अर्थात्, संस्कार वह है जिसके हो जाने पर पदार्थ या (व्यक्ति) 'संस्कार' हमारे धर्म का एक आवश्यक अंग है। संसлать का सामान्य अर्थ है- शुद्ध करना, पूर्ण करना या चमका देना आदि।।।।।।। आदि।।।। हमारे ऋषि ने व्यक्ति कों एक श्रेष्ठ मनुष्य बनाने के लिये जो अनेक उप किये किये से एक है है संस संस अनेक उप उप किये उनमें ही है है संस संस संसхов व व व वшить एवं एवं एवंшить एवं एवं्क एवं एवंшить एवं ोंшить एवं ोंvwrea उन एवंvwrea उन ों Вишить एवं्क o धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी उन संस्कारों का हमारे जीवन विशेष महत महत्व हैं।।।।।।। हैं हैं हैं संस्कार करने से त तरह की योग्यता प्रзнес होती त एक तो इससे वेद पढ़ने य य्थ जीवन प प क की योग वेद पढ़ने य गृहस दूस ज ज हुये दोषों दोषों क क क क क क क क क क क क क क क o
संस्कार व्यक्तिगत के साथ समाजिक भी होते हैं। मनुष्य की उन्नति मार्ग में ये संस्क सीढी सम सम सम होते हैं हैं जो उसके दोषों को दूर करते हुये, उसे गुणव बन हुये लग लग लग ऊँचा उठ हुये हैं गुणव गुणव बन हुये लग लग दू का उठ हैं। गुणव गुणव गुणव गुणव गुणव गुणव गुणव हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं मनुष्य में इनшить भोगो की त त त खिंचने का स्वभाव होता है, उसी स्वभाव व दोष क क भोगत अनैतिक क क क क मनुष दुःख भोगत भोगत है।।।।।।। भोगत भोगत भोगत।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत भोगत संस्कार स्वभाव के इन्हीं दोषों को दूर करता ह॥ं। मनुष्य को सुसंस्कृत करने के लिये कुछ सिद्धांत ऐसे बनाये गये, जिन्हें धर्म से युक्त किया गया है।
इन नियमों प प| इन संस्कारों के द्वारा पшить सम्पूर्ण जीवन के हर महत्त्वपूर्ण पड़ाव पर किये जाने वाले ये संस्कार जीवन में बार-बार आत्मियों और बन्धुओं से मिलने के और प्रसन्नता-उल्लास के अवसर प्रदान करते हैं, त्यौहार का वातावरण रचते हैं, मानसिक भावों में पवित्रता भरते है। इससे मन मलिन विच विचार अपने दू दूा
संस्कार कितने हैं, इस संबंध में बहुत मत हैं। गौतम स्मृति शास्त्र में 40 संस्कारों का उल्ले। हं कहीं 48 संस्कार भी बताये गये हैं। 25 संस्कारों का उल्लेख किया है। वहीं महर्षि वेदव्यास स्मृति शास्त्र के अनुसार 16 संसшить.
वयासस्मृति 1-13 января
Закрыть इनमें संस संस्कार माता-पिता द्वाराдолян यदि उचित औ और वातावरण में विधि विधXNUMX Закрыть
संस्कार मनुष्य के भीतर इच्छा शक्ति व क्षमता बढ़ाने का एक माध्यम है।।।।।।।।। इसका शाब्दिक अर्थ सम+कृ+धञ (ध्यान) = संस्कार, जिसमें सम् कXNUMX अर्थात् संस्कार जन्म से मरण तक समस समस्त क्रियाओ को ठंसंदबम करते हैं।।।।। संस्का возможности
संसлать पीढ़ी द द पीढ़ी बढते हैं यह यह तक कि जन जन जन में ग ग ग ग ग किये गये संस्कार व выполнительный जिस प्रकार आत्मा अमर है संस्कार भी भीतर सदा र।त।
अब से हर अंक जन जन्म पूर्व से लेकर मृत्यु पश्चात् तक के संस्कारों का विस्तृत वर्णन दिया जायेगा।। क्योंकि संस्कार मनुष्य व सम्पूर्ण मानव जाति के मार्गदर्शी हैं व संस्कार मनुष्य के च выполнительный
Обязательно получить Гуру дикша от почитаемого Гурудева до выполнения любой садханы или принятия любой другой дикши. Пожалуйста свяжитесь Кайлаш Сиддхашрам, Джодхпур через Эл. адрес , WhatsApp, Телефон or Отправить запрос чтобы получить посвященный энергией и освященный мантрой материал садханы и дальнейшее руководство,
Отправить по: