUMX स्वभ बड़ ही भगव भगव भगव भगव भगव की की की ज ज ज ज ज ज ज न ch
भगवान शिव का बारहवां ज्योतिर्लिगं घुश्मेश्वा यह जшить अजन्ता एवं एलोर की गुफाओं देवगि देवगि देवगि के समीप तड़ाप में अवस्थित है।।।।।। है। है है है Выбрать ज्योतिर्लिगं घुश ударя शिव कXNUMX
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिगं महाराравия सोलहवी शताब्दी में मंदि मंदिर का छत्रपति शिवाजी के दादाजी मालोजी राजे भोंसले पुननि पुननि Как बाद में महारानी अहिलшить इस ज्योतिर्लिगं के सम्बन्ध में शिवपुराण में यह कथा प्राप्त होती है।।।।
प्राचीन काल में इस सшить प पXNUMX दोनों ही परम शिवभक्त और धर्मनिष्ठ थे। विवाह के व वXNUMX बीत ज जXNUMX
सुदेह की छोटी बहन घुश्मा थी जो सदैव शिवभक्ति में तल्लीन 108 सुदेहा ने ज्योतिषियों आदि से गणना करा कर अपने पति का विवाह घुश्मा से का दिया।। विवाह के पश्चात् भी घुश्मा की शिव पूजावत्चात् भी घुश्मा की पूज पूज यथावत् चलती ही औ्मा की पूज पूज यथ यथ चलती ही औ पшить 108 प प लिंगों क पूजन क उन सब को समीप के स में विस विस देती। सब को के के स में विस क। को को समीप समीप समीप समीप समीप समीप को को को को को को को को समीप को को को को शीघ्र ही घुश्मा को पुत्र लाभ हुआ। जैसे-जैसे पुत्र बड़ा होता गया, वैसे ही वैसे सुदेह सुदेह के में बहन के प प Вивра द्वेष बढता गया।
एक र канавра में उसने सोते घुश घुश्मा के पुतшить की हत्या क दी औ शव शव उसी स पुत्रोव हत्या क दी औ शव स स स में ड दिय दिय जह घुश घुश्म शव स स स विस विस दिय क जह घुश घुश्म प स स विस विस विस क थी घुश घुश घुश घुश घुश विस क क क। घुश घुश विस विस विस।।। विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस विस ड ड विस विस ड ड ड विस विस ड ड विस विस ड ड जन ड ड ड
पुत्र वध की जानकारी होने प प भी नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि o विसर्जन करके वह लौटने लगी तो उसका पुत ударя तभी भगवान शंकर भी प्रकट हुये और घुश्मा से वर माँगने को कहा। घुश्मा ने अपनी बहन सुदेह द द्वेष नाश और सदшить सद प के द्वेष न औXNUMX तब से भगव|
इस प्रकार भगवान शिव के सभी बारह ज ударя जगद्गुरू आदि शंकराшем भगवान शिव के जшить
ज्योतिर्मय द्वादश लिंगकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण।।
स्तोत्रं पठित्वा मनुजाऽतिभक्तया फलं तदालोक्या निजं भजेच्च ।।
अर्थात-यदि मनुष्य वर्णित बारह ज्योतिर्लिगों के स्य वXNUMX भगवान शिव के ये बारह र्लिंग स्वयंभू हैं।
अर्थात-स्वतः ही प्रगट हुये हैं। अनेक सदियों इनकी पूज पूजा-अा होती चली आ XNUMX है, और सांसारिक मनुष्यो को ही शिव आ आ आ आ व चमतшить से अवगत क Как है आ।।।। चमत चमतшить से क हीं हीं।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। है।।। है। है समय क्रम में अथवा अन्य कई कारणों से मनшить के ध्वस्त कई क ज मन मन्दि के ध्वस्त हो ज ज भी भक्तों की आसшить से पूनः उन उन लिंगों प पुननि्तों हो हो हो हो हो हो हो हो हो ज हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो o आस ज ज हो o वैसे ध ध ध पXNUMX
श्रावण पूर्णिमा शिव गौरी पूर्णता पर्व पर शिवलिगं पर अभिषेक करते हुये परिवार के सभी सदस्यों को सद्गुरूदेव द्वारा उपहार स्वरूप फोटो द्वारा दीक्षा प्रदान कर सुहाग रक्षा ललिताम्बा संतान लक्ष्मी वृद्धि लॉकेट धारण करने से द्वादश ज्योतिर्लिगं मय चेतना से युक्त हो सकेगें। इस लॉकेट प प्знес से प पXNUMX में वृद वृदшить, सौभाग्य सुख, धन लक लक Вивра, वशं वृद्धि युक ударя लॉकेट हेतु कैल|
Нидхи Шримали
Обязательно получить Гуру дикша от почитаемого Гурудева до выполнения любой садханы или принятия любой другой дикши. Пожалуйста свяжитесь Кайлаш Сиддхашрам, Джодхпур через Эл. адрес , WhatsApp, Телефон or Отправить запрос чтобы получить посвященный энергией и освященный мантрой материал садханы и дальнейшее руководство,
Отправить по: