Поза- Асана считается священной в Ведах и Пуранах.
आसन विद्युत का कुचालक होता है। आसन पर बैठकर पूजन करने से पूजा से प्राप्त उर्ज ा जमीन में नहीं जाती व हमारे शरीर में ही बनी रहत ी है।
Лампа- Лампа – символ знания и света. Лампа
विषम संख्या में लगाने की परंपरा चली आ रही है। दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध व प्रकाशमय होता ह ै। दीपक में गाय के दूध से बना घी प्रयोग हो, घी-अग्न ि के संपर्क से घर के वातावरण में व्याप्त समस्त ज ीवाणु नष्ट हो जाते है। इससे घर का प्रदूषण समाप्त होता है।
Сандаловое дерево- Закрыть ै। इसके पीछे भाव हैं कि हमारा जीवन ईश्वर की कृपा स े सुंगधित हो जाये। वहीं चंदन का गुण शीतल होता है। इसलियें मस्तक पर चंदन धारण करने से हमारे स्वभ ाव में शीतलता आती है। शाति एवं तरावट का अनुभव होता है। मस्तिष्क में सेराटोनिन व बीटाएंडोरफिन नामक र सायनों का संतुलन होता है। चंदन से मेधा-शक्ति बढ़ती तथा मानसिक थकावट नही ं होती।
Панчамрит- पंचामृत का अर्थ है पांच अमृत। दूध, दही, घी, शहद, शक्कर मिलाकर पंचामृत बनाया जा ता है। इसी से भगवान का अभिषेक किया जाता है। पंचामृत आत्म-उन्नति के पांच प्रतीक है। ये पांचों सामग्री किसी न किसी रूप में उन्नति का संदेश देती है। दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुभ्रता का प्रतीक है। Просмотреть еще हिये। दही अर्पण का अर्थ है कि पहले हम निष्कलंक होने क ा सद्गुण अपनाये और दूसरों को भी अपने जैसा बनाये ं। घी स्निग्धता एवं स्नेह का प्रतीक है। सभी से हमारे स्नेह-युक्त संबध हों, यही भावना है । शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिदायक भी होता है। निर्बल व्यक्ति जीवन में सफलता नहीं पा सकता तन और मन से ऊर्जावान व्यक्ति ही सफल होता है। शहद इसी का प्रतीक है। शक्कर अर्पण करने का अर्थ है, जीवन में मिठास घोल ना तथा मधुर व्यवहार करना। हमारा जीवन शुभ रहे, स्वयं अच्छे बनें, तथा अपने Закрыть ुरता लायें। इससे सफलता हमारे कदम चूमेगी साथ ही हमारे भीतर महानता के गुण उत्पन्न होंगे।
Яйнопавит- यज्ञोपवीत देवाताओं को अर्पण किया जाता है। देवी पूजन में इसका प्रयोग नहीं होता है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है। यज्ञ और उपवीत। यज्ञ अर्थात शुभ और उपवीत अर्थात धारण अतः यज्ञ ोपवीत ग्रहण करने से उम्र, ताकत, बुद्धि और विवेक म ें वृद्धि होती है। यज्ञोपवीत पवित्रता का प्रतीक है। इसको कान पर लपेटकर मल-मूत्र का त्याग करने से कब ्ज का नाश होता है। कान के पास नस के दबने से यह एक्यूप्रेशर का कार् य करता है। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, प्रमेह, बहुमूत्र रोगों से बचाव करता है।
украшения- Закрыть िये जाते है। यह धन संपदा एवं सौंदर्य का प्रतीक है। Просмотреть еще र-शुद्ध है, उसी तरह स्वर्ण भी सदैव शुद्ध है। स्वर्ण के रूप में अपनी आत्मा को ही भगवान को अर् पण किया जाता है। जिस तरह स्वर्ण मूल्यवान है। हमारा शरीर भी मूल्यवान होता है। हमारा शरीर भगवान को समर्पित हो यही भावना होती है।
Тилак– पूजन हवन के अवसर पर भगवान के साथ-साथ उपस्थित ल ोगों को भी कुंकुंम, गुलाल, अबीर, हल्दी, सिंदूर आद ि का तिलक-टीका लगाया जाता है। कुंकुंम सम्मान, विजय, और आर्कषण का प्रतीक है। हल्दी, चूना, नींबू, से मिलकर कुंकुंम बनता है। ये तीनों वस्तुयें त्वचा का सौंदर्य बढ़ाने का काम करती हैं। इनसे रक्त शोधन होता है और मस्तिष्क के तंतु स्व स्थ होते हैं। पूजन में लाल गुलाल का प्रयोग होता है। यह पृथ्वी तत्व का प्रतीक है। इसमें तरंग शक्ति अधिक होती है और यह तेज वर्ण, ऊ र्जा, साहस और बल का प्रतीक है। अबीर देवों को अर्पण करना वस्तुतः विज्ञान एवं मनोविज्ञान का समन्वय है। यह सुंगध देता है, जिससे प्रातः सुगंधमय वातावर ण से मन स्वच्छमय होकर प्रसन्नता युक्त निर्मित होता है और इसकी सुगंध से कीटाणु नष्ट होते हैं। हल्दी एंटिबायोटिक एंटिसेप्टिक औषधि स्वरूप ह ै। इसिलिये पूजन में प्रयोग होती है। हल्दी का पीला रंग हमारे मस्तिष्क में शक्ति का संचार करता है। हल्दी से त्वचा के रोगों में लाभ होता है। हल्दी का रंग शुभ होता है। प्रातः इसको देखने से दिन शुभकारक होता है। सिंदूर का प्रयोग भी पूजन में किया जाता है। सिंदूर को सुख और सौभाग्य दायक माना जाता है। इसको महिलायें अखण्ड सुहाग प्राप्ति हेतु मांग में धारण करती हैं।
Акшат- चावल का अर्थ होता है, जो टूटा न हो। यह पूर्णता का प्रतीक है। इसका सफेद रंग शुभ्रता का प्रतीक है। इसको अर्पण करने का अर्थ है, पूजन का फल हमें प्र ाप्त हो। इसमें स्टार्च होता है, जो हमें पौष्टिकता प्रद ान करता है।
Дурва-यानी दूब यह एक तरह की घास है। विशेषतः गणेशजी के पूजन में प्रयोग होती है। यह एक औषधि है। Закрыть ती है। दूर्वा को देखने और छूने से मानसिक शांति प्राप ्त होती है। वैज्ञानिको ने इसको कैंसर उपचार में भी उपयोगी माना है।
цветочное колье После поклонения Богу преподносят цветы и гирлянды. Есть смысл подносить цветы, пусть в нашей жизни будет благоухание, цветы красочны и прекрасны. Созерцание их делает ум счастливым. Красота видна даже в поклонении. Атмосфера становится ароматной. Это символ усиления красоты в жизни и превращения ее в приятную.
Фрукты- पूर्णता का प्रतीक होते हैं। उन्हें अर्पित कर हम भगवान से अपने कार्य के पूर ्ण फल प्राप्त होने की कामना करते हैं। फल पूर्ण रसदार, मीठे, सद्गुण, पौष्टिकता और शक्त ि से पूर्ण होते है। दुर्बल को शक्तिशाली और रोगी को निरोगमय बनाते हैं। वैसे ही हम भी बनें, ऐसे भाव अर्पित करते हैं।
Тамбул Пан- पूजन-हवन में पान मुख्य रूप से काम में आता है। Просмотреть еще ा, प्रेम, और सौंदर्य का प्रतीक है वहीं यह कफ जनित Закрыть सहायक होता है।
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