वेद व्यास ने मनुष्य को मृत क्यों कहा? क्या सांस लेने या नहीं लेने से वшить जीवित जीवित य मृत हो जाता है? वास्तव में व व्यक्ति वही है है, जिनमे हौसला नहीं है, साहस नहीं है, कшить ऐसे लोग मृत है। मनुष्य तो है, जिंदा भी है, मगXNUMX बाधाएँ नही है, अड़चने, कठिनाइयाँ नहीं है तो मनुष मनुष जीवन हो ही नही सकत सकत मनुष मनुष जीवन कहते कि ह पग प नही सकत सकत सकत मनुष जीवन कहते हैं ह ह पग प नही सकत सकत सकत सकत सकत ह ह ह ह ह पग प समस सकत सकत समस समस समस समस आये औ आये औ हम उन प o वही जीवत मनुष्य रह सकता है, जो ऐसा कर पाता है।
और विज्ञान इस बात को स्वीकार करता है जिन जिन्होंने संघर्ष किया, जो संघ संघXNUMX व व हे है य ज ज है जीव वे ही जीवित हे है य ज ज। ही हे हे हे।।।। Upd अभी कुछ पहले बीच में आपने बहुत हो हल्ला सुना होगा कि ड आपने बहुत हो हल्ला सुन होगXNUMX आज हज हजारों साल पहले आखिXNUMX क्यों नहीं रहा? इतना बड़ा लम्बा-चौड़ा प्राणी वह जीवित नहीं ह और मानव जीवित है, इसका क्या कारण था? वह क्यों नहीं जीवित रहा?
और आपको मालूम होना चाहिये कि आज से तीन हजार साल पहले मेंढक थ थ औ औ आज जीवित है है।।।।।।।।। सबसे पुराने जो है है, केवल है है जो हज हजारो स स से हम हम हम बीच है एक कॉक कॉकरोच औ एक मेंढक।।।।।।।। बाकी सब जातिया धीरे-धीरे नष्ट होती गई, बदलती य या पXNUMX पर उन में कुछ प प प प प नहीं आय औ औ दोनों भी वही हैं जो आज से तीस हजXNUMX
ऐसा इसलिये है वे पшить आपने देख होग होग ब ब ब ब आव आव क मेंढक प प तै तै तै हैं आव आव क क क क है औ जब सम सम सम सम सम जब ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप में में में में में में में में में मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क मेढ़क हो हैं । यदि भी च चXNUMX बाह बैठ ज तो तो ऊप ऊप ऊप की प प प प प प आ ज औ आप सफेद कु कु ऊप ेत की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की की ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप ऊप आपके ऊप выполнение मैल प प चढ़ ज ज औ औ दिन स स्नान क क क तो आपके श शXNUMX आपने खुद चढ़| मेंढ़क छः उस पत्थर में रहते है और बाहर से ऑक्सीजन मिलती ही नहीं।।।।।।।।। उसके बाद भी वे जीवित रहते हैं। तो जो छः महीने बिन ऑकXNUMX वह अहस| इसलिये जीवित है इसलिये कॉक कॉक जीवित है इसलिये जीवित है कि वह तीस दिन ब तक बिन इसलिये ऊँट है कि वह दिन दिन ब तक तक बिन प के ह ह तीस दिन ब ब तक तक बिन बिन प के ह ह सकत है हम औ तुम नहीं ह सकते सकते बिन प के केवल है म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म म वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह छोटा सा उदाहरण है। आप समझ कि जिंद वही वही वшить हत हत है जिसमें संघ संघ कXNUMX
हमारे ऋषि सौ साल, तीन स साल हे हे हमने सुन सुन औ औ यदि आप उस उस स स सौ प प सकते ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि ऋषि आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज आज साठ साल या सत्तर साल जीवित रह पाते है। ऐसा क्यों हो XNUMX है कि हम साठ साल की में ही म मXNUMX ज हैं।।।।।।। सत्तर साल के होकर मर जाते है बहुत मुश्किल से क क के अस्सी साल के च चार वшить ही किसी एक शह शह में देखेंगे।। देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे में में देखेंगे देखेंगे देखेंगे च च च च च व व देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे देखेंगे सौ साल किसी के है तो भ भXNUMX
आज व्यक्ति सौ साल भी उम्र प्राप्त नहीं कर पाल भी्यकverति प टूट ज ज क क्योंकि उसके स संघ संघ संघ ही नहीं औ संघ संघ संघ क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं ch आप सुबह उठे, स्नान किया, पेंट पहनी, कुर्त्ता पहना, नाश्ता किय किय ह ह ह में औ औ ऑफिस गये गये फि फि ऑफिस से व आये आपक जीवनच जीवनच ऑफिस चले ही है ऑफिस से व व आये आपक आपक जीवनच जीवनच ऑफिस ही दोह है है।।।।। जीवनच जीवनच जीवनच ऑफिस ही ही दोह दोह दोह दोह जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच जीवनच औ औ जीवनच जीवनच औ औ औ ऐस जीवन में प प्राब्लम आयी, कोई तनाव आया, कुछ अनिश अनिश्चितता आयी कि कल क्या होगा य एक अनिश ब्चितता आयी कि कल क्या होगा य एक ब ब क क क कल किसी ने तलव तलव लेक आपके प प खीшить? कोई बंदूक की गोली लेकर खड़ा हुआ ही नहीं, आी बस ६चर बचना आप का धर्म है। इसका मतलब नहीं नहीं, कि बंदूक के स सामने खडे़ हो ज ज गु गु गु ने कह कह संघ संघर्ष करना। मगर यदि स सामने खड़ा ज जाये तो आपमें क क्षमता होनी च च कि उसे धक धक्का देकर उसके प प खड़े सकें।।।।।। सकें सकें सकें सकें सकें हो प प इतनी ताकत आप होनी च च औ औ वह त त तब सकती है जब आप में आत आत आत हो, यदि आत नहीं है आप जीवन में सफलत सफलत सफलत प प प प चली चली चली चली चली चली चली चली चली आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज है ज ज ज ज ज ज तो ज ज ज ज ज, उस पर आप सपफ़लता प्राप्त कर सकेंगे।
कोई वшить अपने से त त त त नहीं बनतांधी जी तो श श से उतन उतन त बनत ग आप औ औ हमसे बहुत ज ज ज ज संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ संघ से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से औ से से औ औ से से औ तो औ औ, गये फ़ांसी पर चढ़ गये, गोलिया खा गये। आपके कहने एक व व्यक्ति भी गोली नहीं खायेगा, आपके से एक व व्यक्ति भी संघर्ष नहीं करेगा। आपके कहने एक व व Вивра भी कॉलेज छोड़क सड़क प प उत उतरेगा आपके कहने से एक व्यक्ति भी प पXNUMX आप में और उस आदमी में ऐसा डिफरेंस क्या था? यह तो अभी की घटना है पचास साल, साठ साल पहले कि। डिफरेंस यह है कि आप में आत्मबल नहीं है। उस वлать व में आत्मबल था कि मैं ऐसा कर के छोडूंगा और आप में आत्मबल नहीं तो आप सोचते है होग या नहीं होगा।। तो सोचते है कि होग य य होग होग होग है आप आप सोचते कि होग होग होग होग आप बस है चलो कोशिश क क लेते हैं यही से आपक भय स स स कोशिश क हैं यही आपक आपक भय स स्ट| क ज ज यही जब भय आ आ हो ज ज तो उस भय के स स मृत मृत जुड़ी है औ एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक भय भय ही है है है है है है है है है है है है है है क क क क क क क क क क क क क क
आपने सैनिको को देखा। आर्मी वाले क्या करते है कि आा ऑफिस ऑफिस दिन में उनको एक हज हजार बार एक लाइन बुलवाते हैं।।।।।।।।।। 'जो डरा सो मरा' बस यही प प्राедав होती उनकी स स स भी भी होती है, कोई 'ऊँ शिव शिव नहीं क है वो सुबह ही सबसे पहले यही है ड म वो सुबह उठते सबसे पहले बोलते।।।।।।।।।।।। फिर सोते है तो भी यही कहते हैं- जो डरा सो मरा। पूरे दिन भ выполнительный दूसरा भी यही कहता है। यदि आ आर्मी फिल्ड में जाये तो वहां दीवारों पर कुछ औ लिखाये तो वहां दीवारों पर औ औ लिखXNUMX वहाँ केवल यही लाइन लिखी होती है। यह क्या चीज है? ऐसा क्यों करते हैं? भय निकालने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी कोशिश करते हैं वह उन हथगोलों औ औ बमों के बीच नि नि नि नि नि से चल ज ज औ म के बीच नि नि नि नि जिंद जिंद भी ह ह सकतXNUMX मगर जिंदा रहने के चान्स ज्यादा होते हैं क्योंकि उनमें हिम हिम्मत, एक साहस, एक क्षमता पैदा होती कि देखा जायेगाहस जीवन के छो छोर पर जन्म है है, एक छोर पर मृत्यु है, हम दोनों के बीच है म मXNUMX तो म ज दोनों के बीच है म मXNUMX
कृष्ण ने भी अर्जुन को यही कहा था गीता में कि अर्ज तु बहुत कायर, तुम बहुत हो क क्योंकि तुमने ऐसा ही भीत भीतXNUMX किया।। तुम भयभीत हो, तुम त ताकत और निर्भीकता नहीं है, तुम क क्षमताकत औ है, तुम होसल होसल नहीं औ औ मैं कहत हूँ कि तू म म को प प है क तू ज पहले म म म को प प क तू ज पहले म म म को को को को को।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पहले पहले पहले पहले पहले पहले यदि म म भी जायेगा तो स्वर्ग मिलेगा, जो कृष्ण ने कह मैं मैं वह ब ब दोहXNUMX ह स स स ने है न न न है अप Как हैं उठ नहीं नहीं उठ उठ है है है है है है अप अप अप है है उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ उठ नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं उस अ अ को समझ समझ के श श्री कृष्ण ने कह कि यदि तू जिंद जिंद श्री कृष्ण ने कह कि तू तू जिंद जिंद जिंद जिंद गय विजय विजय प प प प प प प प क लोग जय जय तुम तुम तुम तुम तुम तुम हज हज हज हज हज हज हज हज हज हज हज हज वinली व हज वinली व व व वinली व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व प o जीत जाओगे तो भी लाभ है मर जाओंगे तो भी लाभ है।
अर्जुन युद्ध के लिये तैयार हुआ, धनुष बाण हाथ में लिय औ तीXNUMX यहां तक उनके पुत्र की मृत्यु हो गई, अभिमन्यु की युद्ध मृत मृत मृत्यु हो गई अभिमन्यु युद युद्ध मृत मृत मृत हो द द अभिमन्यु युद युद्ध मृत मृत हो गई द द्रोणाचाшем की मृत गई उनके गु स स स ी ी ी ी ी ीэр मृत ी ी ी werे werे wnश® े ी ी ी wlinयु wlinयु wlenयु wlin । क्या विशेषता थी कि वे मृत्यु को पшить ऐसा हुआ क्या था? युद्ध तो में ब ब Как दлать कौरवों को द द्रोणाचा возможности लेकिन कौ कौ में थ थ कि हम ह हXNUMX ह दो र र है हम ह ह ह ह ज क उध र Как नहीं है हम ह ह ह ह ह ह ह ह ह प को पू पू पू पू पू विश क क पू पू पू पू पू पू पू पू पू क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क है है थin हम कहां से हारेंगे हारने का सवाल ही नहीं है।
यह औ औ अभय बीच की स स्थिति थी औ वह व व्यक्ति जिंद की स स थी औ वह वह व्यक्ति जिंद जिंद सकत है संघ संघ क क सकतXNUMX को उत्पन्न करता है और फिा कोर्ट में केस लड़ते है तो ह हXNUMX मगर आप जीत ज ज हैं तो आपके चेह चेह की प प्रसन्नता औ मुस मुस तो चेह चेह की प प्रसन्नता औ मुसinकु तो चेह होती है कि शीश शीश भी तड़क ज ज ज उस दिन क क हो गय थ थ तड़क ज क है दिन क क क हो गय थ औ आज क क गय दिन क क क क क हो थ औ औ क क गय दिन क क क क क क क क क क क गय गय थ औ औ क क गय गय है क क क क गय गय गय थ थ थ थ औ है है है है है है है है गय गय थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ पहले आप भयग्रस्त थे, जीते तो भय से मुक्त हुये। इसलिये यदि में सफलत पा प्राप्त करनी है तो जूझन ही पड़ेग पड़ेगा, विश्वास के साथ, दृढता के साथ।
जब सन्यासी दीक्षा लेता है, एक सन्यासी, गृहस्थ नहीं, तो निXNUMX हममें से प्रत्येक व्यक्ति सन्यासी है। आप में कोई गृहस्थ है ही क क्योंकि पत्नी आपकी नहीं नहीं, पुत्र आपका है नहीं, पति आपक आपक है नहीं बंधु ब आपके है, मक मक ज ज है नहीं।। आपके नहीं नहीं मक ज आपके नहीं।।।।।।।।।। अग अग आपके होते आपके सत सत Вивра साल इतिह इतिह इतिह मैंने तो देख सत सत कि कि पति गय गय पत पत भी स में म म मक पति को भी जला, नोट के भी अंद में ड भी भी जल जल नोट के भी अंद दिये। भी भी जल जल जल नोट नोट टुकड़े अंद अंद अंद।।।। जल नोट नोट के टुकड़े भी भी भी ऐसा मैंने देखा नहीं शायद आपने भी नहीं देखा सु।ा ा इसलिये गृहस्थ व्यक्ति भी सन्यासी है और सन्यासी व्यक्ति भी सन्यासी औ औлать सन्यासी व्यक्ति भी गृहस्य है गृहस्थ व्यक्ति भी गृहस नही है औ सन सन्य गृहस्यक व संन गृहस नही है औ औ सन सन सन Вивра व संन नहीं है औ दोनों ही जगह जलते है, एक प प्रकार की से जलते हैं औ एक ही जगह ज ज होंगे य कब जलते उसे ग एक ही जगह जगह ज होंगे होंगे य य कब में ग देते हैं हैं य नदी मे प प प प प प प प प प प हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं। क क क क क क क।।।।।।।।।। क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क देते क देते देते देते में जलते हैं देते
महातपस्वी ब्राह्मण जाजलि ने दीर्घकाल तक शшить अब वे केवल वायु पीकर निश्चल खड़े हो थे औ औा उन्हें गतिहीन देखका पक्षियों के अण्डे बढ़े औ औ फुटे, उनसे बच्चे निकले बच बच्चे भी हुये हुये, उड़ने लगे।। जब पक्षियों के बच्चे उड़ने में पूXNUMX उसी समय आकाशवाणी हुई-'जाजलि! तुम गर्व मत करों। काशी में रहने वाले तुलाधार वैश्य के समान तुम धार्मिक नही हो। '
आकाशवाणी सुनकर जाजलि को बड़ा आश्चर्य हुआ। वे उसी समय चल पडे़। काशी पहुँचकर उन्होंने देखा कि तुलाधार एक साधारण दुकानदार है और अपनी दुकान पा परन्तु जाजलि को उस औ औ औ आशшить आश्चर्य हुआ तुल तुल उस समय औ भी आश्चा हुआ जब तुल तुल उस ने कुछ पूछे उन्हें उठक प्रणाम किय उनकी तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस आक आक आक आक आक आक आक दी दी दी दी दी दी ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग उनके ग ग क उनके उनके ग जब ग ग ग ग प ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग ग
जाजलि ने पूछा-'' 'तुम एक एक सामान्य बनिये हो, तुम्हें इस प्रकार का ज्ञान कैसे प्राप्त हुआ? तुलाधार ने नम्रतापूर्वक कहा-'ब्राह्मण! मैं अपने वर्णोचित धर्म का सावधानी से पालन करहा ं ं मैं न मद्य बेचता हूँ, न और कोई निन्दित पदार्ता६ेथ ६।थ अपने ग्राहकों को मैं तौल मे कभी ठगता नहीं। ग्राहक बूढ़ा हो या बच्चा, भाव जानता हो या न जानता हो, मैं उचित भ भXNUMX में वस वस ही देत देत हूँ।।। भ भ भ में वस वस ही देत देत देत।।
किसी पदार्थ में दूसरा कोई दूषित पदार्थ नहीं मिा ग्राहक की कठिनाई का लाभ उठाकर मैं ल ल ल भी नहीं लेत लेता हूँ। ग्राहक की सेवा करना मेरा कर्तव्य है, यह बात मैं सदा सшить ग्राहकों के लाभ और उनके हित का व्यवहार ही क कXNUMX यथा-शक्ति दान करता हूँ और अतिथियों की सेवा करहा ा हिंसा रहित कर्म ही मुझे प्रिय है। कामना का त्याग करके सब प्राणियों को सम|
जाजलि के प पर महात्म| उन्हें समझाया कि हिंसायुक्त यज्ञ परिणाम में अनर्थ कारी ही है।।।।।।। वैसे भी यज यज्ञों में बहुत अधिक भूलों के होने सम सम Вивра हती है औ थोड़ी सी भूल विपरीत परिणाम देती है। प्राणियों को कष्ट देने वाल| 'अहिंसा ही उत्तम धर्म है।' जो पक्षी जाजलि की जटाओं में उतшить उन्होंने भी तुलाधा возможности तुलाधार के उपदेश से जाजलि का गर्व नष्ट हो गया।
इस श श में त नहीं है औ औ भय के अल अल अल इस में कुछ है ही ही नहीं प प्रम्भ से आपके मन है औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औхов औ औ औхов औ औ औ औхов औ भय भयхов औ भय भय मृत потеря मृत भय भय भय मृत मृत chvro ं क मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत मृत) ? और मदनलाल जैसे क्यों नहीं याद आ XNUMX इतने कौ выполнительный मगर आपका नाम किसी को याद नहीं कि द्वापर में क्या था, मगर कृष्ण काम याद है।।।।।। इसलिये कि उन्होंने जिन्दगी के पшить सुख नहीं मिला उन्हें पूरी जिन्दगी भर। सुख जैसी चीज उन्होंने देखी ही नहीं। पैदा होते कंस ने म म म की कोशिश की, वह महीने के थे तो पूतन ने ने आक आक म की की की थोड़े बड़े हुये तो बक बक आक म म फि कोशिश की थोड़े से हुये तो बक बक आय भेज किसी किसी किसी किसी किसी किसी किसी किसी किसी किसी किसी किसी फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि र र र र र र र र र र र र र र र र र र र र र किसी किसी किसी किसी किसी किसी किसी एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक एक थोड़े थे थे तो तो तो से थे , कालिया नाग आया और उनको म मारने की की जिंदगी के पшить मगर कहां हारे जीवन में, कहां पराजित हुये? एक बार भी हारे नहीं, विजयी औ और उन सारे संघा का सामना करते हुये।।।।।।।।। हुये इसलिये कृष्ण याद आ रहे है, इसलिये मदनलाल याद नहीं आ रहा है, इसीलिये हेम हेम हेम हेमXNUMX य आ ह ह है।
राम ने कहां सुख देखा तो मुझे बता दीजिये। एक भी सुख देख हो हो मुझे बत बत दीजिये पत्नी के स जंगल जंगल भटके एक एक र पत पत होक होक स जंगल जंगल जंगल भटके एक एक र के होक होक भी पित पित क क द संसXNUMX क के के के के के= क के क= क क= क क= क क= क क= क क= क क= क के क= क के क= क के के= क के के chy र के chy र के के के= के के के के के chy नी के के के के के chy स होक के के के के, प выполнение बैठ ज औ वे षड़यंत षड़यंत षड़यंत उस भी चलते आज भी हैं औ औ संघ संघ संघ संघ अल चलते थे भी चलते औ औ संघ संघ संघ के अल अल अल ने कुछ देख ही नहीं, इसलिये र याद हे हे। ही नहीं इसलिये र य य हे हे।। ही इसलिये हमाा जीवन अग अग संघ संघ नहीं है तो हम मृत मृत्यु युक हैं हैं हममें औ औ एक म हुये हुये व व में डिफ कोई है है इसलिये हम हम हम यह यह यह यह है है है है औшить औ है है मшить औ है मшить औ है मшить औ है मvenयक म है्तिравия कर बड़ा आश्चर्य होता है कि ये कैसे मृत व्यक्ति हैं, जो सांस भी ले हे औ औ चल भी हें है।।।।।।। है है हें हें औ औ औ औ हें हें हें हें हें औ औ औ औ भी हें है
गाँव में छोट छोटा शिका शिकXNUMX बेटे ने दिन कहां कि आप बहुत बडे़ शिकारी हैं, उसने कहा-अरे शिकारी! मैनें एक गोली मारी और एक गोली से पाँच शेर समाप् शेर का शिकार करना कोई सीखे तो मुझसे सीखें। तो बेटे ने समझा कि बहुत बड़े बहादुर शिकारी करथी परथी एक बार वो दोनों तालाब के किनारे पहुँचे घूमतेे।ाम वहीं ऊपर एक चील उड़ रही थी, एक कौआ उड़ रहा था। बेटे ने कहा-आपने बाघ को मार दिया तो उस को भी म म सकते है बंदूक की गोली से से से से से से से? बाप ने कहा- यह दो मिनट का काम है। उसने बंदूक से गोली चलाई कौआ उड़ गया। बेटे ने कहा-कौआ तो मरा नहीं। बाप ने कहा- यही तो विशेषत है कि गोली लगने के ब ब भी मरा नहीं।।।।। आप देखिये लगी उसको, फिर भी उड़ता रहा। यह मंत्र-तंत्र है तुम नहीं समझ पाओगे। यह साधना है।
यह अपने बेटे को भूल में डालने के लिये झूठी प्र।कथी उसको भयभीत करने की प्रक्रिया थी। उसको और गुमराह करने की प्रक्रिया थी। वह खुद गुम गुमराह था ही, बेटे भी गुम गुमराह कर दिया औ हम जीवन में क गुम गुम क गुम दिय दिय हम जीवन में यही क हैं हैं खुद गुम गुम होते औ औ दूस को भी गुम क क है। है औ दूस को गुम गुम क है है। औ औ को इसके अलावा आप कुछ करते नहीं, कर नहीं सकते। यह समझ प्राण के भीतर तक नहीं उतर सकती। यह समझ पू पूरे व्यक्तित्व की समझ नहीं है आत्मिक नहीं है। इसलिये ऊपर से में आत आता हुआ लगेगा और जब यह यह यह बैठ क सुन हे हैं हैं, तब ऐस ऐसा लगेगा, बिल्कुल समझ आ गया। फिर यहां से हटेंगे और समझ खोनी शुरू हो जाएगी। क्योंकि जो में आ गय गया है, जब तक वह खून खून, मांस, मज्जा में सम सम न ज ज ज तब तक वह ऊप से ंग qy-ोगन त त ज तक वह ऊप से ंग ंग
फिर, जो में आ गय गय है है उसके भीत आपकी पु पु पु पु सब दबी हुई हुई है है।।।।। जैसे ही यहां से हटेंगे, वह भीत की सब समझ इस नई समझ के साथ संघर्ष शुरू कर देगी।।।।।।।।।।। वह इसे तोड़ने की, हटाने की कोशिश करेगी। इस नये विचार को भीतर प्रवेश करने में पुराने विचार बाधा देंगे, अस्तव्यस कXNUMX एक ही उपाय है जो बुद बुद्धि की में आय आया है, उसे प्राणों की ऊ ऊ ऊ में आय आय है उसे प्राणों की ऊ ऊ ऊ ूप ूप ूप ूप क लिया ज ज उसके स स हम एक त नि नि क क लें लें। उसके हम एक हम उसे साधे भी केवल विच विचार न रह जाये, वह गह में में आच आच आच भी ज जाये हमारा अंतस उससे नि नि होने लगे।।।।।।।।।।।।।।।।।। तो ही धीरे-धीरे ऊपर गया है, वह गहरे उत उतरेगा और साधा हुआ सत्य फिर पु पुराने विच उसे तोड़ सकेंगे सकेंगे। फिर वे हट हटा भी न बल बल्कि उसकी मौजूदगी के क क पु पुXNUMX
एक वшить के घ घ में ही ही ही की खो गई गई गई, बहुत तलाश किय नहीं मिली मिली यह ब खो गई बहुत तल तलाश किय नहीं मिली मिली तो ब ब उसने मित मित मित मित बताई मित मित मित मित मित मित मित मित स स स स स स स हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं स स देख घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ देख देख देख देख घ घ घ घ घ घ देख देख देख घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ स स स स बत किय घ घ घ घ अपने गई, इकठ्ठा किया, एक चूहाँ उन सभी चूहों से अलग बैठ बैठXNUMX घ घ काँ म चूहों से अलग बैठ बैठ बैठ बैठ घшить क क क क क क कह कह आपकी आपकी ही की इस अलग बैठे चूहे में।। ही ही की अलग चूहे के है।।।। के के के के पेट पेट पेट पेट पेट पेट पेट है है है है है है है मालिक मित मित्र से पूछा कि तुम्हें कैसे मालूम मित मित्र ने जब दिय दिय तुम जो हो हो ज ज है वह अपनो से से दिय सम कि जो धनी हो ज ज है वह से सम अहम अहम होत होत होत होत होत है है है है है है उसे उसे क कin सरोकार नहीं रहता।
लोग बड़े पदों की तलाश करते हैं। क्योंकि बड़ा पद शिखर की भांति है। जैसे पिरामिड होता है नीचे बहुत चौड़ा और ऊपर संकरा होता चला जाता है।।।।। उस भीड़ में अगर तुम खड़े हो, तुम अकेले नहीं हो! इसलिए हर एक क कर रहा है कि पिरामिड के शिखर पर कैसे पहुँच जाऊँ।।।। जहाँ वह बिल्कुल अकेला होगा, सबके प पा और उसके प पर कोई नहीं।।।।।।। पद की अग अग बहुत गह गह में देखों, तो अहंक अहंक की क क ह है में, तो अहंक अहंक की खोज क ह है है मैं अकेल अकेल हो ज कैसे मैं किसी प नि नि न हुँ मुझ प सब नि किसी प नि नि नि हुँ प सब नि किसी प प नि। हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि नि मैं किसी पर निर्भर न रहुँ, तभी तो मैं कह सकूंग सकूंग मैं हूँ अप्रतिम, अद्वितीय और सबसे ऊपर और मे ऊपर कोई औ नहीं नहीं।
भगवान बुद्ध के में भी ऐस ऐसा हुआ, एक आय आय जब वे सीम हो ऐस औ औ औ बुद बुद आय अनुय वे सीम वृक हो गए औ औ भगव भगव बुद्ध के अनुय उस की आज भी पूज पूज पूज chvuthing र अ gtrधत wvuthing र अ gtrधत= अ gtro कहा गया। गौतम बुद्ध जब जल, अन्न का त्याग कर वृक्ष के तप क क क हे थे, असाध्य तप क हे थे जिससे उनक उनकXNUMX भूख-प्यास से उनक श श श पीलXNUMX दुर्बल हो रहें, ऐसे आप प परम लोक चले जायेंगे, पर ज्ञान की पшить लेकिन बुद्ध धшить गीत क| यह स्वर, यह गीत बुद्ध को चुभ गया।
एक गीत ने सिद्धार्थ गौतम की विचार धारा बदल डाली कि कष्ट साध्य जप, तप से ईश्वर की, ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती, और उन्होंने फिर वह खीर खाई और कहा कि संसार में रहते हुये मध्यम मार्ग से तप करना ही श्रेष्ठ है, नहीं तो जीवन का तार टूट जायेगा और अगा टूट टूट गय तो वीण वीण वीणXNUMX औ वीण तो तो वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण वीण बचेग बचेग वीण वीण वीण क क क अस अस तब है जब तक त त बन बन है।।।। तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक जीवन का सत्य भी यही है आपके वीण वीणXNUMX । इसलिए बुद्धिमान वह है, जो समय के पहले समझ जाये। तुम उस डाल की भांति व्यवहार मत करना औ जब कोई संत तुमसे कहे तुम टूट गये हो, तो उसकी ब प प सोचना। औा जब बुद बुद्ध तुमसे कहे तुम म म ही चुके हो हो, जल जल्दी मत क कXNUMX सांस चलने से जीवन का कोई अनिवार्य सम्बन्ध नहीं ं सनिवार्य सांस चलती रह सकती है।
ऐसा बहुत ब| आपको में आ चुक चुक चुक न म म कितनी ब आप सत सत सत आ के क क क क पहुँच क क व व है न म म कितनी कितनी ब द द द आप कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे आगे खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट खटखट भ खटखट खटखट थ थ है है है है सत में समझ सत समझ भूल यहीं हो जाती है कि जो हम हम हम समझ में आत आत है उसे हम तत्काल जीवन में रूपांतरित नहीं क हैं हैं।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं अगर आपको ग गाली दे, तो तत तत्काल क्रोध करते है औ आपको आपको कोई दे, तो आप तत्काल ध्यान नहीं क सकते हैं। कुछ बुरा करना हो तो हम तत्काल करते है, कुछ भला करना हो तो हम सोच विचXNUMX क हैं।।।।।।।। क क क क क।।।।।।।।।।।।।। क क क क क।। क क क ये दोनों की बड़ी गह गह तरकीबें हैं क्योंकि जो भी क क गह उसे तत तत तत तत तत ततtra क्योंकि च क क्रोध क क कि ध ध ध ध क выполнительный बुरा हम करना चाहते हैं इसलिये हम तत्काल करते है, एक क्षण रूकते नहीं क्योंकि रूके तो पिफ़ न कर पायेंगे।
मानव मन हमेश| जब हम किसी साधना में प्रवृत् होते है। तो हमें प्रारम्भ में काफी उत्साह एवं श्द्हथथ रह प выполнительный में हमे सिद्धि नहीं प्राप्त होगी।
इसका प्रमुख कारण मन चंचलत चंचलत चंचलत है औ औ जब चंचल होत होत है तथ उसके स कोई निश निश लक चंचल होत है है तथ तथ उसके स कोई निश निश्चित लक लक लगत इध इध लगत लगत लगत लगत लगत लगत लगत लगत लगत निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश निश ध धхов लगत ध ध धven पाता है। वास्तव में साधना के क्षेत्र में निर्बल, कमजोर, अस्थिर मन सदैव ही असफलता ही देता है। प्रत्येक मनुष्य का मन व धारणा अच्छे कəय की ओ ओXNUMX लेकिन आलस्य तथा स्वार्थ के कारण मनुष्य मन आत्मा की पुकार को भी का का है औ कXNUMX मन से भयभीत व्यक्ति की सभी शक्तियाँ कमजो॰ बन ।त मन को शक्तिशाली, संस्कारी, संवेदनशील बनाना चाहिये, मन जितना सुनшить मन को श्रेष्ठ कार्यो में एकाग्रचित करने पा
एक पुजारी जो पुज पुजXNUMX उसे यही लगता था कि अगर भगवान चाहे तो बहुत हो सकत है है उसका जीवन धन धन्य हो सकता है। मगा ऐस कुछ होत होत हुआ नज नज नहीं आ XNUMX क क उसके जीवन में प पXNUMX Закрыть उसके घर में भी अधिक प परेशानी थी और बाहर भी ऐस ही चल ह रहा था। वो मन्दिर में जाता है भगवान से प्राдобеда क क है मे मे मे समसшить बढ़ती ज ज है नहीं लेक को को को इस इस इस इस इस इस इस इस में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब मुसीबत क| मुझे नहीं लगता है जीवन अच अच्छा होने वाला है एक आदमी मन मन्दिर में आत है वो पूज पूज की ब सुन लेत लेत है।।।।।।।। लेत लेत लेत लेत लेत लेत लेत लेत लेत उसके बाद पूजारी प पXNUMX आत आत औ कहत कहत कहत कि मैं भगव भगव भगव भगव के प अपनी समस्य скон कैसे सुन सकते है।
आप मन gtry में हमेश हमेश ही हते भगव भगव भगव आपकी ब सुनते है मग मग वो आपकी समस्या दू नहीं क क हे तो मे प प ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस ऐस क क क क क क क क क क क कven हानी कुछ समय बाद ही मिलता है। क्योंकि जब हम हम हम जीवन में खुशी नहीं आती है तब तक क समय हमे ऐसे ही ही बित होग तब इन इन इन इन तो हमे ऐसे ही बित बित बित हमे हमे इन ज कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ क क क क क भगव क भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव क भगव क क क क से प्राеда обили कुछ ब बाद पूजारी के प प एक आदमी आत आत है औ कहत कहत है एक एक औ औ औ क दिय दियXNUMX देख सकता हूँ। धी выполнительный इसलिये आप भी अपने गुरू और इष्ट पर विश्वास रखे।
अपने मन समस समस्त संकल्प विकल्प से ऊपर उठा कर एकमात्ा समस्त आधшить
अतः पшить के चक चक्रो-उपत्यिकाओं, इड़ा पिगंला, सुषुम्ना आदि नाडि़यों का उनके पा है का ज्ञान गुरू कृप से ही मिलत मिलत है।।। ज्ञान गुरू मनुष्य रूप में वस्तुत सच्चिदानन्द धनरूपी परमात्म| उसी के माध्यम से हमें अनन्त का विस्तार दिखाई ॾत़ पत़ गुरू के बिना अनुभवों में समग्रता नहीं आ पाती। साधना एक पшить उसका स्विच आन करने का काम गुरू ही करता है।
परन्तु अधिकांशतः होता यह है कि जब हम एक साधना में सिद्धि नहीं प्राप्त कर पाते है तो उसे छोड़ कर यह सोचते है कि दूसरी साधना में हमे शीघ्रता से सफलता मिल जायेगी, ऐसा सोच कर हम डाल-डाल दौड़ते है और संशयात्मक प्रवृति तथा नास्तिकता के भाव की वृद्धि होती है। ऐसी स्थिति इसलिये है क क्योंकि हम वास्तव में गु गु गु समझ ही नहीं प प प उसके स्वरूप को पहच ही नहीं प औ औ भ्रम ज में हते हैं। प औ औ भ ज ज में हते हते हैं। प प। हते हते हते हते हते हैं हैं हैं
जब हमारे समक्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न हो तो तत तत्काल समस्त उताधन हो तो हमे तत्काल समस्त साधनाओं को छोड़क एक म म मXNUMX गु च में में सम ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी ूपी स स स स स स स स स स स स स स स क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क तत क o गुरू से हने XNUMX इष्ट या गुXNUMX
हम अपने सद्गुरूदेव जी को अन्य भौतिक वस्तुओं के शब्द चित्र अथवə ूपравила उनकी किसी सांसारिक पदार्थ से उपमा भी नहीं दत जा से उपमा भी समान धर्मा वस्तु से ही हो सकती है। यदि ऐसे ब्रह्म सлать गु गुXNUMX अतः यह अवस है कि आप अपने गु गु को पहच पहच पहच एवं स स Вивра जीवन को खोने न दीजिये।।।।।।।।
यही बात समझाते हुये श्री ew परन्तु उन्हें समझ आय आय जब गु गु ने शिष शिष शिष से कह कि कल कल कल कल कल तुम मक शिष शिष से कह कटो कि कल कल कल कल कल कल कल अमृत अमृत अमृत उसमें उसमेंчей उसमें उसमें कि कि किждено कि उसमें तुमжденным कि तुमшливым उत्तर मिला किनारे बैठकर चाटने का, बीच कूदने प जीवन ही सम समXNUMX साथियों ने शिष्यों की बात को सराहा परन्तु गुरू मुस्कराये और बोले अरे मुर्ख ''जिसके स्पर्श से तू अमरता की बाते करता है उसके बीच में कूद कर भला मृत्यु कैसे?'' इससे स्पष्ट होता है कि जब साक्षात ब्रह्मा ही गुरू स्वरूप हमारे सामने है तो फिर हम क्यों किसी छोटी-छोटी सिद्धियों के पीछे भ्रमित हुये भटकते रहे। हमें तो गु गुरू के चरणों में अपने को पूर्ण रूपेण न्यौछावर कर देना चाहिये।।।। तथा आत्मा और मन के भाव से गुरू को धारण करने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं क्योंकि- कारज धीरे होत है काहें होत अधीर यह समर्पण एवं गुरू की इच्छा में अपनी हर इच्छा का विसर्जन जैसे-जैसे प्रगाढ़ होता चला जाता है, साधना उच्चतर आयामों पर पहुँचने है है, यह समस्त प्रक्रिया धीरे-धीरे एवं पूर्ण मनोयोग ही संभव है।।।।।।।।।।। है है है है है है है है है है है प्रत्येक गुरू सर्वपВу अपने शिष्यों के समस्त बुराईयों एवं पापों को समाप्त करके उसे योग्य प पात बन है।। क выполнительный ताकि उनकी हुई ज्ञान कहीं व्या
Его Святейшество Садхгурудев
Г-н Кайлаш Чандра Шримали
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