मनु ने दो विव| श्रद्धा का तात्पर्य 'भावन| इस प्रकार पूरे संसार का मानव समुदाय दो भागोंम म। म। जो इड़ा के गर्भ से उत्पन्न हुये, वे चालाक, होशियार, तर्क- विर्तक करने वाले बने और जो श्रद्धा के गर्भ से उत्पन्न हुये, उनमे भगवान के प्रति आस्था, पूर्वजों के प्रति आदर, मंत्र-तंत्र और शास्त्रें के प्रति रूची और विश्वास पूरे विश्व के प्राणियों के प्रति अपनत्त्व भाव रखने वाले बने औ औXNUMX स स स है कि कि म को पू पूXNUMX
मेरा जन्म इन हिमालय उपत्यकाओं में ही हुआ, जहां प प्रलय से बच क क ह गये उस स्थान को मन कहाली कहा जाता है। जहां पर व्यास नदी अपनी पूर्णता के साथ प्रथाहॿत ईत ई यह वही मन| यह वही मनाली है जहां भगवान व व्यास ने क चाों भगव वेद व्यास ने क चाen यह वही मनाली है, जहां पग-पग पर देवता विचरण करते हर मेरा जन्म इसी मनाली में हुआ हुआ, प выполнительный जबकि मैं आपको बुद्धिजीवी और इतिहासज्ञ होने का दावा का था।।।
अचानक मुझे सूचन| मैं दौड़ कर उनके चरणों में पहुँच गया। वही शान्त, तेजस्वी मुखमण्डल, वही मुस्कुराता हुआ चेहा, वही खिलखिल खिलखिल खिलखिल औ औ श श श श10 सौम स स उनको देखते ही मुझे) पूज्य गुरूदेव सन्यासी जीवन में यहां कापफ़ी समय हे है है औ यहXNUMX वे जरूर कुछ विशिष्ट सन्यासियों से मिलने और उच्च कोटि सन सन्यासी योगियों को म औ औ क क सन सन सन थे थे। को म म म म म म म थे थे।।।।। थे थे थे थे वह दूसरे ही मुझे ज्ञात भी हो गया, जब उन्होंने रात्रि को लगभग XNUMX बजे मुझे कहा, मेरे साथ रोहतांग की त त चलन चलन है है।। मे मेरे स Как र ever
जिनके तेज, ज्ञान और तपस्या से यह स100 मैंने उन सन्यासियों में से XNUMX से भी ज्यादा वर्ष पшить उस रात्रि के चन्द्रमा के शीतल प्रकाश में उन सन्यासियों के तेजस्वी मुखमण्डल को देखा, सीने से भी ज्यादा नीचे की और बढी़ हुई शुभ्र दाढ़ी को देखा, लम्बी जटाये, ज्ञान से दैदीप्यमान आखें और साधना से अनुप्राणित तेजस्वी शरीर, वास्तव में ही एक अद्भुत दृश्य था, जिसको शब्दों में बाधां नहीं जा सकता।
मैं अकेला गृहस्थ इसका साक्षी ा खजाना मिल गया हो। वे सभी हुये थे औ सXNUMX पहली बार मैंने पूज्य गुरूदेव निखिलेश्वरानन्द जी के अद्भुत विराट व्यक्तित्व को देखा, पहली बार मैंने अनुभव किया कि यह सामान्य व्यक्ति अपने आप में विराटता को समेटे हुये है, और वास्तव में इनके पास एक अद्भुत ज्ञान, तपस्या और साधना का संगम है, तभी तो सैकड़ों-सैकड़ों सन्यासी उन्हें देखने के लिये व्यग्ाE
र ever बीच-बीच में वे हिन्दी में भी बोलते थे। मैं सामान्य संस्कृत का विदшить मैंने देखा कि किसी विषय को वे कितनी गह गहXNUMX के स समझ में सक सक हैं हैं गह्होंने प स साने में सक सक हैं हैं उन्होंने पшить सन्य को उसके न से पुक भी उन उन उन प प प प प प प प प प प प प प प chvреди ज प chvреди ज प ज जvvреди ज उन ज पvvреди ज उन chvреди थ ज तvvреди ज उन ज chvреди ज ज तvvреди ज उन ज chvреди उन ज ज ज व व व व ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज सन जvvреди उसकी कुशलता, क्षमता पूछते, अब की की हुई साधनाओं के ब ब में ज तक की स स स स स स स स स स स स प प प्रप क औ आगे की स औ औ औ इसी र र र र र र र र र र र र र र र र र क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क Whro प औ औ. पूज्य गुरूदेव इतना परिश्रम करने के बाद भी ही उत उत्साहित, उल्लासित थे, वास्तव में वह र रात्रि मे выполнительный
पांच-छः तक उनके स सXNUMX हने काग्य मिला, प्रत्यक्ष enw मैंने किय किय कि कुल्लू औ मनाली को हम भली प प्रकार से ही नहीं प प प है यहां प तो श श सुद आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन आनन क क क क क क क प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प नये नये नये नये प नहीं था जबकि मैने पू पूXNUMX मन औXNUMX परन्तु उन पांच दिनों में उनके द्वारा जिन ऐतिहासिक स्थानों का ज्ञान प्राप्त हुआ, उनकी पौराणिक पृष्ठ भूमि मालूम पड़ी वह अपने आप में अद्वितीय है, मैं निश्चय ही इन पांच दिनों में गुरूदेव के साथ बिताये हुये क्षणों और बताये हुये ऐतिहासिक स्थानों तथा उनकी पौराणिक पृष्ठ भूमि पर एक पूरी पुस्तक अवश्य ही लिखूंगा जिससे कि व व पीढि़यों को कूल्लू औ मनाली क सही सही ज्ञान प्राप्त हो सके।। सके सके सके सके सके मैं छोटे से लेख क क्या वा क क औ क्या-क्या छोडू, कुछ में नहीं आ ह ह मैं च च यह थ में में में में जो जो जो सन सन सन सन सन सन सन सन सन सन सन सन सन chvenतчита सन सन सन सन सन chvenत in े सन सन को chving े सन को chvenत ि सन को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को को ad है है. च क को क क क सन जिनमें किकंर स्वामी, त्रिजटा अघोरी, और दिवшить
मैं चाहता तो यह था कि उन्होंने जिस प्रकार से पू ज्य गुरूदेव का स्वागत सत्कार और अभिनन्दन किया, उसका विस्तार से विवरण लिखता और मेरी इच्छा थी कि मैं उस पूरे प्रवचन को सरल हिन्दी में लिपिबद्ध कर पत्रिका पाठकों के सामने रखता जिससे कि यह एक त तिहास का दस्तावेज बन सके परन्तु मैं यह सब तो उस पुस्तक म ें विस्तार में वर्णन लिखुंगा ही, इस लेख में मं उन स्थानों का संक्षिप्त से विवरण देना चाहता हू ं, जिन स्थानों के बारे में मनाली के निवासियों को तो क्या इतिहासकारों को भी जानकारी नहीं है, इन सभी स्थानों पर मुझे इन चार पांच दिनों में पूज् य गुरूदेव के साथ जाने का अवसर मिला और उन्होंने च लते-चलते ही कई नवीन बातें बताई, उन ऐतिहासिक और प Просмотреть еще िखाया जहां वास्तविक पौराणिक घटनाएं घटित हुई थी ।
हिमालय में सात कैलाश कहे जाते है, उनमें से दो कैलाश इस हिमाचल प्रदेश में है जो कि विशेष रूप से दर्शनीय है, पूज्य गुरूदेव ने बताया कि माता पार्वती का यह जन्म स्थान तथा सती का तपोस्थल होने के कारण यहां शक्ति का प्रवाह विशेष रूप से हो रहा है। यहां के हर गांव का एक '' '' '' (देवता) होता औ औ इन को को अपने प पा विश्वास होत है ये छोटे से छोटे क इतनXNUMX विश अपने पूछ ही क से छोटे छोटे क क भी दोओं क ही है से छोटे छोटे छोटे छोटे यह पूरा क्षेत्र चामुण्डा का विशेष शक्ति क्षेत्र है जहां प प पर्वत चोटिय है औ प्रत्येक चोटी एक-एक महाशक चोटियां औ औा से। एक एक मह मह यां औ औ्यver संबंधित। एक मह माता छिन्नमस्ता, महाकाली, धूमावती, त्रिपुर सुन्दरी आदि महाविद्याओं की पर्वत चोटिया केवल मनाली के चारों ओर ही विद्यमान है, जहां पर उस महाविद्या से संबंधित साधना करने से निश्चय ही शीघ्र सपफ़लता और उनके दर्शन प्राप्त होते है।
ज्वाला युक्त पार्वती के दर्शन तो पू विश्व में केवल इसी क्षेत्र में देखन संभव है यदि हम ोहत द द्षेत्र में देखन संभव है यदि हम ोहत द द द को ज है की की की ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज की की की की की की की की की की की की की मह मह मह मह मह मह मह मह मह दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों दसों तो तो दसों दसों तो तो उसके चारों ओर 64 छोटी-छोटी चोटियां भी दिखाई देती है, जिन्हें चौसठ योगिनियां कहते है।।।।।।।।।। इन दसो महाविद्याओं की सेवा में संलग्न हों, यही पर एक पहाड़ की चोटी का नाम कोघड़धार हैं जहां पर वायुविद्या जैसी तन्त्र क्रिया सम्पन्न की जाती है आज भी भाद्रपद मास की अमावस्या की रात्रि को यहां पूरे हिमालय के उच्चकोटि के तांत्रिक एकत्र होते है और वे अपनी अपनी विद्याओं का पшить बंटवाड़ा तथ मXNUMX
यह कшить योगियों की साधना स्थली के साथ-साथ विशाल स्वरूप में उच्चकोटि की जड़ी बूटियां आज विद विद्यमान है।।। पूज्य गुरूदेव ने मुझे एक जड़ी-बुटी का छोटा सा पफ़ल तोड़कर खाने को दिया और मात्र पांच मिनिट के भीतर मुझे इतनी गर्मी लगने लगी कि उस भयानक सर्दी में भी अपना कुर्ता और बनियान उतारने के लिये बाध्य होना पड़ा और तब भी सारे शरीर से पसीना छूट रहा था। पूज्य गुरूदेव ने बताया कि सन्यासी भयानक सा स में भी केवल इस फ़ल को खा कर बिना वस्त्रों के एक महीने सकुशल सकुशल सकते है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। इस क का नाम उन्होने '' 'पल्लम' '' बताया और पшить पल पल्लम '' 'बताया औ इस प्रकार के मुझे क कापफ़ी दिखाये, यद्यपी ये ब ब हज फ़ीट द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द प प प प प प हैं।मन हैं।मन हैं।मन हैं।मन हैं।मन हैं।मन हैं।मन o औ प हैं।मन प प. रोहतांग दा के आस प प प मुझे ये पफ़ल औ ये पौधे देखने को मिले थे।।।।।।।।। इस घटना को एक महीना बीत गया है, परन्तु अभी पू पूरे श गय गय है ग प सी अभी पू पू श6500
इसके अलावा भी लगभग 50-60 विभिन्न जड़ी- बूटियों से संबंधित कि पत पत फूलों औ औ फलों फलों क संग किय किय जिसमें उस पुस फूलों औ औ फलों क क संग किय किय दिन है जिसमें पुस पुस गु गु गु के स प प दिन दिन चित पुस पुस सहित उल गु क के स प प दिन चित चित चित सहित सहित सहित उल उल उल उल उल उल उलin पर इससे सुखद आश्चर्य होता है कि इस वшить व को जड़ी बुटियों क क भी भी कितन ज ज्ञान हैं, हमें च कि इन पौधों क क संरक्षण क ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज नष ज नष नष नष नष नष नष नष नष नष नष नष नष क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क हैं औ औ हैं हैं औ,
हिमाचल के प्ा मार्ग (स्वार घाट) से उत्ता
र र र में गु गु ने एक प्राकृतिक चमत्क| यह हम ने ब बारी-बारी से अनुभव किय| गु выполнительный यह वैरी नामक स्थान से तीन किलो मीटर दूर है।
वैरी गांव से लगभग 12 किलोमीटर दूरी पाल बXNUMX लगभग है किलोमीट कि प प्राय दो व वXNUMX गुरूदेव के साथ उनक मिलन अपने आप में द द द थ जिन क क क ब ब ब आप में द द प्रदेश पूजत है जब उन उन मुझे देख देख देखчей हुये उन समхов गु समхов गु सम= गु सम= च सम= च समáчита
वरमाणा कस्बे के पास में ही '' 'वटवांड़ा' 'गांव हैं जो पू पूरा का पू15 कहते है जब लंक लंक20 र बीम बीम15 गय थ थ औ उसकापति प प प भी इल नहीं हो प प प तो ग ग में हक हक उसने अपन क क20 थ थ ग ग ग ग ग थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ थ o आज इस वैज्ञानिक युग में यह चमत चमतшить देख देखा सकत है कि कि यह चमत चमत्कार देखा सकता है कि कि यह यह चमतшить देख देखXNUMX कटोरा खाली हो जाता है। कहते है र र ने ही अपनी चिकित्सा पूरी होने पर वतालू नाम का भूत इस गांव को सेवार्थ दिया था। यह चमतшить मैंने गु गु गु के साथ देखा ही, इसके बाद भी XNUMX-XNUMX लोगों को जाकर अहसास कराया।
इसे सुखेत कहते है शुकदेव के द द्वारा बसाया हुआ ग ग आप में महत महतшить बस बस हुआ यह ग अपने आप में में महत महत महत है यह यहां प त त क प के के क क क क क क क मह मह मह मह मह महvenदेवwinदेव शिवलिंग क महvenदेव शिवलिंग महvenदेव शिवलिंग मह महvenदेव शिवलिंग महvenदेव शिवलिंग महvenदेव शिवलिंग महvenदेव नीचे मह महvenदेव शिवलिंग क महvenदेव नीचे क महvenदेव नीचे क महvenदेव नीचे क महvenदेव नीचे क मह मह मह मह मह मह g प प शिवलिंग मह महven
पूज्य गुरूदेव ने बताया कि यहां से बीस किलो मीट दूXNUMX उसके आस प|
मनाली से शिमल| यहां पर 80 मन्दिर और चार गुप्त मन्दिर है। कुछ समय यह| आश्चर्य की बात यह है कि ये मन मन Вивра बिल्कुल पास पास में है।।।।।।।। यहां परमहंस नागा बाबा की समाधि देखी, आजकल यह यहां नागा बाबा Как है है कि उसके में क काफ़ी सत्यता है।।।।।।। उसके वचनों
इसको कैलाश कहा जाता है, प्रकृति की दृष्टि से एक अद अद्भुत पर्वत खण्ड है प प भगव भगव शिव पत पत्नी गौ के म यही प प भगव। पत पत गौ गौ के म प प प थे। पत पत गौ गौ म म पित प प थे। पत पत गौ गौ म म प प थे।।।।।।। थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे थे गौ गौ थे थे थे भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव भगव गौ गौ गौ गौ थे प यह यह गौरी नित्य यहां से कैलाश तक शिव िझ ाने के ज जाया करती थी।।।।।।। आते और जाते समय मां गौरी केसर छिड़क दिया करती थी, जिससे कि ew आश्चर्य की बात यह कि आज भी स выполнительный
इसके अलावा हमने कूल्लू मे ew बिजली मह मह के बारे में गु गु ने बत बत बत बत बत बत बत बत बत स में एक ब ब ब ब इस शिवलिंग प आकाश की गि गि है औ शिवलिंग टुकडे हो ज ज फि फि पुज पुज देत शिवलिंग क क हो हो क शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग शिवलिंग क क क क क क क क क क क क क क क क इसके अलाव| यह अत्यन्त प्राचीन मन्दिर है यहां के इसे ढूंग ढूंगरी माता कहते है।
वास्तव में ये प प दिन दिन मे मे लिये तो प जन जन्मों के ब बXNUMX
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