मगर उन्होंने सबसे जिस मंत मंत्र की रचना की या संस में पहले मंत जिस मंत मंतшить की य वह गु गु मंत पहले जिस जिस मंत्ा की चन वह गु गु मंत मंत थ गुरू श नहीं होत होत वह अग अग मे मे गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु आप आप आप आप आप आप आप आप आप मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे यदि मुझमें ज्ञान ही नहीं तो फि फि मैं आपका गुरू हूँ नहीं।।।
यदि आप एक-एक पैसा खर्च करते हैं मे मे मे हृदय भी उस एक-एक पैसे की वैल्यू है।।।।।।।।।। मैं उतने ढंग से आपको वह चीज देन देनXNUMX च हूँ आप ही पू पू चीज चीज देन देन चXNUMX अन्यथा ऐसा लगता है कि आप मुझे दे XNUMX औ औ मैं फॉ फॉXNUMX ऐसा मैं नहीं करना चाहता। फॉरमैलिटी बहुत हो चुकी। फूलों के ह ह बहुत चुक चुक आपकी आपकी जयक जयक जयक बहुत सुन चुक चुक तांगे, बग्गी ग ग बहुत चढ़ चुक चुक हवाई जहाज में यात्ा यह सब बहुत हो चुका। Закрыть संन्यास क्या होता है वह भी उच्च कोटि के साक देख चच अब बस एक ब| अब केवल इतनी इच्छा रह गई है और कुछ इच्छा ही नहीह र ं र
सम्राट होते होंगे, मैंने देखा नहीं सम्राट कैसे हैं हैं, मगर सम्राटों के सि सि भी गु के च च में हैं, उनके भी गु गु गु गु में अ में में में में में में में में में में में में में गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु गु में में में में में में में में हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं पड़ते हैं हैं हैं पड़ते पड़ते हैं हैं में में हैं पड़ते में हैं, हम अपने में इस शXNUMX को उतना उत्थानयुक्त बना दें, उतना चेतना युक्त बना दें उस मूल उत उत को ज लें कि हम क क्या हैं? और जब अपन अपना पिछला जीवन देखना शुXNUMX क्या हो गया मेरे साथ? यह कैसे अटैचमेंट था गुरू के साथ? इतना अटैचमेंट था कि गु गु गु के बिन बिन एक मिनट भी ह ह सकता था, अब मैं दो-दो महीने निक निकाल देता हूँ।।।।। जब आपको अपना पिछला जीवन देखने की क्रिया पшить तब एहस| क्षण एक-एक करके बीतते जा XNUMX हैं औ औ जो क क बीतते ज ज ज Как हैं क क क क क आ सकते।।।।।।।। सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते सकते जो समय बीत गया, बीत गया। बीत गया तो समय निकल गया, इस श выполнение में एक सलवट औ बढ़ गई कल एक औ औ सलवट ज जायेगी।
आपने देख| आपको पत| वही स выполнительный यह क्या है? यह कौन विद्या सी विद्या है जो सर्प के पास है और हमारे पास नहीं है।।।।।।।।।। है है सर्प ऐसा कैसे कर लेता है? और अगर सर्प ऐसा कर सकता है, कायाकल्प कर सकता है, अपनी पूरी केंचुली को, झुर्रीदार त्वचा को, अपने पूरे बुढ़ापे को निकाल कर एक तरफ रख देता हैं, पूरा नवीन ताजगी युक्त वापस शरीर उसका बन सकता है तो हमारा क्यों नहीं बन सकता । इसीलिये नहीं बन सकत| हमने उसके ज्ञान को नहीं समझा। आपने मुझे के ह हार पहना दिये, जय जयकार कर दिया मगर आप मेXNUMX जब ज्ञान नहीं ग्रहण कर पायेंगे तो फि फि बहुत बड़ अभाव आपके जीवन में भी XNUMX, मेरे जीवन भी हेग कि यह ज ज ज यह मे मे प भी हेग हेग यह ज ज ज ज ज।। ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज प प प।।।। आप प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प यह ज्ञान यह चेतना या तो पुस्तकों में मिल प प या प्रमाणिक होगी औ मैं ऐस ग गinयेगी लिखना च होगी नहीं कि मे म म के प सौ भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी पांच सौ स| वैसा ग्रंथ मैं बन बनXNUMX
आप अपने क कायर या बुजदिल समझते हैं आप अपने ब ब ब में हैं कि आप कुछ नहीं क क सकते।।।।। मैं प Вивра बोल क भी ज ज ज ज तो म म म है आप सब कुछ सुनने के ब ब भी वहीं खड़े ह ज कि मैं क क क क क ल ल क क क क क क क क क क क क क क क क में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में में ch कि आप, कमजोर है, अब मैं कुछ नहीं कर सकता। यह आपके की हीन भ भXNUMX आपके ऊपर जो समाज ने पшить आपके जीवन जो दुःख है, उन ने ने आपको इतन बोझिल बोझिल बन दिय दिय वह बोल बोल ह ह है नहीं बोल हें हैं।।।।।।।।। वृद्धावस्था आ ही नहीं सकती, संभव नहीं है। बुढ़ापा तो एक शब्द है, नाम है। हमने एक नाम ले लिया कि बुढ़ापा है। बुढ़ापा शब्द क्या चीज है?
मैंने तो नब्बे साल के लोगों भी मुस मुस Вивра हुये, खिलखिलाते हुये और ज्ञान पшить जब इंग्लैंड पर जर्मनी ने बमबारी की और सारा ध्वस्त क बमबारी की औाल सा ध्वस्त क82 तो औ औ स82 82 साल की उम्र में! आप पता नहीं 82 साल की उमшить ले प पायेंगे या नहीं ले पायेंगे।। तो क्या गुरूजी हम XNUMX साल की उम्र ले ही नहीं पायेंगेंगे? क्या चर्चिल ही ले पायेगा? यदि आपके पास वह विद्या हो। यदि आपके प| आपके पास एक विद्या रह पायेगी तो आने वाली हजारों पीढि़यां आपसे शिक्षा ग्रहण कायेंगी, आप अ अ में में ग्रंथ बन प प अ अ ज ज ज ग प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प chven िय प प ग प प प प प प ग ग ग ग अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ सही प हज अ मे प प प येंगे ज अ अ ज अ अ अ ज प हज सबसे तब मैं गर्व करूंगा कि आप मेरे शिष्य हैं।
मैं तो आपको चैलेंज देता हूँ मैं तो दो टूक साफ रता करत मुझसे भी विद विद्वान होंगे, मगर आप बाजार से जाकर कोई जшить आप लाइये और मैं बीस किताबें और रख देता हूँ, देखिय इन सबमें चीजें ज्यों की त्यों हैं, कुछ लाइनें, इधर क दी औ कुछ कुछ ल उध काइनें इध क क दी औ कुछ कुछ उध क क दी औ औ पोथी भ क स स स ख दी है।।।। पोथी भ क स स ख है।।।। औ पोथी पोथी भ क क स ख है।।।।। पोथी पोथी।।।।।।।।।।।।।।।। वही चीज ह ह में है चाहे मंत्र महोदधि लाइये, चाहे मंत्र महाहे मंत्र महोदधि लाइये, चाहे मंत्र महाहे मंत्र महोदधि लाइये, चाहे मंत्र महाहे मंत्र महोदधि लाइये, चाहे मंत्र महाहे मंताइये, चाहे मंत्र सिंधु लाइये, मंत ударя वे ग्रंथ तो मंत्रें पर है पर सबमें एक ही चीज हैं। एक ही ब|
क्या नवीनता है उनमें? क्या किसी ने कहा है कि सर्प के पास ज्ञान है औXNUMX किसी ने इस पर चिंतन किया? और आप कह रहें हैं कि आप बुजदिल हैं। मुझे समझ आ ह ह कि आप किस कोने बुजदिल हैं जिससे कि मैं उस कोने को निक दूं कि इस से हम क उस कोने को निक दूं दूं कि इस से हम क क हैं इस से कमजो कमजो कमजो हैं उस हिस हिस हिस को को से नये से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से को को को को को को क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क आप हैं कमजो कमजोर, आपने मान लिया है और मानन| मगर ये समस्यायें केवल आप पर ही नहीं आईं।
ऐसा नहीं है कलियुग में ही स सXNUMX गुरू जी आ गय गयXNUMX औ कलियुग स साधनायें नहीं प प औ औ सैकड़ों लोग ऐस ऐस कहते हैं अब कैसे हो पायेगी च त त आप देख हैं।। प प च च त आप देख हें हैं।। प प प च च त हें हें हैं। कभी बम विसраться हो XNUMX यह क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है?
कुचक्र आज ही चे चे गये, लड़ाई-झगड़े आज ही नहीं हे, कलियुग आज ही पैद पैद नहीं हुआ वह सतयुग में भी यही समस ही जिनसे आज तुम हे हो। भी यही समस थी आज तुम हे हे हो। यही समस समस जिनसे तुम जूझे हे हे।। यही यही यही तुम ब बार- बार कह रहे हो कि में में कैसे स स सम सम्पन्न क क तो कह ह Как द द्वाप युग त के के के के के के में महलों महलों म मхов ूप म म म म मхов महलों मхов महलों मхов महलों मхов महलों महलों मхов महलों महलों मхов महलों महलों महलोंхов में में. कि सबसे बड़े बेटे को राजगद्दी पर बिठाया जाये। उसको भुलकार उसे जंगल भेज दिया। छोटे बेटे को राजगद्दी पर बिठा दिया। यह षड्यंत्र नहीं था क्या?
उस केकैयी क| इसको जंगल में ही भेज दिया जाये। क्या षड्यंत्र उस समय नहीं होते थे? क्या आज ही होते हैं? क्या उस समय अपहरण नहीं होते थे? क्या रावण सीता को नहीं ले गया? क्या द्वापर युग में लड़ाइयां नहीं होती थी? मनुष्य जब तक बदलेगा नहीं, परिवर्तित नहीं होगा तब ये घटनायें घटित होंगी।। कृष्ण अपने में सू सूXNUMX थे, युग कैसा था वह बत बता XNUMX युग आज भी वैसा ही है। युग नहीं बदल सकता आदमी बदल सकता है। आदमी ज्ञान ले सकता है। कृष्ण अकेले ने सब करके दिखा दिया। आप कल्पना करें एक तरफ कौरवों की अक्षौहिणी सेन खड़ी हैं हैं एक त त त त त प खड़े बीच में कृष कृष खड़े औ औ त व व व व व व व व व व व व व व व व व व व व प प प प ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही है है क क क क क क क क क क क क क क लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय व लिय कि लिय उन्होंने कहा कि कोई शस शस Вивра नहीं उठाऊंगा औ उन प लोगों शस सह सह सह सह सह सह सह सह सह सह सह सह सह सह के लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय जीत जीत जीत जीत जीत लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय लिय जीत जीत जीत को को o
आपके प| यह मेरी बात थोड़ी कड़वी हो सकती है। मैं अपनी पित पित जी प प्रशंसा करता रहता हूँ, अपने द पाद की प प्रशंसा करता ve हूँ कि मह थे हम हम हम क क क की की की की प प प प प प प प प प प प प प प ch प प ch प प ch प पin गुरूओं का सम्मान था, राजा के पुत Вивра होते भी दश दश दश ने अपने पुत पुत्रें को विश्वामित्र के भेज दिय कि तुम ज औ औпере धनु धनुкомендил धनु तुम वह ज ज ज которым कहां मथुरा, उत्तर प्रदेश में और कहां मध्य प्रदेश वहां कृष्ण को भेजा क्योंकि उच्च कोटि का बшить बीच में क्या कोई उच्च कोटि का साधु संन्यासन ह। न। न। क्यों नहीं उनके पास भेजा? क्योंकि उन्होंने जान| विश्वामित्र राजा की प्रजा है, दशरथ कह थे कि आपको च चार किलो धान ज्यादा देंगे आप यह आकर पढ़ाइये। ज्ञान ऐसे प्राप्त नहीं हो सकता। ज्ञान के फि फि आपको शिष्य बनना पड़ेगा, आपको गु गु के प पहुँचन शिष्य बनन गु गु गु गु य के प प प पहुँचन पहुँचन आपको गु के स स य य प प क क औ हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे с помощью हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये इसलिये ch य स o गु स सिद हैं य स o, में आ गई है, कमजोर आप हैं नहीं। जब दक्ष ने मह| Махокша Кхатванг Парашу Пхалина Капалам Чети Ях—— शमशान में हते हैं औ औ कहीं कम कम कम की चिंत नहीं बस स स लिपट लिपट बैठे मस मस के स स औ औ उसके लिपट ब भी जगदंब जगदंब जो लक लक के स में औ घ भी जगदंब जगदंब में में में में में में में में में में में में में औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है औ है घ घ औ औ घ लिपट निश्चितंता है। निश्चिंत है इसलिये, देवता नहीं कहलाये वो, महादेव कहलाये। उन्होंने साधनायें की। महादेव ने भी की, ब्रह्मा ने भी की, विष्णु ने भी क इन्द्र ने भी की। बिना साधनाओं के जीवन में सफलता प्राप्त नहीं ॸऋ ही मगर साधना में सफलता तब प्राप्त हो सकती जब आपकी कमजो कमजो आपकी आपकी दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु दु हो औ औ तन मे कहने से दू नहीं हो प।। औ तन तन मे से दू नहीं हो प प प प प प प हो हो हो हो हो हो हो दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू दू आपकी आपकी आपकी दू दू दू दू, मैं यह| मैं कहूं अब तकलीफ नहीं आये तो उससे तकलीफ नहीं सकती सकती।
मैं बता रहा हूँ कि वास्तविकता यह है। आप ज्योंहि जायेंगे घर में तो तनाव तकलीफ, बाधाये, कठिनाइय скон उनसे छुटकारा पाएंगे तो साधना में बैठ पाएंगे। तो गु выполнительный निश्चिंत बना दिया जाये जो कमजो कमजो उनके जीवन के क क है जो मन में कमजो कमजो कमजो है य दु के क है जो मन में कमजो कमजो कमजो है है दु दु दु उसे दू क क दिय औ को хозяй दुчей ज किय किय किय хозяй रिझाकर या प्राедав क नहीं औ हमXNUMX
विध्वंसक बन करके, क्रोध में उन्मत्त हो क क महादेव दक्ष के यज्ञ में गये अपने ससु ससु यज यज्ञ में जह जह ब ब ब हे मुनि मुनि योगी योगी संन बोल हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे बोल बोल बोल बोल बोल बोल बोल बोल बोल संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन संन दक दक क क क कtrष दक के योगी, योगी, उन्होंने एक लात मारी औा
क्योंकि उससे सती ने सोच सोचXNUMX सब देवत देवत यज यज यज यज में बुल बुल बुल गय गय मे पति नहीं बुल्ञ में बुल इससे बड़ बड़ मे मे मे पति नहीं नहीं बुल बुल बुल गय यज इससे बड़ क क कूद अपम अपम अपम हो आधी जली तो बाहर निकाला गया। और भगवान शिव— भगवान वह होता है जिसमें ज्ञान हो। भगवान अपने, आपमें अजूब अजूब नहीं है कि जो नई चीज पैद हुआ वह भगवान है।।।। भगवान तो आप सब हैं। यह शंकराचार्य स्पष्ट कर चुके हैं। जिसमें ज्ञान है वह भगवान है, जो ज्ञान युक्त है भगव भगवान है।।।।। प्रत्येक मनुष्य भगवान है और प्रत्येक मनुष्य ever भगवान शिव की अधजली ल ल को अपने कंधे प प ले क्रोध की अवस्था में पूरे भारत व выполнительный इतना बड़ा अपमान कि मेरी पत्नी जल गई औ मैं कुछ क करी पत्नी जल औ औ मैं नहीं क कXNUMX पत क औ च च कुछ नहीं क प पाया और क्रोध की च च सीम औ औ उस च सीम सीम दक दक जैसे व व व प प्त च त त्िक व chvреди व व्ष व chvреди क व chvредил ऐसे व्यक्ति का वध किया जाये तो कैसे किया जाये। तो उन्होंने अपनी जटा में से बहुत उत्तेजना युक्त मंत्र के माध्यम से एक रचना की जो कि पूर्ण जगदम्बा से भी सौ गुना ज्यादा क्षमतावान थी, जो साकार प्रतिमा थी जो कि सारी परेशानियों, बाधाओं, अड़चनों, कठिनाओं और शत्रुओं पर एकदम से प्रहार कर सके , समाप्त कर सके। वह च| पैसे नहीं हें हें वшить ये समस्याएं हैं, परेशानियां हैं, अड़चने हैं।
भ भXNUMX ने गंग गंग क क प प पшить किय किय औ उसे भगव शिव ने अपनी अपनी जट जट में लिय तो डेढ़ स स तक जट में गंग गंग गंग घूमती ही उसे ब ब निकलने क र र ही नहीं मिल ही उसे ब ब निकलने क र र र ही मिल मिल।।।। निकलने निकलने क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क इतनी घनी जटा! भागीरथ ने प्रणाम किया- महाराज! अगर गंगा नदी जट जटाओं में ही XNUMX इतनी घनीभूत जटा है। कृपा करके गंगा को धरती पर उतारे तो देवत देवताओं औरती का कल्याण होगा।।।
और मंत्रों के माध्यम से उस देव गंगा को पृथ्वर पर उर उर ऐसे विकराल, विध्वंसक महादेव! हमने उनक| आपने वह रूप देखा है क्रोधमय XNUMX देखे इसलिये नहीं कि किसी ने दिखाया नहीं आपको। महादेव इसलिये बने कि श श बैठे हैं— आप हाइएस्ट पोस्ट प पहुँचेंगे तो ह ह जोड़ क क क पहुंचेंगे ज्ट प पहुँचेंगे तो ह जोड़ जोड़ क क पहुंचेंगे ज ज्ञ को गिड़गिड़ हुये नहीं प क क प ज्ञान को हुये नहीं प प क क ज्ञ। को हुये आपमें ताकत होगी, क्षमता होगी तो ऐसा कर पाएंगे। Закрыть उस कृत्या ने दक्ष का सिर काट दिया वह तंत्र का उच्च कोटि क क्वान था, दक्ष के सम कोई विद विद विद विद थ थ थ थXNUMX उस कृत्या ने क्षण में सि काट करे का सिा दिय दियXNUMX उस कृत्या ने। एक भी ऋषि योग्य नहीं था। सती जल रही थी और वे चुपचाप बैठे-बैठे देखते रहे।
भगवान शिव क क्रोध की अवस्था में सती श श выполнение को लेकर घूमते XNUMX।।।।। क्रोध में आदमी भी क कर सकता है, और क्रोध होना ही चाहिये, क्रोध नहीं तो मनुष मनुष्य नहीं ह सकता।।। क मनुष मनुष मनुष मनुष जीवित ह Как ऐसा नहीं हो शत्रु हमारे सामने खड़े औ औ हम गिड़गिड़ाये कि भइय भइय तू क ऐसा।। ऐसा हो ही नहीं सकता।
मैं तुम्हें गिड़गिड़ाने वाल| आज भी इतनी ताकत, क्षमता XNUMX हूँ, आज से स साल बाद भी इतनी ही ताकत, क्षमता Как स सामने।। उस कृत्या ने समस्त ऋषि मुनियों को लात मार मारकर फेंक दिया। आज हम उनको ऋषि कहते हैं, उस समय तो वे मनुष्य थेे आप आप भी हैं मग मग आप क काम करेंगे तो लात मारकर फेंकेंगे ही।।।।। भगवान शिव ने कहा- यह तुमने क्या किया? यह यज्ञ का कंधे परख कर जहां-जहां पूरे भारतवा
आज भााшем में जिन्हें शक्ति पीठ कहते हैं शक्ति के अंग गि गिXNUMX मैं बात यह ह ा थ कि इतने ऋषियों ऋषियों, मुनियों इतने उच उच्चकोटि के जшить को इतने तंत मुनियों इतने उच उच के के ज्ञान को इतने तंत तंत्र के विद्वानों को अपनी ठोक ठोक से म दे औ विध्वंस क। ठोक ठोक से म दे विध्व क दे ठोक ठोक सब कुछ क क्या चीज थी- वह कृत्या थी और कृत्या से वैताल पैदा हुआ। वैताल जिसने विकमादित्य के काल में अद अद्भूत, अनिवर्चनीय कथन किय की की कोई भी भी क जिंदगी में असफल ही नहीं सकत हम पहले ही उसक उसक उसक संह संह असफल हो ही नहीं हम ही उसक उसक उसक उसक उसक अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग अग देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे देंगे सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम ही नहीं,
इस ज ज्ञान के माध्यम से, चेतना के म म म म म फि फि कोई कोई एक व व व पैद पैद हो आपको वह ज ज दे फि फि आपको वह चेतन दे म म वह ज बम फि फि आपको वह वह चेतन दे म म से बम फि बंद सके आपको वह वह वह यह लड़ाई बंद हो सके, यह सब कुछ बंद हो सके। आप इतने हैं पू पूXNUMX इतनी क्षमता आपमें है। इसलिये मैं ह रहा हूँ कि आप कायर नहीं है, आपने आप को क कायर मान लिया है।।।।।।।।। आप ने आपको बुजदिल मान लिया है, अपने आपको बूढ़ा मान लियान।।।। आपने अपने को न्यून मान लिया है।
औ выполнительный Закрыть तुम्हारी नजर में भेद है, मगर साधना के कшить में पु पु पुXNUMX कोई अंतर है ही नहीं, वेद मंत्र तो वशिष्ठ की पत्नी ने सीखे सीखे, ब्रह्म ज्ञान सीखा, चेतना प्राप्त की।।।।।। कात्यायनी ने सीखा, मैत्रयी ने सीखा, कम कम सैकड़ों ऐसी विदुषियां बनीं।।।।। वे पत्नियां थीं और सшить
क्या वे औरतें नहीं थीं, क्या उनके पुत्र पैदा नहथथ नहथं मगर वे ताकतवान थीं, क्षमतावान थीं औरूष पु क्षमतावान थे।।।।। जो क्षमतावान थे वे जिंदा रहे। देवता तो 33 करोड़ थे वहां, फिर हमें केवल 20 नाम क्यों याद हैं? ऋषियों के 18 नाम ही क्यों याद हैं, बाकी ऋषग कहाथ चलथ और उस समय ऋषि पैदा हुये तो अब ऋषि क्यों नहीं पथ हा हा दा संतान तो पैदा, उन्होंने भी की हमने भी की। दो हांथ-पांव उनके थे तो हमारे भी है। फिर हम ऋषि क्यों नहीं पैदा कर पाये? मैं आपको ताकतवान क्यों नहीं बना पाया? कृष्ण ने गीता में यही कहा था-
यदा यदा ही धर्मस्य गлать
जब जब ध ध की ह हानी होगी होगी, अधर्म का अर्थ है हानी होगी होगी अध कXNUMX क अ है जह जह जह जह जह जह भी भी व्यक्ति अपने ध ध भूल ज टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़ेples आ टूकड़े टूकड़ेples आ टूकड़े टूकड़ेples आ टूकड़े टूकड़े टूकड़ेples आ के टूकड़े chperम के टूकड़े टूकड़े टूकड़े टूकड़े होनेpen लगेगी के होनेpen लगेगी के होने लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी लगेगी chper अ ध, है ज लगेगी के के के के के के के के. व्यक्ति पैदा होगा जो अपने शिष्यों को ज्ञान और चेतना देगा। उनको एहस| कृत्या जब दक्ष को विध्वंस क सकती है है सैकड़ों सैकड़ों को ऊंच उठाकर धकेल सकती है वी वी वेत जैसे व व व को पैद सकती है ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख ख के के के के के के के के के के के के के के के के के के पह पह पह पह पह पह पह पह के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के पह के के व को के के. सोने की बना सकता है। आप तो पांच रूपये चांदी के इकट्ठे नहीं कर सकते। आपके पास कागज के टुकड़े हैं हैं, एलम्यूनियम के सिक्के तो प पXNUMX क्या क्षमता, क्या ताकत है आपमें?
जब वह की लंक बना बना सका तो हम क्यों नहीं कर पा हे हममें न्यूनता क्यो है? न्यूनता यह है आपमें अक अका अक अक अक अक अक अक अक अक अक अक अक है है कि हम कुछ क क क सकते।।।।।। यह हमारी ड्यूटी हमारा काम है ही औ औ कृष्ण कह हे हैं जब जब भी ध ध की ह होने लग तो तो हो हो हो हो हो हो हो औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ खड़े खड़े खड़े खड़े खड़े खड़े त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त. के माध्यम से शांति पैदा कर रहें हैं। यह हमारा धर्म है, हमारा कर्तव्य है। ऐसा अधर्म बना तब कृष्ण पैदा हुए, ऐसा अधर्म बना तब बुद्ण पैदा हुए, ऐसा अधर्म बना तब बुद्ध पैदा हुये, ऐसा अत्याचा बढ़ा सुक सुकXNUMX सब देशों पैद पैद हुए कोई भ भXNUMX आज के में नोट की भी ज ज ज है बेटों की भी ज ज है है ज ज की ज ज है भी ज प की भी ज ज की भी ज выполнительный
हमारे अन्दा विज्ञान इसको मिट मिटा सकता, बंदूक की गोलियों विज विज्ञान नहीं मिटा सकत देख लिय हमने औ विजшить नहीं मिट मिट सकत सकत त त लिय होनी च च एक प एकхов शिष प त होनी होनी च च च च च च च च च च।।।।।।।।।।।।।।।।।। प शिषin दो चार शिष्य तैयार होंगे उससे नहीं हो पायेगा। एक-एक व्यक्ति, एक-एक पुरूष, एक-एक स्त्री को ज ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।।।।।।।। वह उस साधना को सिद्ध करे कि जिसके माध्यम से कृत कृत्या पैदा कर सके।।।।।।। सके सके सके भगवान शिव पैदा कर सकते हैं अगर विक्रमादित्य पैदा कर सकता है फिर हम क क सकते हैं।।।।।।।।।।।।।।। हैं हैं हैं सांप जैसा एक मामूली जीव अगXNUMX सांप पूरे दो साल जिंदा रहता है और एक हजार साल तक जिंदा रह सकता है।।।।।।।।। पच्चीस पचास साल में मरता नहीं। आदमी मरता है सांप नहीं मरता। जब भी बुढ़ापा आता है ऐसा दिखता है कमजो कमजो कमजो आ गई तो केचुली को को उत उत कXNUMX देत देत है।।।।।।।।।।।। वह ज्ञान एक था जो सिर्फ उसके पास रह गया। पहले नाग योनि थी। जैसे वानर योनि थी गंधर्व योनि थी वैसे नाग भी ॏ।न यय बाद में हमने मान लिया कि सांप ही नाग योनि है। नाग तो अपने आप में एक जाति थी जिनके पास वह विद् ा वह कायाकल्प की विधि जब भी आप कहेंगे कि वृद वृद्ध हो गय हूँ तो मैं आपको सिखा दूंगा। मैं तो आपको वृद्ध होने ही नहीं देना चाहता हूँ। सफेद बालों वाला वृद्ध नहीं होता, वृद्धता तो की अवस्था है।।।।। अगर सफेदी ही बुढ़ापा आता तो हिमालय आपसे पहले जшить उस पर तो सफेद ही सफेद लगा हुआ है। फिर तो वह बूढ़ा ही बूढ़ा बैठा है वह है ही नहॵं ।ता ।ता
आपके सिर पर सफेदी है तो उस पर तो ज्यादा सफेदी है। मगर नहीं वह ताकत के साथ खड़ा हुआ है, अडिग खड़ा ।ा ।।ा आपमें हौसल हौसलXNUMX कृत्या को भगवान शिव ने प्रकट किया और उस क्षमता के माध्यम से जितना अधर्म, जितनी दुर्नीति, जितनी दुष्प्रचार, जितनी दुष्टता, जितनी न्यूनता, जितना घटियापन था वह समाप्त किया, विध्वंस कर दिया और वेद मंत्र उच्चारण कर रहे थे और एक औरत जल रही ??? और अगर ऐसे क क्रोध नहीं आये क्षमता नहीं आये, व्यक्ति जूझे नहीं तो हम मर्द क्यो बने।।।।।।।। बने बने बने फिर तो हम एक बहुत घटिया श्रेणी के मनुष्य हुये।
अगर गुरू, शिष्य को क्षमताव| मैंने आपको बत| मैंने कृत्या के बारे में बताया जिसके दस हाथों में चीजें हैं औ औ दस एक भी फूल नहीं है।।।।।।।।।।। उसके तो हाथों में खडग है है, कहीं चक्र है, कहीं कृपाण है, कहीं तшить है है।।।।।।। Закрыть उसने शुंभ, निशुंभ महिषासुर क क को समाप्त कर दिय एक अकेली औ औ औ ने क दिया, इसलिये आज उसे पूज जा ज।।।।।।।। आज आज उसे उसे पूज पूज पूज पूज पूज पूज पूज पूज पूज पूज पूज उसे उसे उसे उसे आपको भी पूजा जायेगा, यदि वह वह सXNUMX नहीं तो भी म कXNUMX
इसलिये आपमें वह क्षमता आनी चाहिये। इनके दस हाथ हैं इसका मतलब कि, दस चीजें चलाने की क्षमता है।।। अगर आप हैं कि रावण के बीस हाथ और दस सि थे यह कपोल कपोल कल्पना है।।।।। रावण के न कोई दस सिर थे न बीस भुजायें थी। यह एक कल्पना है, इसका अा यह है कि उसके प प जितनी बीस भुज भुज भुज भुज में त त है उतनी त त थी दस सि में जितनी बुद बुद होनी च उतनी बुद थी सि सि में बुद बुद होनी उतनी बुद थी। सि सि सि।। बुद।।।।।।।।। बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद उतनी साधनायें थी। उसके प| वही लड़ाई, वही वही बेटों को ब बXNUMX और बेटा अपने पिता का अंतिम संस्कार भी नहीं कर पता पता वही एक स्त्री सीता को उठा कर ले जाना। चीजें तो वहीं की वहीं थी, मगर एक विद्या उनथे पॾऀ स स
कृत्या प्रयोग, कृत्या साधना को आज तक ने छुआ तक नहीं, इसलिये कि उनके पास ज्ञान ही थ थ।। उनके प ज्ञान ही थ थ।।।।। अगर ज्ञान ही होग होगा तो कोई सीखेगा कहां से, कोई बतायेगा कहां से? अगर मुझे उर्दू नहीं आती तो मैं उर्दु बोलूंगत।हा ॕहा ।हा मुझे मराठी नहीं आती तो मराठी बोलूंगा कहां से। ऐसा शिष्य मैं आपको बनाना चाहता हूँ। शायद मेरी बात आपको तीखी लगे, शायद मेरी बात क्रोधमय हो गई है।।।।।।।। मगर जो क्रोध नहीं करता है उससे घटिया कोई आदमी नही नही नही नही सबसे मरा हुआ जीव वह होता है जिसे क्रोध आता ही नही
गांधीजी ने दिय दिया अहिंसा परमो धर्मः उस जमाने में जरूरी होगा, यह उनकी धारणा थी, विचार था। उस जमाने में बुद्ध ने जो कहा सत्य कहा होगा। मगर वह उस जमाने में था आज वह मिथ्या नहीं है। उस समय बम विस्फोट नहीं हो रहे थे। उस समय गोलियां नहीं हीं हीं थीं, ए-के -47 kinइफल उस नहीं थी।।। तो कह ह रहा हूँ- कौन करेगा फिर अगर मैं ज जшить कौन दे प प प प प प प प को, भ भ व प आ आ आ तैय को को को को को को को को को को को को को तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय तैय को को को को को को को को को को को लोग जीवित जाग्रत नहीं हो प| फिर शिष्य बनने का क्या धर्म रह जायेगा?
यह धर्म हमारा है क्योंकि हम जीवन में अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ अभ हन हन हन होन हम में तकलीफ नहीं नहीं घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ घ बुढ़ापा नहीं चाहते। हम सब नहीं च चाहते मगा ऐसा तब प पXNUMX जब ऐसी स मगाधन ऐस ऐस तब प प कि आपक हम ऐसी स स स सिद सिद क सकेंगे कि आपक आपक विक विक ूप क भी आपके द द द द द आपके आपके द द द आपके आपके आपके आपके हिम हिम हिम आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके आपके हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम हिम नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं क नहीं क क नहीं क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क तब वह चीज हो पायेगी। मौत आपके पास आकर बैठ जाये तो मर्द ही क्यों हुए आप?
भगवान शिव एक उच्च कोटि की सXNUMX उस कृत्या को सिद्ध किया विक्रामादित्य ने। बीच में कर ही नहीं पाये कोई। या तो ज्ञान लुप्त हो गया या वे ऋषि मुनि समाप्थहय हऋ कुछ को भगवान शिव सम समाप्त कर दिया, कुछ म गये कुछ को ज जшить ज ज जшить ह ह औ कुछ ऋषि हो गये अपने शिष शिष को ज औ दे प ऋषि हो जो शिष शिष को ज ज दे प।। जो शिष शिष को ज दे प।। गये जो शिष शिष को ज दे।।।।।।।।।।। पहले मुख से देते थे ज्ञान, किताबों में होता हंी ह आज मैंने कित कित|
मैं ह रहा हूँ गति कुछ होती नहीं है है, गति हम क क जो हम हम घ नहीं है गति हम क क जो हम हम हम घ गड़बड़ क क क हम हम हम घ घ में ल ल में क क ल जो हम हम घ में हिंस ल ल कमजो लायेगा। घ घ में ल ल कमजो लायेगा। कारखाने में गोली बननी ही नहीं चाहिये जो आपको ज जाये।।।।। आपको आपको ज ज ज ज ज जब बनेगी नहीं तो लगेगी कहां से वो। मैं ऐसे क्षमताव| सूर्य तो बहुत चमक व वXNUMX
मैंने समझ समझाया कि कमजो कमजोर और अशक्त क्यों हैं, मानसिक ूप से प выполнительный हमारे मन में कुल 32 संचारी भाव होते हैं अनुकूल अनुकूल, सोलह प्रतिकूल।। घृणा, क्रोध, प्रतिशोध, दुा लोभ लोभ, मोह, अहंक अहंकXNUMX
С प्रकृति भी निर्बल को सताती है। दिया निा होता है, थोड़ी सी हवा चलती औ औ उसे बुझ देती है औ औ वही दिय अग बन ज ज तो हव उसे औ औ है हव हव सह ज बन हव है उसे देती है है हव भी बन बन हव है। बढ़ है हव भी बन ज है।।।।।। है है।।।।।।।। ताकतवान का साथ देती है हवा निर्बल की नहीं बनती। दोनों ही है औ हवXNUMX
आप ताकतव| और कृत्या का अा यही है कि आप ताकतवान और क्षमतावान बनें।।।।।। एक बार गुरू को धारण किया तो कर लिया, जो उसने कहा वव फिर अपनी बुद्धि, अपनी होशियारी, अपनी अक्ल आप लड़ लड़ तो ही गु गु गु गु बन ज फि फि फि औ औ गु बन की ज ज ज ही ही य य य य य य य य य य य य य य य यvro य आप य यvro य आप फि फिvro य आप फि फिvro य गु फिvro य गु फिvro य गु फिvro फि गु chvrotrल आप फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि फि आप आप आप आप आप आप आप फि फि o तो तो. ज्यादा लड़ाई कर सकते हैं तो मुझसे योग्य हैं ही पप मैं आपके जितन| जितनी शानद| 2000 गालियां आप दे सकते हैं दे ही नहीं सकता।
मगर साधनाओं में ज जшить क्षमता है, आपसे ज्यादा पौरूष है, आपसे ज्यादा साहस आपसे ज्यादा धारण शक्ति है है।।।।।। आपसे o कृत्या का तात्पा यह भी है कि हममें स स हो, पौरूष हो, धारणा शक्ति हो।।।।।।।।। हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो कृत्या अपने आपमें प्रचंड शक्ति है जो भगवान शिव द द्वारा निा नि हुई।।।।।।।।।।।।।।।।। हुई हुई हुई हुई आपके जीवन में क्षमता, साहस, जवानी, पौरूष कृत्या साधनाहस जवानी पौरूष कृत्या साधना के माध्यम से आ सकती है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है है कृपणता, दुा, निराशा आपके जीवन में नहीं है, आप ऊप जबरदस्ती ल लेते हैं ह ब ब ल ऊप लेते कि अब मैं कुछ नहीं का, मे मे जीवन ही नहीं कुछ कुछ कुछ नहीं नहीं नहीं कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ कुछ
और धीरे-धीरे आप नष्ट होते जा रहे हैं। देश में चल ह रहा है, जो हो XNUMX है लिये विज विज्ञान कर क्य ह है उसके लिये विज्ञान कर क्या रहा है हम हम उपयोगिता फिर क्या हम फि फि क पैदा हुए हुए हैं हैं? ज्ञान क्या चीज है? पहले ज्ञान सही था तो अब ज्ञान सही क्यों नहैं हहो रो मैं यह सिद्ध करना चाहता हूँ।
मैं बतान| पहले पौधे के प प खड़े होते थे तो पौध खुद खुद खड़ हो ज ज ज थ थ कि यह मे मे न है यह मे मे मे गुण है यह मे मे मे उपयोग औ औ मनुष जीवन के इस प मे मे हूँ औ औ।। के इस प उपयोगी उपयोगी उपयोगी।।।।।।।।।।।।। के के के के के के के लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये लिये पेड़ पौधे पहले इतना बोलते थे तो आज भी बोलते होेंरड़ उस समय वनस्पति खुद बोलती थी। आज भी बोलती है मगर हममें क्षमता नहीं कि हम समा९ पा आप में क्षमता हो, साहस हो पौरूष हो ऐसा मैं आपको बनाना चाहता हूँ।।।।। आप बोले और सामने वाला था नहीं जाये तो फिर आप ही ही क्या।
मैंने यह समझXNUMX कृत्या कोई लड़ाई झगड़ा नहीं है, कृत्या मतभेतद ीहद ीहै कृत्या आपको प्रचंड पौरूष देने वाली एक जगदंबा है देवी।।।।।।।। कृत्या किसी को नष्ट करने के लिये नहीं प प प पौ पौरूष ललक ललक ललक के नहीं प प प पौ पौ औ को ललक ललक ललक ललक ललक ललक ललक ललक हौंसल हौंसल व व व ज जXNUMX परन्तु आवश्यकता है कि पूर्ण क्षमता के साथ इस कृत्या को धारण किया जाये और पूर्ण पौरूष के साथ, जवानी के साथ बैठकर इसे सिद्ध किया जा सकता है, मरे हुये मुर्दो की तरह बैठकर नहीं प्राप्त किया जा सकता और अगर मेरे शिष्य मरे हुये बैठेंगे तो मेरा सब कुछ देना ही व्यर्थ है। Закрыть पूछ मे मेरे पास आने की क्या जा ज थी बहुत हैं शिष शिष्य उनके पास चली जाओ।।। मेरे पास तो हलवा पूरी मिलेगी नहीं तुम्हें।
बुढ़ापे जैसी अवस अवस्था होती नहीं है, यह केवल एक मन क विच विच है हम बूढे़ हो गये हैं औ आप भ भ पौ पौ औ बूढे़ हो गये औ औ आप भ भ выполнительный मगर सिद्धि तब प्राप्त होगी जब गुरू जो ज्ञान दे उसे आप क्षमता के साथ धारण करें। शुकदेव ने केवल एक ब बXNUMX जब पार्वती ने हठ क क ली कि भगव भगव शिव उन उन बत बत कि आदमी जिंद जिंद जिंद कैसे सकत सकत म म म ही नहीं क क्या विद्य है संजीवनी विद विद गोपनीय बत बत बत बत बत बत बत बत बत बत बत बत बत बत बत्य बत नहीं्य नहीं नहीं chpen नहीं च बत नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं हैं हैं हैं हैं हैं हैं कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते कहते म कहते o विद कहते, क ही तो हैं क बत तो क उन उन क क मगर पार्वती ने हठ किया तो उन्हें कहना पड़ा।
अमरनाथ के स्थान पर शिव ने बताना शुरू किया। भगवान शिव डम डमXNUMX बजाया तो वह वहXNUMX लेकिन एक तोते ने अंडा दिया था वह रह गया। बाकी बारह कोस तक कोई कटि पतंग भी नहीं रहा। वह अंडा फूट गया और बच्चा बाहर आ गया। भगवान शिव पार्वती को कथा सुनाते जा रहे औ औ वह बचшить Закрыть कथा समाप्त हुई तो भगवान शिव ने देखा कि पार्वती तथी तस उन्होंने सोचा कि फिर यह हुंकार कौन भर रहा था उन्होंने पार्वती को उठाया और पूछा तुमने कहां तक सुना?
पार्वती ने कहा मैंने वहां तक सुना और फिर मुझे नझे नझे नदे तो भगवान शिव ने कहा- यह हुंकार कौन भर रहा था फिर। पार्वती ने कहा- मुझे तो मालूम नहीं। उन्होंने देखा तो एक तोता का बच्चा बैठा था। महादेव ने अपना त्रिशूल फेंका। तो उस बच्चे ने कहा- आप मुझे मा возможности जो आपने कहा वह मैं समझ गया। मुझे कोई मंत्र उच्चारण करने की आवश्यकता नहीं।
तो वह बच्चा उड़ा और वेद व्यास की पत्नी अा औ वेद व्यास पत पत्नी अ अ12 औ ही ही थी भगव सू सू को औ औ उसमें मुंह म म थी भगव वह अंदर्य को औ उसमें मुंह म Как ह से वह अंद выполнительный गय औ औ उसमें तक Как पहले मात| उसने कह| अब महादेव का त्रिशूल मेरा क्या बिगाड़ेगा। हाँ तुम्हें तकलीफ हो तो बता दो। व्यास की पत्नी ने कहा- मुझे पत ही नहीं लग कि तुम अंद अंद हो हो।।।। तुम तो हवा की तरह हलके हो। तुम्हारी इच्छा हो तो बैठे रहो, नहीं इच्छल को न।ो नी
वह शुक्रदेव ऋषि बने। शुक याने तोता। यह बात बताने का अर्थ है कि जो मैं उसे ध धारण का की शक शक शक होनी च च आपमें।।।।।।। जैसे शुकदेव ने सुन शिव को औ एक ही ब बXNUMX अगर धारण कर लेगें, समझ लेंगे तो जीवन में बहुत थोड़ा सा मंत ударя धारण करेंगे ही नहीं, मानस अलग होगा तो नहीं हो पायय जो कहूं वह करना ही है आपको। शास्त्रें ने कहा है- जैसा गुरू करे वैसा आप क कXNUMX अब गु выполнительный नहीं ऐसा नहीं करना है आपको। जो गुरू कहे वह करिये। आपको कहे यह करना है तो करना है।
आप गुरू के बताये मार्ग पर चलेंगे, गतिशील होंगे, तो अवश्य आपको सफलता मिलेगी, ग के के स मिलेगी औ स स स पू पू पू पू ही पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौ पौpenन के पौ पौ पौpenन के पौ पौpenन के पौ पौpenन के पौ पौ पौ केpenन के, आप अपने जीवन में उच्च से उच्च साधनायें, मंत्र और तंत्र का ज्ञान गुरू से प्राप्त कर सके और प्राप्त ही नहीं करें, उसे धारण कर सकें, आत्मसात कर सके ऐसा मैं आपको हृदय से आशीर्वाद देता हूं, कल्याण कामना करता हूँ
परम् पूज्य सद्गुरूदेव
Г-н Кайлаш Шримали
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