निश्चित ही बीजों के साथ की गई मेहनत की फस काट रह रह अकлать फ़ासला इतना हो जाता है कि हम हैं हैं, बीज हमने बोये थे अमृत के के न म म कैस कैस दु दु तो थे फल विष के उपलब उपलब म कैस कैस दु दु दु दु दु हुये हुये हुये हैं दु दु दु दु दु हैं दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये हुये
लेकिन इस में जो हम बोते हैं उसके अति выполнение हम वही पाते हैं जो हम अपने को निर्मित करते हैं। हम वही पाते हैं जिसकी हम तैयारी करते हैं। हम वहीं पहुंचते हैं जहां की हम यात्रा करते हैं। हम वहां नहीं पहुंचते जहां की हमने यात्रा ही न ही ।ी की हमने यद्यपि हो सकता य यात्रा कXNUMX मैं नदी की तरफ़ नहीं जा रहा हूं। मन सोचत सोचत हूं कि नदी त त त जXNUMX ह लेकिन ब नदी की त त त ज जXNUMX सोचने से नहीं पहुंचता है आदमी। किन रास्तों पर चलना है उनसे पहुंचता है। मंजिलें मन में तय नहीं होती, रास्ते पर तय होती हई
आप कोई भी सपना देखते XNUMX, अग बीज आपने नीम के बो हैं औ औ सपने में श श यह हे हो उससे आपको कोई स स श यह हे हो कि आपको कोई स स स मधु मधु हे हे कि आपको कोई स स स स मधु फल हे हो कि आपको कोई स स स स स स कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई कोई आपके सपनों से फल नहीं निकलते! फल आपके बोये बीजों से निकलते हैं। इसीलिए आखि में जब के कड़वे फल ह हाथ में आते हैं श श आप होते होते हैं हैं पछत पछत हैं औ सोचते कि मैंने तो बोये थे अमृत के, फल कड़वे कैसे आये आये आये आये आये आये आये आये आये आये मैंने तो बोये अमृत के फल कैसे कैसे कैसे ध्यान रहे, फल ही कसौटी है, परीक्षा है बीज की। फल ही बताता है कि बीज आपने कैसे बोये थे। आपने कल्पना क्या की थी, उससे बीजों को प प्रयोजन नहीं है।।।।।।। हम सभी लेन लेना चाहते हैं जीवन में लेकिन आता कहां है आनंद! हम सभी शांति चाहते हैं जीवन में, लेकिन मिलती कहां है शांति! हम सभी चाहते हैं सुख सुख, महासुख ही बरसे, पर बरसता कभी नहीं।।।। तो इस में एक बात इस सूत्र में लेनी ज ज ज ज है हम हम हम हम हम च से आते फल, हम बोते हैं उससे हैं।।।।।।।।।। उससे उससे हम चाहते कुछ हैं, बोते कुछ हैं। हम बोते जहर है और चाहते अमृत हैं। इसलिये जब आते है तो जह के ही आते हैं हैं, दुःख औ पीड़ पीड़ के आते हैं, न न ही फलित होत होत है।।।।।।।।।।।।।।।। हम सब अपने जीवन को देखें तो ख्याल में आ सकता ह॥। जीवन भर चलकर हम सिवाय दुःख के ew रोज दुःख घना होता चला जाता है। रोज रात कटती नहीं और बड़ी होती चली जाती है। ा पैरों में पतшить बंध जाते हैं के के, पैर नृत्य नहीं कर पाते हैं।।।।।।। उस खुशी में जिस खुशी की हम तलाश में है। क्योंकि कहीं कहीं हम हम, हम ही- क्योंकि और कोई है- कुछ गलत बो लेते हैं।।।।।। उस गलत बोने में ही हम अपने शत्रु सिद्ध होतै हं।
जो हम बोयेंगे वही हमको मिलेगा। जीवन में चारों ओर हमारी ही फैंकी ध ध्वनियां पшить थोड़ा समय अवश्य लगता है। ध्वनि टकराती है बाहर की दिशाओं से, और लौट आती है। जब तक है तब तक हमें खшить
बुद्ध का एक शिष्य रास्ते से गुजर रहा था। उसके साथ दस-पंद्रह सन्यासी थे। उसके पैर में जोर से पत्थर लग गया, ास्ते पर खून लग लगा, शिष्य आकाश की त ह ह जोड़ क किसी आनन्द-भ में त गय गय ह ह जोड़ क आनन आननшить में त त गय गय ह ह जोड़ क किसी आनन आनन आक लीन हो गय गय गय गय गय।। आनन गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय गय उसके साथी भिक्षु हैरानी में खडे़ XNUMX तब उससे पूछते हैं कि आप क्या कर रहे थे? पैर में लगी लगी, पत्थर लगा, खून बह बहXNUMX औ कुछ इस पшить Закрыть किसी को कभी पत्थर मारा था, आज उससे छुटकारा हो गयाा आज नमस्काा
लेकिन अगर आप र канавра प चलते वक्त पतшить पै में लग ज ज ज तो तो बहुत कम संभ संभ संभ है कि ऐस सोचे कि बोए हुये बीज क फल सकत है। सोचे किसी हुये बीज क फल सकत है।।। कि बीज बीज बीज क हो है।।।।।।। ऐसा नहीं सोच पायेंगे, संभावना यही है र रास्ते पर पड़े पत पत्थर को आप एक गाली जरूर देंगे।।।।।।। ग ग पत्थर को भी गाली और कभी ख्याल भी क क क पत पतшить को दी गई गाली, फिर बीज बो हे हैं आप! पत्थर को दी हुई गाली भी बीज बनेगी। सवाल यह नहीं है कि किसको गाली दी। सवाल यह है कि आपने गाली दी, वह वापस लौटेगी।
गांव में स साधारण ग्रामीण किसान बैलों ग ग देने में बहुत ही कुशल थ थ वह अपनी बैलग बैलग में बैठ क ग की त त आ ह बैलग बैलग।। क क ग त त आ ह बैलग बैलग।। क क ग त आ ह ह थ।।। क क।। ह ह थ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। उसी रास्ते से एक ऋषि निकल रहे थे । Закрыть बड़े आंतरिक संबंध बना रहा है गालियों से। ऋषि उसे रोकते हैं, पागल, तू यह क्या कर रहा है? वह आदमी कहत कहत है र र बैल मुझे गाली वापस तो लौट लौटXNUMX वह आदमी ठीक कहता है। हमारा गणित बिल्कुल ऐसा ही है। जो आदमी गाली वापस नहीं लौटा सकता उसे गाली देने ह हर्ज क्या है? इसलिये अपने से कमजोर को देख कर हम सब गाली देते है हम बेवजह गाली देते हैं, जब कोई जरूरत भी न हो। कमजोर दिखा कि हमारा दिल मचलता है कि थोड़ल इसके तको तल
ऋषि ने कहा, बैलों ग गाली तू दे XNUMX है, अगर वे गाली लौटा सकते तो कम खतरा था, क्योंकि समझौत अभी हो जाता। Закрыть तू महंगे सौदे में पडे़गा। यह गाली देना छोड़! ऋषि त तरफ़ उस ने ने देखा, ऋषि की आंखों को देख देख उनके को को, उनकी श श को को देखा। उसने उनके पैर छुये और कहा कि मैं कसम लेता हूं, इन को गाली नहीं दूंगा।
ऋषि दूसरे गांव चले गये। दो-चार दिन ने बड़ी मेहनत से अपने को ोक रोका, लेकिन से दुनिय दुनिय में कोई रुकावटें नहीं होती।।।।।।।।।। रुकावट होती है समझ से! दो-चार दिन में प्रभाव क्षीण हुआ। वह आदमी अपनी जगह वापस लौट आया। उसने कहा, छोड़ो भी, ऐसे तो हम मुसीबत में पड़ जाथय॥ बैलगाड़ी से आना मुश्किल हो गया। हिसाब बैलगाड़ी चलाने का रखें कि गाली न देने क। ररर बैलों को जोते की अपने को जोते। बैलों को सम्भालें कि खुद को संभाले यह तो एक मुसथथ
गाली उसने वापस देनी शुरू कर दी। चार दिन जितनी रोकी थी उतनी एक दिन में निकाल ली। रफ़ा-दफ़ा हुआ, मामला हल्का हुआ, उसका मन शांत हुआ। कोई तीन- चार महीने बाद ऋषि उस गांव में वापस निॕह ल ल उनको पता भी नहीं था कि वह आदमी फिर मिल जायेगऍथेाम ॰ात वह धुआंधार गालियां दे रहा है बैलों को। ऋषि ने खड़े होकर कहा, यह क्या है मेरे भाई? उसने देखा ऋषि को और जल्दी ही बात बदली। उसने कहा बैलों से, देखो बैल, ये तुम तुम्हे गालियां दी, ऐसी तुम तुम्हे पहले दिया करता था। अब मेरे प्यारे बेटो, जरा तेजी से चलो!
ऋषि ने कह कह तू को ही धोख धोख नही दे ह ह है तू भी धोख धोख दे ह ह ह ह है तू मुझे भी धोख दे दे ह है औ तू मुझे धोख दे इससे ह ह नहीं है, तू को धोख धोख दे ह है ह नहीं है तू को धोख धोख ह है। ह है अपने को धोख ह ह इससे।।। को को धोख दे ह ह।।। ह को को धोख दे ह ह।। ह दे ऋषि ने कहा, हो सकता है मैं दुबारा इस गांव फिर क।ी क।ी ऋषि ने कहा मैं म| लेकिन किसलिये याद दिला रहा था? तू मुझे धोखा दे तू बैलों को धोख धोखा दे, इसका बहुत अ अ नहीं है है लेकिन तू अपने ही धोख धोख धोख दे Как ह।।।।।।। धोख धोख धोख धोख ह ह है
जीवन में भी हम कुछ बु बुXNUMX क Как हे तो हम दूस दूस के स साथ कXNUMX प्राथमिक रूप से हम अपने ही साथ कर रहे हैं। क्योंकि अंतिम फल हमें भोगने हैं। वह जो भी हम बो रहे हैं, उसकी फसल हमें काटनी है। इंच-इंच का हिसाब है। इस जगह में कुछ भी बेहिसाब नहीं जाता है। हम अपने शत्रु हो जोते हैं। हम कुछ ऐसा करते हैं जिससे हम अपने को ही दुःख में ड ड हैं स स्वयं ही दुःख उत उत की सीढि़यां निा क क हैं।।।।।।।
तो ठीक देख लेन लेना, जो अपन अपना शत्ा है वही आदमी अध अध है औ औ जो अपना शतшить है वह किसी क क मित तो हो हो सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग सकेग शत случайные? जो अपना भी मित्र नहीं, जो लिये लिये ही दुःख के आधार बना Как पहला पाप अपने साथ शत्रुता है, फिर उसका फैलाव होततत
फिर अपने लोगों के साथ शत्रुता बनती है, फिर दूरतम लोगों के साथ।।।। फिर जहर फैलता चला जाता है, हमें पता भी नहीं चलता। जैसे कि झील में पत्थर फ़ेंक दे! चोट पड़ते पत पत्थर तो नीचे बैठ जाता है क्षण भर में, लेकिन की की सतह प उठी लह लहरें दूर- दू तक य की प उठी लह लह लह दूर-दू तक य प निकल ज लह लह दू दू दू दू तक य प ज लह लह लह दू दू दू दू तक तक की ज लह लह लह दू दू दू दू दू तक तक तक दू हैं लह दू दू दू दू दू दू दू दू।।।।।।।।।।।।।।। लहरें चलती जाती हैं अनंत तक। ऐसे ही जो कXNUMX, हम क क क चूक भी ज हैं हैं आपने ग ग दे दे ब ब खत ज गई हैं आपने ग ग ग दे दी दी ब ब खत खत हो गई फि आप गीत पढ़ने लगे य य हुईं हुईं त त त पैद पैद पैद पैद पैद पैद चल पैद चल चल पैद पैद पैद पैद पैद पैद पैद हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं हुईं वे न मालूम कितने दू के छो छो छो को औ औ जितन जितन अहित ग ग ग से होग होग उतने स औ जितन आप जिम जिम ग से से होग उतने स अहित के आप जिम जिमшить से गये गये गये! आप कहेंगे, कितना अहित हो सकता है एक गाली से? मैं कहत| आपने उठाईं वे लहरें। आपने ही बोया वह बीज। अब वह चल पड़ा। अब वह दूर-दूर तक फैल जायेगा। एक छोटी सी दी हुई गाली से क्या-क्या हो सकता है। अगा आपने में ग ग दी हो औ औ किसी न सुनी हो हो, तब श श श आप सोचेंगे कुछ भी नहीं होग होगा प पXNUMX Закрыть उसके परिणाम होंगे ही। आप बहुत सूक्ष्म तरंगें पैदा करते हैं अपने चारों ओरंगें तरंगें फैलती हैं।।।।।। उन तरंगों के प्रभाव में जो भी लोग आएंगे वे गलत रास्ते पर धक्का खायेंगे।।।।
अभी बहुत चलत चलता है सूक्ष्मतम तरंगों पर औाल में आत आत है है है कि अग गलत एक जगह एकत एकत हों सि सि है कि अग गलत एक जगह एकत एकत हों सि सि चुपच बैठे बैठे बैठे गलत गलत गलत गलत गलत गलत हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हों हों हों हों औ औ औ औ ख ख ख ख एकत हों हिस्सा है वह ऊपर आ ज जXNUMX दोनों हिस्से आपके भीतर हैं। अगा कुछ अच्छे लोग हों एक जगह प्रभु का स्मरण क क हों प प्रभु का स्मरण करते हों, प्रभु का गीत गाते हों, किसी सद के के फूलों की प प प प प प प प प प प प प प प प प गुज गुज गुज गुज गुज गुज गुज गुज गुज गुज गुज गुज प प प प प प प प प आपका गलत हिस्सा नीचे दब जाता है, आपका शшить आपकी संभावन скон
एक छोट| बुद्ध अपने भिक्षुओं से कहते थे की तू चौबीस घंटे घंटे, राह प कोई देखे उसकी उसकी मंगल की कामना करना। वृक्ष भी ज जाये तो उसकी मंगल क कXNUMX पहाड़ भी ज जXNUMX एक भिक्षु ने पूछा, इससे क्या फ़ायदा? बुद्ध ने कहा, इसके दो फ़ायदे हैं। पहला तो यह कि तुम्हें गाली देने का अवसर न मिलेगाी तुम्हें बुरा ख्याल करने का अवसर न मिलेगा। तुम्हरी शक्ति नियोजित हो जायेगी मंगल की दिश में औ दूस दूसXNUMX फ़ ज ज की दिश किसी औ मंगल कि क कामना क हो तो उसके भीत भी प प कि पैद पैद हो। तुम उसके भीत भी प प पैद पैद पैद हो तुम वह भी तुम्हारे लिये मंगल की कामना करता है।
इसलिये भारतवा उस आदमी को देख कर हमने प्रभु का स्मरण किया। तो ठीक नमस नमस्कार करना जानते हैं वे सि सिшить उच्चारण नहीं क क क क वे उस में र र की पшить उन्होंने उस आदमी को देख कर प्रभु का स्मरण किया। उस की मौजूदगी प्रभु के स्मरण की घड़ी पैद की गई औ हो सकत स स वह आदमी श पैद की गई औ हो सकत है है वह आदमी श श Как र म उत न हो औ ज र र न हो हो लेकिन उत उत में र र र र न हो हो लेकिन र र र र र र म म म म र र र र र र म म लेकिन उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत म उत उत उत उसके भीतर भी कुछ ऊपर आयेगा।
जीवन बहुत छोटी-छोटी घटनाओं से निर्मित होता है। मंगल की कामना या प्रभु का स्मरण आपके भीत जो शшить जब आप के स स दोनों ह ह जोड़ क सिर सिा देते हैं आप उसको भी झुकने क क अवस अवस देते हैं।।।।।।।।।।। औ झुकने बड़ बड़ा अवस इस जगत में दूस दूस नहीं क क क झुक झुक सि सि कुछ बु बु नहीं प प प झुक झुक झुक सि ग नहीं नहीं य य य हो हो хозяй करके सिर झुकायें और कल्पना भी करे कि परमात्मा दूसरी तरफ़ है तो अपने में भी फ फXNUMX प औ उस में फ़ फ़ प फ फ फ फ। प प प फ फ फ फ फ फ फ फ फ प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प वह आपके प प से गुज गुज गुज गुज आपने उसके लिये प प प प क काम किया, उसके भीत भीत कुछ सोन सोना दिया दिय औ आप के लिये लिये प पा का क क तो भी भी लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी हम सम्बन्धों में जीते हैं, हम च चारों तरफ़ अगरप क क हम अपने च च त त अग प प क क क क क क तो यह असंभव है ब ब लोग हम हम लिये प ज ज कि ब ब लोग हम हम लिये न ज ज कि ब ब।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। वे भी हो जाते हैं।
अपना मित्र वही जो च च च ओ ओ मंगल क क फैल क क क है अपने अपने अपने च च च च ओ शुभ की क क क क क भ भ भ से से भ भ भ भ भ ओ नमन= ओ ओ= ओ शुभ ओ= शुभ भ नमन= शुभ नमन नमन व= शुभ नमन नमन= शुभ भ नमन व= शुभ भ नमन नमन= ओ भ नमन नमन= ओ भ भ नमन नमन नमन नमन nहुआ भ. भरा हो वह अपने लिये अमंगल से कैसे भर सकता है? जो दूसरों के लिये की क कामना से भरा हो अपने लिये दुःख की क कामना से भ भर सकता। वह अपना मित्र हो जाता है और अपना मित्र हो जाना बहुत बड़ी घटना है।।।।। जो अपना मित्र हो गया वह धार्मिक हो गया। अब वह ऐस ऐस भी काम क कर सकता जिससे स्वयं को दुःख।।।।।।।।। तो अपन| दिन में हम हजार काम कर रहे हैं जिनसे हम दुःख पथा ह॥ हजार बार पा चुके हैं। लेकिन कभी ठीक से त त त नहीं समझ प पXNUMX वही बात जो हज हजार बार मुश्किल में डाल चुकी है, वही व्यवहार मुश हज ड ड चुकी है है, वही व्यवहार जो आपको हजार ब पीड़ा पीड़ में धक दे चुक है है आप फि भी क क क क क पीड़ देती है फि फि फि।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है वही सब दोहराए चले जाते है यंत्र की भांति!
हम एक क्षण भर अग выполнительный हमने तो च| दो-चा возможности यह तो जीवन का एक पшить है है कि दृष दृष्टि में, चाहे निर्धनता में जियें, चाहे अमीरी में, वैभव जियें।।।।।।।। जियें जियें जियें जियें जियें जियें जियें जब तक के इस मूल चिन चिन को को नहीं तब तब तक सही अ अ में जीवित भी नहीं हो प तो तो फि जीवन की प प भी नहीं हो प तो फि फि की प प प को समझ समझ प प तो फि जीवन प प प प प समझ समझ समझ प कौन फि फि की प प प प प प समझ समझ कौन कौन कौन तो फि की प प प प प प प समझ कौन कौन कौन कौन कौन तो प प प प प प प प प प प प की की की की की कौन बतायेगा कि हमारे जीवन का मकसद क्या है? कौन बतायेगा कि यह जीवन व्यर्थ है? क्या हर समय व्यस्त रहने और तनाव में गुजरने की कшить क ही जीवन कहते है है है है है है? शास्त्रों में तो इसको जीवन नहीं कहा जाता है। शास्त्रों में इस क कшить क मृत्यु कह जXNUMX इस चिन्तन को सोचा-समझा ही नहीं औXNUMX जीवन का आनन्द तो वे लेते हैं, जो जीवन को समझते है। जो म मानस выполни जो छोटी-छोटी तलैयांओं किन किनारे बैठ बैठ बैठ वह क्या जाने कि म मXNUMX
मेंढक कुएं के किन किन किन से चलन चलन शु शु क के औ पू पूा चक्कर लगाकर क स स स पXNUMX दिया जाये तो अथ अथXNUMX जल देखक वह आश्चर्य में पड़ जायेगा, अरे! मैंने कुछ नहीं देख देखा था, दुनिया तो कुछ औ है है, संस संस तो औ औ है है है यदि भले से भी उस त औ औ है है औ यदि भले से उस उस त कुछ क क पू औ यदि औ औ औ मन में में में में में में में में में में में मन वшить में व व व पू्क= में में व मन मनанв मन मन मन्यक= जीवन देख लिया है, अब बड़ बड़ा तालाब, इससे बड़ी र र इससे बड़ा जलाशय क्या हो सकता है। यह बहुत लम लम्बा-चौड़ा तालाब है औ मैंने मैंने प Вивра करके इसका पू पू चक्का लग लग यही जीवन है औ यदि स स स स स स स स ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज गि ज सा हिस्सा था, वह जीवन था ही नहीं।
तुम्हारी भी स्थिति उस कुंए के मेंढक त त त है तुमने भी एक सीमित द द द द में की क क Виана को जीवन म मान लिय है। पत्नी है, एक-दो पुत्र है, थोडा-सा धन है, मकान है, समाज में सम्मान है, सम्पदा है औ इसी तुमने जीवन म म जीवन जीवन तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको तुमको ज ज ज ज ज ज ज ज ज ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब क ब ब क ब ब ब है है ब ब है है ब ब है है तुमको है है को कभी देखा ही नहीं इससे बड़ बड़ भी एक समाज है, स्थान है औ औ जब तुम वह वह ज ज तुम जो जीवन जी हे तुम जिस घे घे घे घे है हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस हिस है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह एक एक वह वह वह वह वह वह एक एक एक विवशता है, एक मजबूरी है। समाज में जिन्दा रहना तुम्हारी मजबूरी है। परिवार का पालन-पोषण करना तुम्हारी मजबूरी है। समाज सदैव तुम्हारे साथ, या पXNUMX
जब ड ड थे 'वाल्मीकि' ऋषि तो बहुत बाद में उन उन्होंने राम की तो ब ब में बने उन र र तो वह भय भय ड ड थे बXNUMX, म म छीन लेन ही उनक क य य खसोटन खसोटन खसोटन खसोटन।। क क य य य य य य य य य।।।।।।।।।।।।।।।।।।। म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म की की की म की की की की म म की उन, एक बार नारद उनके हाथ में पड़ गये न नारद तो वीणाते हुये न पड़ गये गये नXNUMX ह ह ह हुये न पड़ गये गये न न तो वीण बजा बज हुये हुये न औ औ औ औ व मिल मिल मिल मिल मिल मिल मिल मिल मिल मिल नहीं नहीं नहीं नहीं लхов नहीं नहीं लven नहीं नहीं नहींven नहीं नहीं लिय लvro ली।
नारद् ने कहा- अरे! तुम एक साधु को लूट रहे हो, तुम ये क्या कर रहे हो। उसने कहा- दूस दूसा मिला ही नहीं औ जब तक मैं लूट खसोट नहीं क लूं लूं तब तक भोजन क क क नहीं न क लूं लूं तब तक मैं भोजन क क ही नहीं न कोई क क तब मैं भोजन क क ही नहीं न क क क यह यह तो तो तो तो तो तो तो बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच बेच व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व नहीं नहीं नहीं व नहीं नहीं खसोट न कोई क ही जायेगा और तुम्हा возможности उचित तो मग मग यह करूंगा जा क्योंकि मुझें प परिवार का पालन-पोषण करना है।।।।।।।।।। नारद ने कहा- क्या तुम्हारा परिवार तुम्हारा तुमाथ देगा, क्योंकि तुम प पाप कर हो।।।।। वाल्मीकि ने कहा- जाप प पXNUMX क क क किसी की हत हत्या कर देन किसी को से लूट लेन प हत हत है है मै ज ज ह हूं मग मैं मैं ही प ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह हूं हूं हूं ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही अकेल अपने परिवार के लिये कर रहा हूं। परिवार मेरा साथ देगा ही।
नारद् ने कहा पहले तुम अपने परिवार वालों से पू। लले वाल्मीकि ने एक रस्सी से नारद को पेड़ में बांध दिया और घर चले गये।।।। बूढ़ी म| क्या यह पाप है और क्या तुम भी मेरे पाप में भागीदर यह पाप तो है ही। मां ने कहा-बेटा जरूर पाप है। वाल्मीकि ने कहा मैं इससे तुम लोगो को रोटी खिला Как अन अन्न दे ह ह हूं आवास दे ह हूं तुम भी प में भ भ आव हो।। तो भी प में में भ भ आव हो। तो भी प प भ भ भ भ हो। तो भी प प में भ भ भ भ। तुम भी प में भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ मां ने कहा-मैं प पXNUMX भ भ भ भ भ होती तुम तुम तुमtrह प प प तुम तुम तुमinप प तुम तुमinप क को म म म को ोटी खिल तू कैसे कैसे प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क प) कहा भी नहीं, मैं इसमें भागीदार नहीं हो सकती।
वाल्मीकि पत्नी के पास गए, पत्नी से कहा-देख, डाकू हुं औ औ सैकड़ों की हत्याएं की हैं, लूटा है, खसोटा है, म म है है है है है है है है तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे तुझे हैं हैं है है है है, लूटना, मारना पाप है। पत्नी ने कहा-निःसन्देह पाप है। वाल्मीकि ने पूछा-तुम तुम्हारे लिए क क Как क क्योंकि ऐसा करने प ही मैं तुम तुम्हे अन्न दे सकत भोजन दे दे औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ सकत सकत सकत सकत सकत हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं े े े े े े े े chven े सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत सकत, में भागीदार हो। पत्नी ने कह मैं तो प प में भ भ भ भ भ भ भ भ हूं एक पति क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क पत्नी क भvenमेद ी जिम जिमvworण जिम जिमvworण जिम जिमvworण भ ीvworण भ ी Вишен जिम्नी भ्नी o ।
वाल्मीकि वापस आ गए न नारद को से से खोला औ छोड़ दिय उसी उसी क्षण उन्होंने पाप पूर्ण डाकू का कार्य क का-छीन छीनXNUMX क क क छीनXNUMX क्या तुम भी वाल्मीकि डाकू से कुछ कम हो? क्या तुम छीना-झपटी नहीं कर रहे? छल नहीं कर रहे? झूठ, कपट, और असत्य नहीं कर रहे? औ выполнительный पाप में भागीदा возможности तुम्हें अकेले यह प पXNUMX
फिर तुम कब इस चेतना को, इस जीवन को समझ सकोगे? कब तुम्हें नारद् मिलेंगे? कब तुम्हें ऋषि मिलेंगे? कब तुम्हें समझा सकेंगे? कि यह जीवन नहीं है, जो तुम कर रहे हो। जब तुम ऐस ऐसा करोगे तब तक जीवन तुम तुम्हें कुछ मिलेग ही नहीं नहीं तक जीवन जीवन क तुम अ अ समझोगे नहीं नहीं, ज ज तो तुम यह यह यह यह मिले गु गु गु गु गु मिले मिले मिले मिले यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह यह जो जो जो मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले मिले नहीं नहीं मिले न युक्त पाप पूर्ण कार्य बेकार है।
र रास्ते पर तुम चल रहे हो र रास्ते से शमश शमश की य य य य उस हो सकेगी यह कफन ओढ़ क क श श श में प प कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछхов कुछ कुछ प= कुछ प= कुछ प= कुछ कुछ= कुछ कुछ= कुछ कुछ= कुछ कुछ प= है कुछ प= है कुछ है= है, नहीं करहे हो कुछ तुम प प्राप्त करहे हो मक मक तुम यह धन धन, ये च के टुकड़े टुकड़े ये क के नोट नोट यह पत पत ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह हin नहीं, तुम्हारे साथ उनकी यात्रा नहीं है और तुमшить वे तुम्हारे सहयोगी नहीं है। साथ तो तुम्हारे जीवन के कर्म चलेंगे, तुम्हारी पшить
यदि तुम ऐसा चिन्तन करते हो, यदि तुम्ह मन ऐस ऐस ऐस विच विच है है है तुम जीवन क पहल पहल सीख हो हो पहल पहल अध दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम तो तो उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके उसके लिए उसके उसके लिए लिए उसके लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए सकते सकते लिए उसके सीख ऐस, , जो तुम्हे समझा सके, कि जो जो कुछ क Как हे वह तुम खुद क क हे हो उसके कोई सहयोगी नहीं है।।।।। है है।।।।। तुम्हारे पाप कार्य में कोई भागीदार नहीं है तुम जो झूठ औ औ छल क हे हो उसक उसक फल तुम ही भोगन असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत असत में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में फल फल में में में फल है रोगों से जावों अभावों से पीडि़त, असत्य, परेशान, दुःखी, अतृत्प।। जब बेटे पूछते ही नहीं जब बहुएं उनक उनकXNUMX
ऐसा तुम्हारा जीवन किस काम आयेगा, क्या प्रयोजन है जीवन जीवन का? क्योंकि इस को ल लाश त तरह उठा कर के इस जीवन में कुछ प पшить जो जीवन, वह पत पत्थरों के ढे़र है, कपट पत पत्थर है असत्य औ औ्यभिचार के प प्राप होत होत दुःख दुःख प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब प प ब ब ब प प प है है वह तो तो तो तो तो तो दो-चार कदम प प ही इनक इनका सामना करना पड़ेगा, फिर तुम तुम्हारा स नहीं नहीं देग घXNUMX क्योंकि तुमने जीवन में ऐस ऐसा मार्ग दर्शक ढूंढ ही नहीं तुम तुम्हें ज्ञान दे, झकझोर सके, चेतन दे सके दमखम स स स स तुम तुम तुम सत भ क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क दमखम दमखम दमखम दमखम दमखम तुम तुम ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम दमखम दमखम
किसी आंख, नाक, कान, हाथ, पैर वाले को शिष्य नहीं ॕहत चलने-फि वाला व्यक्ति को शिष्य नहीं कहते कहते, शिष्य तो कहते है है, जिसमें श्रद्धा औ सम सम है इन दोनों से से नि अग अग अग अग अग नि नि नि नि नि नि अग नि अग अग अग शिष शिष शिष शिष शिष शिष शिषхов शिष शिष शिष शिष शिषхов शिष शिष शिष शिष शिष शिषхов शिष है औ शिष शिष शिष शिषin , वह जीवन के रास्ते पर गतिशील हो सकता है।
मात्र दीक्षा लेने वाले को शिष्य नहीं कहते कहते, सिर मुंडाने को शिष शिष शिष नहीं कहते ह, हरिद्वाen कि तुम र रास्ते पर हो, तुम्हे कह सके कि यह रравило श्मशान की ओ ज ज है पू पू पू अमृत अमृत आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आननin ऐसे तो तुम्हारे बाप-दादा, परदादा हजारों बाप दादा, परदाद| तुम भी तXNUMX इस यात्रा में तुम्हारे अन्दर कई प्रकार की भ्रांतियां आयेगी, क्योंकि तुमने इन भ्रांतियों को ही पाल रखा है, तुमने अपने अन्दर शक,संदेह,कपट,और व्याभिचार को पाल रखा है और वे सब तुम्हारे सामने तन कर खड़े हो जायंगे, तुम्हारे मार्ग को भ्रष्ट करेंगे, तुम्हें कुमार्ग पर गतिशील करेंगे, वे कहेंगे-गु गु की खोज वшить व है, तुम तुम यह यह समय ब ब ब ब व्या क।। यह, यह ब ब ब ब क क क।।।। कहेंगे कहेंगे यह यह क।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। तुमने अपने जीवन में छल को प्रश्रय दिया है। तुमने अपने में कपट क काथ दिया है है, तो इस समय तुम्हारे सामने खड़े XNUMX।। क्योंकि इससे उनका स्वार्थ सिद्ध होता है।
कायर और बुजदिल हताश हो जाते है, निाश हो ज है है बंद बंद क क देते है, मगर जो हिम है है निश निश है जो जो जो जो क क क क क क क क क क क क क क क क निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश व व व व व व उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने उठने व व व है है है निश करनी है, मुझे ऐसा घिसा-पिटा जीवन नहीं जीन जीन है अपने जीवन में वह सब कुछ प प्राप्त करना है जो क क आनन है जो ओ ओшить अमृत की ओшить की ओ ओшить की ओшить की ओшить से ओшли. वाल|
जो निश्चय करके यह प्रयत्न करता है, कि गु गुरू को पшить दूसरा, जो र रास्ते पर गतिशील होने क क्रिया करता है वह सही अ अर्थो में तपस्वी है।।।।।।। है तपस o जंगलों में खाक छानने वाले को तपस्वी नहीं कहते, जो जीवन के म म म म म म समझने की क क है, वे 'योगी' औXNUMX जो गु выполнительный निश्चय ही उस जीवन -पथ पर तेजी के साथ अग्रसर हो ड़ाती
इस जीवन मार्ग पर केवल शिष्य चल सकता है, साधक तो छोटी सी चीज है, शिष्य के सामने साधक की औक नहीं होती होती। शिष के सामने स की औक होती योगी, तपस्वी उसके सामने कहीं ठह नहीं पाते उसके सामने कोई औकात नहीं होती।।।।। उसके स| जागने से पहले जागता है, गुरू के सोने के बा। सो।हा ा जो केवल ब ब| हम गुरू के प पшить से ह हXNUMX पै बनें न न प आंख आंख बनें, सिर बनें, विचार बनें, भावना बनें, धारणा बनें, किस प्रक| से बनें बनें बनें बनें बनें बनें बनें किस युक्ति से बने? जो केवल इतना ही चिन्तन करता है, वही सही अर्थो में शिष्य कहलाता है और सच्चा शिष्य सही अर्थो में बना हुआ सच्चा शिष्य ही अपने आप उस रास्ते पर खड़ा हो जाता है, जो पूर्णता का रास्ता होता है, जो पवित्रता का रास्ता होता है, जो ब्रह्म तक पहुंचने का रास्ता होता है। इसीलिए शिष्य की समानता तो देवता, यक्ष, गन्धा
Его Святейшество Садхгурудев
Г-н Кайлаш Шримали
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