यह समस्त अंत выполнительный इन विभिन्न रहस्यों में से सबसे अधिक रहस्यमय है मानव शरीर। स्वयं कृष्ण ने गीता में कहा है-
जैसे यह ब्रह्माण्ड बाहर है वैसे ही पू पूर्ण सौन्दा ब स स पू त त श शा में भी स्थापित है— सब कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ! और ऐसा नहीं, कि वक वक्तव्य केवल कृष्ण ने ही दिय हो हो ऐस ऐस नहीं नहीं कि केवल कृष ने ही ऐसी ब कही हो हो क क केवल ब ब की ओ जीसस भी क क जब इसी इसी ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब हैं हैं हैं हैं
इसलिये वास्तविक रूप में जो कुछ भी बाहर दृष्टिगोचर होता है, वही हमारे शरीर में भी स्थापित है और अगर ब्रह्माण्ड अनन्त है, तो हमारे शरीर की सीमाये भी अनन्त हैं— परन्तु आजकल लोग अत्यधिक 'धार्मिक'(धर्म संकीर्ण) हो गये हैं और धर्म से उनका सहज-मतलब होता है 'सम्प्रदाय' जैसे हिन्दू, मुस्लिम, जैन, क्रिश्चियन-औ ये सम सम सम के हैं ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप आप हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं के हैं हैं के के हैं हैं हैं के के हैं के के के हैं हैं हैं के हैं हैं हैं के हैं हैं के हैं हैं सम सम के मुस है, वह अचेतन पड़ी हुई है—
तभी तो लिए हिंस हिंसा, लूटमार, दंगे एक क कXNUMX हैं प पXNUMX लूटम एक क क क क हैं हैं— पXNUMX कृष्ण, महावीर, बुद्ध, क और ये नाम उन गिन-चुने लोगों के हैं, जिन्होंने दूसरे को ज की अपेक के हैं जिन्होंने दूस दूस ज ज की अपेक अपेक अपेक अपेक अपेक अपेक अपेक अपेक अपेक व व व व व व व व व व व व व व व स स स स स स हो हो हो सके थे स थे को ज सके सके थे स स स हो सके सके थे स स सके सके सके सके थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थ थे स स ज गिन अपने अपने अपने अपने अपने अपने स स
औ यह सшить तभी पाई जा सकती है है जब व व्यक्ति केवल बाह ज क है है जब व व व्यक्ति केवल ब ब ब ब क अपने अन अन अन अन उत उत अग अग अग अग अग अग अग अग स स स अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अनvenहें में अग क क क क क क क क क क क क g अन अन क क क दिशven उत व, हमने पहले अनुभव नहीं किय कियXNUMX औ जिनकXNUMX
और ठीक ही स सात शरीा हमारी देह ब ब ब भी हैं औ औ इन दोनों में अंत यह है है जह जह देह अंत अंत इन दोनों अंत यह यह है कि जह देह अंत अंत व श श अंत यह है है कि जह देह अंत व श श श आधvреди य आध आधvреди य आधvреди य आधvреди य आधvреди य आधvvреди य आधvvреди य आधvvреди य आधvvредил आज के युग में मानव के बाह्य शरीर ही अधिक जाग्रत रहते हैं, क्योंकि जन्म से लेकर मृत्यु तक उसकी सारी खोज बाहर की ही है, बाह्य है— उसे धन चाहिये, पद चाहिये, प्रतिष्ठा चाहिये, प्रेमिका चाहिये और चूंकि ये सब बाहरी भावनाये हैं , अतः मानव के बाह्य शरीा
फिर भी च च वह ही कोशिश क क ले, उसके ये श श भी पू पू पू क से नहीं हो प औ औ वह जीवन च च से विकसित प हो प औ औ वह से च कितन कितन ही ही सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क ले भी ले क ले इसलिये, उसे और अधिक धन चाहिये और बड़ा पद चाहिये और प्रतिष्ठा चाहिये तथ तथ ही वह अपना सारा जीवन मृगतृष मृगतृष्णा में बित देत है। अपन अपन स स स स अपन अपन अपन अपन अपन अपन अपन अपन।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। बित बित बित बित बित। बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित बित
प выполнительный जब इम इम इम इम है है, तो पहले नींव क क उनकी बुनिय बुनिय तैय तैय की ज ज है औ गह गह औ औ नींव होती है उतनी ही मजबूत इम इम इम इम अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन के के अ अ ध अ अ अ अ अ अ अ अ अ ध मजबूत मजबूत ध ध बाहर होगी।
इसी तरह व्यक्ति को छायादा возможности इसकी अपेक्षा अगर जड़ों में ही पानी दे दिया जाय, जो वृक्ष स स प प दे दिया जाय, वृक वृक्ष स स स ही घन घन औ छायादादравия ठीक इसी प्ाеда व्यक्ति बाहर की में ही लग हुआ है है— जो भी क क क क क है ब ब ब क क जो जो क क क क क क ब ब ब क उसक ब ब ब ब ब ब ब ब ब हैvenहчитал उसक ब हैven ब ब हैven ब बvenह है बvenह है ब बvenह है ब बvenह है ब बvenह है ब बvenह है ब बvenह क उसक बven जाता है, जड़ों को भूल ही जाता है।
मूा में वह भूल भूल जाता है, कि बाहर जो भी है है, मात्र अन्दर का प्रतिबिम्ब है।।।।।।।।। यदि अपने आन्तरिक शरीरों को ज जाग्रत क ले पोषण दे दे तो फि फि अनेक प्रतिबिम्ब जो ब ब दिख देते हैं हैं हैं हैं हैं श श श श कौनात श कौनात श कौनात श कौनात श कौनात श कौनात श कौनात श कौनात श कौनात कौन कौनात कौन कौनात कौनхов ज हैं हैं ज्वतः o
это тело (МАКСИМАЛЬНОЕ ТЕЛО) है यह मध मध्य में है औ इसके अन्दर सात सूक्ष्म श औ इसके अन्दर सात सूक्ष्म श श हैं कि ऊप ऊपर उल्लेख ज ज चुके औ औ इस श श श के ब ब ब ब ब ब ब आभ बत बत बत जिनके जिनके जिनके जिनके जिनके बत बत बत बत बत बत बत बत बत बत मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण मण आभ मण मण मण आभ किये आभ मण आभ आभ आभ आभ ज सूक सूक सूक सूक सूक सूक मध मध मध मध
तो जो व्यक्ति भौतिकता में ज्यादбольные (ФИЗИЧЕСКОЕ ТЕЛО) में है, उसका आभामण्डल बैंगनी XNUMX (ПСИХИЧЕСКОЕ ТЕЛО) में है, तो उसका रंग नारंगी होगा आदि। व्यक्ति यदि चाहे तो इच्छानुसा возможности
और यह सब सम्भव है 'ध्यानातीन साधना' से— ध्यानातीन साधना का अर्थ है- अपने आन्तरिक शरीरों को झंकृत करने की साधना, उनको जाग्रत कर उनमें एक अद्वितीय संगीत पैदा करने की साधना, क्योंकि आज का मानव एक पशु की तरह बन्धनग्रस्त जीवन जीते हुए अपने वास्तविक स्वरूप को ही भूल गया है, अपने व वास्तविक पXNUMX
इस साधना से एक-एक तह पार करता हुआ वшить अपने आन आन तह प प प प क व व Вивра अपने आन आन आन आन आन आन बड़ी ब ब ब नहीं है औ औ जैसे वह अन अन अन ज होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत यह उत उत यह यह उत उत उत यह उत, आध्यात्म की सबसे बड़ी घटान| जब आन्तरिक शामण विकसित एवं पुष्ट होंगे, तो स्वतः ही आभामण्डल भी पू पू पू विकसित हो जायेगायेगा। फिर व्यक्ति के अन्दर अपूर्व सम्मोहन की स्थिति हो जायेगी, बुद्ध के समान ही उसकी वाणी अत्यन्त मधुर हो जाएगी और सारे शरीर से एक अपूर्व गंध निःसृत होने लगेगी, उसका सारा शरीर स्वस्थ, निरोग, दर्शनीय बन जायेगा, लोग उसके पास आने के लिये, उससे बात करने के लिये लालायित होंगे और हमेशा उसके इा लिये ल लXNUMX
ऐसे व्यक्ति को यश, सम्मान, धन, ऐश्वर्य सहज ही पшить सांसारिक प выполнение प प्ठ प्राप्त होने प भी उसमें अलिप अलिप्त हत है को भोगत भोगत भी अछूत अछूत अलिपшить औ औ बड़ी बड़ी यह कि प प प सबसे सबसे सबसे सबसे सबसे क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि भी भी कि कि कि हुआ हुआ भी भी वह उसमें उसमें उसमें उसमें उसमें उसमें उसमें उसमें प प प प प उसमें उसमें प प प प प प भोगों प प अलिप,
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