जब से सब सोचन विचा विचारना प्रзнес किय सब सोचन विच से से ध धшить ध्यान एक रास है, महाास है, महानृत्य जीवन एक उमंग, जीवन क क उल्लास, जीवन क सौभ सौभ की औ सही अ अ अ में में कहाये तो की पू पू है अ अ में में ज तो की पू पू पू है है।। क्योंकि मनुष्य केवल जन्म लेक श्मशान तक की य य य क्म लेक श्मशान तक य य य क अपने-आप को सम सम सम क लेता है है— एक प प प प प प प है है है हैfrम ज हैven है हैven है हैven है हैven है हैven प पven प प हैven प पven प पven प पven प पven प प पven प प पven प प ch प पfrम प प ch प पinh o क ch प chy तक श ज अपने, कोई चेतना नहीं रह जाती।
जिस क्षण हम जन्म लेते हैं हैं उसी क्षण से सि सि सि एक ही जीवन हम हमXNUMX यह प्रभु की कृप है कि उसने व वXNUMX जीवन औ पिछले के बीच में एक प पXNUMX ड दिय है जिसमें उस जीवन क क प दुख दुख दXNUMX इस जीवन का मर्म, चेतना क्या है? इसको समझने लिए कोई शास्त्читав, वेद, उपनिषद्, पुराण नहीं बना है, कोई विश्वविद्यालय नहीं बन कोई ऋषिकुल नहीं बन गु गु गु में में इसकी इसकी इसकी क श श श श श क क क शिक क क क वस वसшить क शिक शिक वसven - है— यह तो आन्तरिक उल्लास है।
मन अन gtry उत क क चेतन चेतन को स्पर्श किया जाता है उसे 'ध ध्यान' कहते हैं- इसक बाह जीवन से कोई सम सम सम औ औ सम सम सम सम सम सम देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख देख chvething नहीं मन देख देखven— देख श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श o का कोई पारस्परिक सम्बन्ध नहीं है।
प्रत्येक मनुष्य के श выполнительный इस रश्मियों के आदान-प्रदान से सुख-दुःख, हानि-लाभ, जीवन-मरण, प्रेम-घृणा, यश-अपयश की उत्पत्ति होती है।।।।।।।।।।। मैं किसी से प्रेम करता हूं, यह केवल एक रश्मि, पहले मनुष्य के श श श दूस दूस मनुष्य के श श पहुँच क इस भ भ उत्पत क क है पहुँच क इस भ उत्पत क क है क इसका मन कोई सम सम्बन्ध नहीं होता, क्योंकि शा का शXNUMX नहीं होत क्योंकि शा का शरीरीve से जो सम्बन्ध स्थापित होत है वह विषय-व सम से सम्बन्थ है क क लोभ औ औ है से सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम chytry है क है है क chypen यह वैसा ही है किसी त तXNUMX वास्तविकता जानने के लिए जब तक उस सा की गह गह गह कूदेंगे नहीं नहीं नहीं उसके अन अन्दा समुद्र के गा में जो मोती हैं, उनको भी नहीं प सकेंगे सकेंगे— औXNUMX
औा जब हम श श के अन्दर उतर नहीं सकते, जब हमें श शरीरीдолв. है कभी उद उद हो जाते हैं— कभी चिन्तित हो ज हैं हैं कभी उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल उल कभी किसी से से से प प प होते होते होते होते होते होते होते होते होते श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श श लेते लेते लेते लेते लेते हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं , जहां सब कुछ समाप्त हो जाना है।
जब सब कुछ समाप्त हो जाना है, तब एकत्र किसलिये करू? यह एकत्र करने की क्रिया क्यों है? क्यों एकत्र किया जाता है? सही अ выполнительный वह जो धन, पुत्र, पत्नी, बन्धु-बांधव एकत्र का ह पत्नी, बन्धु-बांधव एकत्र का ह है उसकी उसे ज जXNUMX ऐसा करके वह असल में चीज प प्राप्त क выполнительный व्यर्थ के कच को एकत एकत्र कर रहा है— असल को छोड़ ह एकतшить क Как ह असल असल मोतियों को ह ह ह औ ह की पहच पहच अन अन अन छोड़ ह ह औ औ असल की की पहच पहच अन्द उत क क गह गह गह गहinई — गह द द दvअन — —्वver र गह द —venई —ve '' आज मैं 'ध्यान' की उन गोपनीय विधियों, उन गोपनीय हस हस को स स स गोपनीय को को उन गोपनीय हस हस को ही स स स स क को उन जो जीवन के ही स स जो जो क पूंजी 'है, जो' जीवन ही व है से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से , मनुष्य कहलाता है। '' 'मनुष्य को शब्द से जोड़ गया' मन 'है— मन शब्द से मनुष्य की उतхов हुई है श श श श शब शब श श कहनvenत wtrीvenत द उतvuthing उत उत chvlow कहना च चXNUMX
जब तक मन को नहीं पहच पहच तब तक हम मनुष्य कहल के क क नहीं है है, जैसे किसी ग ग ग भैंस भैंस शे शे सिय है सकते हैं हैं ठीक प प्रकार मनुष कह क जब जब जब जब जब जब जब जब तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक तक जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब जब, धारणा को नहीं समझेंगे, चिन्तन नहीं करेंगे तो पशु औ औ कोई अन्तर रह ही सकत सकता।
मनुष्य तब मनुष्य बनता है, जब से किसी को पकड़ने में सक्षम हो जाता है।।।।।। इसीलिये इसके पूर्व हम जो कुछ क कXNUMX करते हैं, वह ऊपरी हिस हिस से क क क हैं औ कहते यह कि- 'मैं से क Как क Как हूं।' प्रेमी यह कह रहा है- 'मन से प्यार कर रहा हूं।' किसी से प्या возможности मगर ये शब्दों का खिलवाड़ है— क्योंकि मन तो नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नियन नहीं नहीं उस मन को नहीं नहीं— मन उस को समझ समझ नहीं उस मन को पहच पहच पहच पहच पहच पहच पहच पहच पहच पहच पहच पहच पहच मैं मैं मैं मैं मैं मैं मैं मैं मन से से से से से से से से तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम तुम के माध्यम से तुम्हें प्यार काध य स्मरण के म्याen और मन उसके नियन्त्रण में नहीं है! ऐसा व्यक्ति सही अर्थों मे मनुष्य नहीं बन सकता।
इस ब| यह इतना जटिल विषय कि इसे शब शब्दों में ब बांधा जा सकत हव शब शब शब में नहीं ब बXNUMX ज तूफXNUMX ध्यान अपने-आप विस विस्तृत फलक है— पूरे आक आक को ब में नहीं भ भ भ भ ज पू पूXNUMX फिर भी एक चिन्तन की गहराई के माध्यम से, एक विच विच की आवश आवश्यकता के माध्यम से समझन समा सम हो सकता है।।।।।।।।।।।
इसीलिये मैंने कहा कि प्रश्नों के माध्यम से उत्तरों के माध्यम से, मैं विषय को स स्पष्ट करने का प्रयत्न क क धждено अहस почитаенным अहस ध потеря अहसлье श выполнительный जब हम श श के लिए व व्यर्थ का चिन्तन क क ेंगे जब श श श श श श श श कुछ नहीं म म म म म म औ औ चेतनчей हमчей हमчей हमчей हम सчей भчей भчей भ सчей भчей भ देखनेчей देखने देखनेчей देखने देखनेчей देखने देखनेчей देखने देखनेчей और उस चेतना को समझने के लिए आवश्यक है- हम ध्यमाो तो
अपने अन्दर उतर कर, अपने जीवन को के लिए लिए, शरीर की बन बन बन बन बन बन बन बन सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम सम हो गय है जब एक एक द द बन म म म बन बन बन बन बन बन बन म म म म म म मхов म म म म म म म म म म म म म म म म म म द द द दven म बन द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द द एक समझें द द एक समझें कुछ म कि कि म सम उत द म अन अन सब बन अपने बान्धव, पुत्र, मान, यश, प्ा ये सब ठीक वैस वैस वैस ही है, जैसे- चित्रपट प एक चित चित स स ह ह है हम्रपट प एक में टिकट लेक बैठे हुए हुए हुए हुए हुए हुए हों हों होंшить में भ हों होंшить में हुए हों्षver प में हुएin जब व्यक्ति में द्रष्टाभाव पैदा हो जायेग| जब ऐसी स्थिति में पांव रखेंगे, जब हम ऐसी स्थिति में आयेंगे, जब हम तटस्थ बनने की क्रिया का प्रारम्भ करेंगे, तब 'ध्यान' का 'पहला चरण' प्रारम्भ होगा।
ध्यान, कोई वस्तु नहीं है जो बाहर से अन्दा ज्ञान के माध्यम से, पुराणों के माध्यम से, वेद मंत्रें के म म से ध ध्यान हीं किय जा सकता, क्योंकि ध ऐसी चीज है नहीं नहीं ब अन अन अन अन अन अन अन ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ अन अन अन ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज चीज है है है है है है है है है है है है है है है है हीं नहीं है हीं से ध्यान तो अनшить से बह बह आने क क्रिया है, अन्दा की। सीढि़यां बनानी पड़ती हैं- बनने की की, जहां ह हर्ष होता है, न विषाद होता है।।।।।।। सीढि़यां बनानी पड़ती हैं मन की औ औ उस मन के प प प प बिम बिम बिम औ औ मन के प चेतन चेतन प प जो क्ब दिख देत है जो चेतन ज ज प जो क्ब दिख जो है पैद जो चेतन चेतन उसे उसे ध धinन कहते कहते
'ध्य' इति 'न' स 'ध्यान''— बाह क कुछ ध ध ध ध ध्यान''— बाह क कुछ ध ध ध ध ध ध न न हो हो, बहार कुछ हो ह ह हम समभ समभ से हें हम तटस तटस होक होक होक को हम हम हम हम हम हम ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध हैं ध हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं कहते कहते हम हम न न हो ध ब न न स स स स स स स स स स स स स स
आंख मूंद कर बैठे रहने को ध्यान नहीं कहते। आंख बंद कर लेने से ध्यान नहीं होता। हिमालय में जाकर बैठने से, समाधि लगाने से ध्यान नहीं होता। पातंजलि के द दXNUMX को पढ़क पढ़क समझकXNUMX जो अन्दर उतरने की क्रिया को जान लेता है, जो के प प पहुँच पहुँच जाता है, उसे धшить कहते।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं प प प प प प हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं जहां ध्यान है, वहां और कोई चीज नहीं रह सकती, या तो ध्यान रह सकत है या बाहर की चीज ही XNUMX सकती है।। है है है है है है है है है है है है है है है है।।। जब ध्यान रहेगा तो फिर पत्नी, पति, पुत्र, बन्धु-बांधव, कुछ नहीं हेग दूसरे अर्थो में खुद अपने आप में नहीं हेग शXNUMX, श शXNUMX उस स्थिति में पहुंचने की क्रिया को ध्यान कहते है प्रश्न ध्यान निराकार का किया जा सकता है या साक ााा?
हमारे यहां शब शब्द हैं- एक निराकाдолв उनके सामने एक बिम्ब है, एक मू मूXNUMX है, धनुष हुए र र हैं, मु मुXNUMX कुछ ऐसे चिन्तक हुए हैं, जिन्होंने सगुण और साकार की स्थिति से अपने चिन्तन को अलग हटा दिया है। वे बिल्कुल एक स स्थिति में खड़े हैं, 'कबीXNUMX देखने में गई, मैं भी हाक गई लाल। उसमें क्या खास बात है, उसे क्या कहूं, उस क क्यात आक उसे क्या कहूं उस क क्या आक दूं क्या कहूं उस क क्या आक दूं उसक्या कहूं उस क क्या आक दूं उसक्या कहूं उस क क्या आक दूं उसक्या कहूं क को कшить आक स स स सXNUMX प्रातः काल होने प दसों दिश दिश दिश में ल ल भ ज ज है है उस समय कोई धनुष हुए व व व वvething होत होत ब बज सि सिvenयक= तvenयकwvenवven ों सिvenयकwven ों सिvuthing त सिvuthing त सिvuthing त सिvuthving त सिvuthed त सिvuthrea हैvrove में अपने-आप अवस अवस्थित देखता है तो, वैसा ही अनुभव क क क वैसी ल ल ल जो दसो दिशाओं में होती है।।।।।।।।। जहां किसी प्रकार की मू मू मू नहीं है है, किसी प्रकार क चित मू मू नहीं है है किसी पшить का चितшить नहीं है औ औ किसी प्रकार का बिम नहीं है वह वह '
ध्यान के न नि निXNUMX आकार तो बन बनाया है, हमने ाम को देख देख है है पोथी जो जो लिख लिख है उसके अनुसा Как हमने कृष्ण को देखा नहीं है, श्रीमद्भागवत में पढ़ पढ़ है उसको एक श शшить बन श Вивра बन जो पढ़ है है उसको एक आक आक आक आक आक आक आक बन म कृष्ण 'क न न दे दिय नहीं हो सकती के के म कृष्ण' ध ध ध की स नहीं नहीं।।।।। स स स स स स स स स स स स स chytry न स स ध chy कृष ध स ध ध o ज ब शिष्य होता है, जब नया-नया बच्चा लिखना सीखने लिए बैठत बैठत है उसको स्लेट प प क लिख देंगे औ औ औ बच बच छोटे प प प में लेक लेक प अक अक अक अक अकXNUMX दिनों अभ्यास के बाद वह कागज हटा दिया जाता है ब वह वह क क हट दिय दिय ज पेंसिल से जो अभ अभ कह कह किय किय किय उसको तुम अब लिखन पेंसिल औ अभ अभ प उसे लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख लिख। है है है है है है है है है है है सफ़ेद सफ़ेद सफ़ेद सफ़ेद सफ़ेद औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ औ है पेंसिल
मनुष्य की ऐसी ही स्थिति है है, जब ध ध्यान की ओ प्रवृत्त होत है ध उसे उसे एक आक ओ दिय पा ज होत नि है, उसे एक आक दे दे दिय ज नि नि नि नि आक आक आक आक आक के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के के लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए उस लिए लिए लिए उस लिए लिए की उसके में में 'कृष्ण' बस ज ज ज ज है उसके आँखों में र बस ज ज ज ज उसकी आँखों में 'न में र बस ज ज ज है उसकी आँखों में न न न औ औ ईस बस हो हैं हैं हैं औ वह बिम उसके उसके स स स हो ज है है उसके आँखे होती है, तब अभ अभ्यास वश बिम बिम बिम ही उसके आँखों के स अभ अभ आ ज औ औ औ औ म लेते हैं कि आँख आँख बंद की औ औан मे स गए गए गए गए हैं हैं हैं हैं म म म म म म म म म म मанв स गए म म chpenट स गए गए गए मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे मे स chy है आँखों हैं स के भी तब तब तब आँखों तब आँखों तब आँखों आँखों आँखों के के के के के के हैं हैं हैं यह उतना ही बड़ा भ्रम है कि मैं 5000 वर्षों का य य मैं आक आक मैं मैं XNUMX व क्योंकि हूं य मैं मैं आक प प प खड़ हूं हूं हूं हूं क ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक आक गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह दिखाई देता है।
यह ठीक ऐसी बात हुई- जब प प्रेमी अपनी प्रेमिकात हुई क कोई प प प प प्रेमिकात क क क क क नि नि नि नि नि नि उसके चित को को है वह वह चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित चित हुए हुए हुए हुए हुए हुए में में लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए लिए हुए हुए लिए उसके हुए लिए हुए लिए, करके देखता है प प्रेमिका का बिम्ब उसकी आंखों स सामने साक| । बिम्ब प्रेमी नहीं सकत सकता- वह एक दृश दृश्य है हम खुली आंखों से देख हे थे य बंद आंखों से देख हे।। हे य बंद आंखों देख हे थे।।।।। हे हे हे हे
और यही स्थिति निराका возможности तो चारों ओर लाली सी दिखाई देती है- वह को ध ध्यान समझ बैठत है— जबकि सही अ अ में वह पहले व व ध ध ध न यह ध ध वह पहले व व व।।।। है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है न न ध्यान न क का किया जा सकता है, न निर्गुण का किया जा सकता है। इन दोनों प प हट क क अवस अवस्थिति है, उस अवस्थिति में की जो क क्रिया है- ध ध्यान है। ध्यान तो बहुत की स स्थिति है, इसीलिये आवश आवश्यक नहीं आपके स स कोई बिम बिम इसीलिये आवश आवश आवश नहीं कि आपके आपके स कोई बिम बिम य यह कोई आवश आवश कि आप हिन हिन हिन मुस मुस य य सिख ईस ईस। हिन हिन हों मुस मुस य सिख ईस ईस हों आप हिन हिन मुस मुस य य सिख ईस हों। आप हिन मुस मुस सिख ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस ईस हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन हिन यह आवश्यक नहीं कि आप राम, कृष्ण को पूजते हों। बस आप मनुष्य हैं, अतः अन अन्दर उतर कर सुदूर गहराइयों में सकते हैं हैं— और प्रत्येक मनुष पहुँच सकत यदि वह बुद बुद बुद बुद बुद भेद भेद भेद भेद भेद भेद सगुण सगुण सगुण बुद बुद बुद बुद बुद बुद बुद सगुण सगुण सगुण सगुण बुद नि नि निхов सगुण सगुण सगुणхов सगुण सगुण सगुण सगुण है है है chvro साकार और निराшем में भेद करती है, ये साकार возможности छल-झूठ, ढोंग और पाखण्ड भय है। इसीलिये ध्यान न साका возможности
Вопрос: ध्यान का वास्तविक तात्पर्य क्या है और उसे किस प्रकार किया जा सकता है? ध्यान का वास्तविक तात्पर्य जब हम अपनी बुद्धि, अपने चित्त, संदेह, भ्रम, राग, द्वेष इन सबसे परे हट कर अन्दर की क्रिया का प्रारम्भ करते हैं- शांत चित्त से, जहां लहरें न उठती हों, जहां किसी प्रकार से तरंगे विवृत्त न होती हों जहां निरन्तर अन्दर उतरने की क्रिया होती रहती है, तब उस स्थिति में की क क्रिया को 'ध्यान' कहते हैं।।।।।।।। हैं।
जहां ऊपरी भाव समाप्त हो जाता है, वहां एक नया आलोक पैदा होता है।। जब एक छोटे कम कम से आगे बढ़ते हैं, आगे उससे बड़ तेज ोशनी युक युक बढ़ते हैं तो आगे उससे बड़ तेज तेज ोशनी युक युक एक दूस दूस मिलत है जब उससे आगे बढ़ते हैं तो तो तीस तीस तीस तीस तीस तीस तीस हुए हुए हुए हुए हुए हुए प प पтение हुए हुए प पтение हुए हुए प पтение हुए हुए प पтение हुए हुए हुए पтение हुए हुए हुए हुए पтение हुए हुए हुए हुए हुए पтение में हैं तो तो हुए हुए हुए हुए हुए प प से से से से से से से से गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह गह o तेज तेज गह हम उससे मेंvro स्तम्भ की स्थिति तक— निा बिन बिन हते हैं औ जब हम अन अन्तिम बिन बिन प पहुंच ज ज हैं जह ब अन अन अन अन ब सब कुछ शून शून शून शून शून भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी सम सम सम सम सम सम सम chpenत सम बोध chpenत सम बोध chpenते अस भी भी chpen हैं अस chy हते है बोध भी बोध अस है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है अपने अपने अपने अपने अपने अपने अपने अपने है है अपने है है ad की औ с помощью
मनुष्य की सात अवस्थायें होती हैं, जिसको कहा गया है- 1- वैखायें होती हैं, जिसको कहा गया है- 2- वैखरी, 3- मध्यमा, 4- पश्यन्यन, 5- अतल, 6- प्राण, 7- नि्बीज, XNUMX-इन स स सшить प पшить प पшить प पшить प पшить प पшить प पшить प प्थितियों्रВу प्थितियों o पर पहुंचते हैं, उसे 'ध्यान' कहते हैं। Закрыть वैखरी का तात्पर्प है- मैं जो कुछ क क Как मुझे ज ज ज ज ज ज्ञात है) मैं कुछ क क дети हूं वह क क Как ह हूं य गलत क क ह ह ठीक क ह ब क य गलत क क ह ध धхов ध ध भी कोई चीज है है मुझे मुझे ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ध ध ध ध ध ध ध ध ध ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब.
यह अवस्था पशुओं नहीं होती है, यह मनुष्यों में है।।।।।।।।।। ऐसे कई पुरूष होते हैं जिनकी वैखरी अवस्था भी न।।ऋ जो पशुता और मनुष्यता में भेद समझते ही नहीं, निरन्ता पशुत की ओ अग समझते ही नहीं नहीं नहीं नि नि नि नि नि पशुतXNUMX ओ ओ अग अग होते हें हैं हैं मग जह जह जह सोचने य य है प प प प प प प प प प पin wस औ प पin wस हैve के अन्दर उतर क अपने अपने को भुल भुल देने की स स स होती है है उससे अपू अपू अपू अपू आनन आनन्ददायक तृप्ति पхов होती होती है है प प पenत लेत प प grी लेत वैख यकvro र वैख यकvro र वैख यकvro र वैख यकvro र वैखvro हट कर, अन्दा
उसने अहस अहसXNUMX किय है कि ब ब ब ब दुनिय ब ब ब सुख- दुख— इन सबसे अलग हटक हटक्वयं के अन्दर जो आप में एक अपू अपू अपू अपू आनन आनन्थिति स है मुझे तक पहुँचन अपू अपू अपू अपू अपू अपू।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। पहुँचन पहुँचन पहुँचन पहुँचन पहुँचन पहुँचन पहुँचन पहुँचन तक वह वह वह वह वह वह वह वह वह वह इस स्थिति का भान होना, अनुमान होना कि मुझे अवस अवस Вивра तक पहुँचना है मनुष मनुष्यता की श्रेष्ठतम स्थिति है।।।।।।।। है है है जिस समय विच विचार मन उठेंगे उठेंगे, तब वैख वैखरी अवस्था कह ज में उठेंगे तब उसे वैख अवस अवस्था कह जाता है, क क उस वह वह अपनी की अवस अवस्था से प हट क क अनпере अवस अवस में अपन अपन अपन अपन अपन की की की की की की की की की्थ्था में अपन की्दा में अपन की्था में अपन chytry अवस में chy अन की chy अन की ch
मैंने तुम्हे बताया कि, शरीर से निरन्तर विद्युत तरंगें प्रवाहित होती रहती हैं, उनसे जब दूसरे शरीर की तरंगें स्पर्श होती है, तब उस दूसरे शरीर की तंरगों के स्पर्श से हम मालूम कर लेते हैं कि सामने वाला क्रोध कर रहा है या घृणा कर रहा है— प्रेम कर रहा है या हमे चाहता है— यह कुछ ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ब ज ज ज ज्ञ त है इसलिए म म म म बीम बीमXNUMX ज ज ज त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त त बीम बीम बीम बीम बीम बीमXNUMX है आद म म म म बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम बीम o
ये बाह выполнительный इससे प हट क क जो पहली ब ब यह सोचत है है इस इस ब क श पहली ब ब सोचत है है इस इस ब ब ब श श श के अन औ औ औ क क कvenयें हैं कुछ औ त हैं जो आनvशчей त हैं आन आन्त выполнительный से आनन्द की उपलब्धि संभव हैं— क्योंकि बाह्य रूप से उसने सब कुछ क क क देख लिय उसने मक मक बन बन उसने घ क क क देख लिय उसने उसने मक बन बन बन घ घ बस च च च औ औ च औ औ औ औ औ औ औ औ औvinय औ औ chvether प्रेमी बदले— तिजोरियां भरीं, बैंक बैलेन्स बनाया— उसके ब उसे उसे जो कुछ आनन्द अनुभव होनाहिए- वह हुआ औ जब अनुभव नहीं नहीं नहीं कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ स स स स स स स स स स स स स स यह यह यह यह यह यह यह में यह में में में में में में में में में में में में में में में में में में चिन में में में चिन चिन में वह, , जिसके माध्यम से ही आनन्द की अनुभूति हो सकती है।'
ये बाह्य सुख अपने आप मे क्षण मात्र हैं। जो आज है, वह कल नहीं हैं। आज धन है, कल धन बचा नहीं रह सकता। धन के माध्यम से नींद नहीं प्राप्त हो सकती। धन के माध्यम से निश्चिंतता पшить कोई अलग है जिसके, जिसके माध्यम से आनन्द की हो सकती है— औXNUMX जब वे विच विच विच उसके म में लह लह लगते हैं जब आती है, दृढत जब आने लगती है कि प प प प प प प ही ही ही ही ही ही ही पत पत पत पत पत पत पत पत ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे मुझे कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि है है कि है है है आनन है कि आनन्द क्या चीज है? आनन्द कैसे प्राप्त होना है? इसे कहां से प्राप्त किया जा सकता है? मग एक एक ध ध ध ध गई है, मजबूती गई गई, यह चिन चिन चिन बन बन कि कि ज ज ज ज कोई है जिसके म म म से आनन को को प प प चीज क म म हूँ इस को मध को प अवस अवस अवस अवस है है है है है है है है है है है है है है है मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध मध को को को को को को को को को को को मजबूती को को को को को को को को को को को को को से मैं को को से मजबूती मध मजबूती मजबूती
तीसरी अवस्था 'पश्यन्ती अवस्था' है। पश्यन्ती देखते रहने की क्रिया को कहते हैं। हम देख रहें हैं, मगर हम दूस दूसरी आंख से देख हें हैं, एक दूस दूस त त त देख XNUMX, भ भ बदल गय है।।।।। है गय गय गय गय गय है है है है है है है है है है हमारी धारणा और चिन्तन बदल गया है। ठीक ऐसा ही देखने का भाव हुआ, जैसे- लेक लेक हम सिनेम हॉल हॉल बैठें हैं।।।।।
सामने पा प किसी किसी का पुत्र मर गया है— मन में भ भाव नहीं उठ रहा है, दुःख हो हो ह है।।।।।। दुःख दुःख दुःख दुःख ह ह ह ह ह ह कोई लड़की बहुत सुन्दर नाच रही है। मन में बहुत बड़ विका विकार या विचा возможности बस केवल ह ा है— देखते-देखते तीन घंटे बीत जाते हैं, और कु कुर्त्ता झटक कर बाहर आ जाता है।।।।।।।। मगर तीन घंटो में वह तटस्थ होकर देख रहा है। उसमें इनवॉल्व नहीं हो रहा है। वह उस पर्दे पर जो कुछ दृश्य है, उससे अपनी तादात्यमता नहीं जोड़ रहा है।।।।।।।।। उस प प प लडका मा गय है तब भी वह कु कु कु प बैठक बैठक छ छ पीट क वह कु कु कु प बैठक छ छ पीट क क ोने नहीं लग ह है केवल द द द द द द द द द द द द द द द द द द तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस तटस ch तटस जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन लग तविक जीवन लग लग chy तब तटस. है, रूपये चले गये तब भी तटस्थ रूप से देखता रहत। है घर में लड़ाई-झगड़ा हो गया, तब भी वह तटस्थ भाव मॹ हरर उसको कोई गाली देता है, तब भी वह तटस्थ रहता है। उसकी कोई प्रशंसा करता है, तब भी वह तटस्थ XNUMX है औ यह तटस तटस हने की क्थ उसके में उत यह तटस तटस Как क क क Вивра उसके में उत उत o तब केवल द्रष्टा भाव XNUMX है, वह देखत देखतXNUMX हत- सभी ूपों में वह अपने-आप में स्थिर रहता है।।।।।। न हर्ष होता है, न विषाद होता है— मन किसी प प Вивра की कोई चिन चिन्ता होती ही नहीं।।।।।।।।।।।। वह केवल एक जगह खड़ा है और देखता रहता है। अपने-आपको लिप्त नहीं करता, अपने-आपको उसमें जोड़ता नहीं।।।।।।।।।। किनारे खड़ा होकर बराबर देखता रहता है।
समाज में चल रहा है, घर में रह रहा है। उसकी पत्नी भी है, पुत्र भी है, बन्धु-बांधव भी हैं, सामाजिक कार्य है, व्यापार भी करता है, नौकरी करता है, भगवान का भजन करता है, हरिद्वार में स्नान करता है, मगर ये सब एक द्रष्टा भाव से करता है, उसमें लिप्त नहीं हो XNUMX है औ जब ऐसाव स्पष्ट हो जाता है है उसकी अवस अवस्था को पश्यन्ती अवस्था गय गय है अवस अवस्था को पश्यन्ती अवस्था गय गय है अवस अवसvet अपने-आप अलग हट क क की जो क क Вивра है अत अत अत क क महत महत महत की जो कшить है, वह अत्यन्त महत्वपूर्ण अवस्था है, वह ध ध ध की ओ क क क क क क क क क क क क में में में में में में में महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत महत ध ण महत महत कदम कदम महत कदम कदम महत की कदम कदम की अत कदम बढ़ने विषाद पैदा होता है। वह एक उन्मनी अवस्था में आने की क्रिया प्रम्भ कर लेता है, उसके देखने का भाव बदल जाता है।।।। किसी सшить स देखक देखक मन में विषय वXNUMX पैदा नहीं होती।।।।।।। किसी रोगी को देखकर उसके मन में घृणा पैदा नहीथथ हैदा नहीथथहथथ
चौथी अवस्था 'अतल अवस्था' है। अतल-जिसका कोई ओXNUMX उसका परिवेश, उसका वातावरण, उसका जीवन पूरे ब्रह्माण्ड में फैल जात| वह मन्दिा
उसके मन में द्वैत का भाव धीरे-धीरे समाप्त होने की क्रिया प्रारम्भ हो जाती है, अत्यन्त गहराई में जाने की क्रिया प्रारम्भ हो जाती है, जिसका कोई ओर-छोर नहीं है, जहाँ न हिन्दू है, न ईसाई है— जहां किसी प्रकार का राग-द्वेष नहीं है। यदि कोई गालिंया देता है, उसके प पर थूक देता है तो, उसके चेहXNUMX हर्ष उल्लास के वातावरण में भी चेह चेह प पर कोई भ भाव पैदा नहीं होता।
ऐसी जब स्थिति आती है, उस स्थिति को अतल स्थिति हतई कहति कहति कहत यह ध्यान की ओर बढ़ने की अत्यधिक महत्वपूरऍण स्थि महत्वपूरऍण स्थि ऐसा वлать जीवन के स सXNUMX वह व्यापार भी करता है, नौकरी भी करता है, पत्नी के साथ भी रहता है— वह पति के साथ भी रहती है, मगर उसमें किसी प्रकार की हानि या लाभ की अवस्था नहीं होती— अपने-आप को वह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से एकाकार कर लेता है। उसे पड़ोसी मृत मृत्यु पा होत होत है तो तो, वियतनाम में किसी व्यक्ति की मृत्यु पर दुःख होत होत है ही अवस अवस्था ब बराब दुःख होत है है। ही अवस अवस अवस ब ब ब दुःख होत है है।। अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस ब ब दुःख होत होत है है। यदि बंगाल मे भूकम्प आता है औXNUMX
उसके सामने देश की भावना मिट जाती है। उसके में यह भाव पैदा नहीं होत होत मैं भ भ भ प प पXNUMX पैद पैद होत मैं भ भ भ भ भ कXNUMX प प हूँ मन में यह यह भ भ कण कण एक एक एक एक एक हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं हूं. है- उसको उतन ही दुःख व्याप्त होता है जितना उसके घ में क्य प प व्याप्त होता है क क वह आप को पू पू संस में देत देत क क वह अपने अपने पू पू संस संस में देत देत क क वह अपने अपने वह एक स स्थान, एक देश, एक काल में बंध हुआ नहीं होत वह व व व व क ज बंध बंध नहीं होत होत वह व व व व व व व व व व व व व ज ज ज ज ज ज ज ज ज अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस कह कह कह कह कह कह कह कह कह कह कह कह कह गय है है है है है है है है है है है है है है आती आती आती आती आती आती आती आती आती आती आती आती आती आती स स स स स स स स स स स स स आती स स दृष आती आती
पाचंवी अवस्था 'प्राण अवस्था' का तात्पर्य यह कि- अब वह की उस ऊ ऊXNUMX ऊ प की ओ ओ वह जीवन उस ऊ ऊ Как वह भी स स्थान पर बैठा है, उसके में में प प्रकाen ही नहीं, कड़वा खाने पा, उसे किसी प्रकार क बोध नहीं होत मीठा ख ख प प उसे किसी प प प प प प की निпере नहीं नहीं नहीं नहीं नि नि नि नि नि Как नि नि नि wons नि नि नि wrot माध्यम से जीवित रहता है, शरीर के माध्यम से जीवित नहीं XNUMX।।
यही वह अवस्था है, जहां शरीर समाप्त हो जाता है, और पшить यही वह अवस्था है, जहां अन्नमय कोष समाप्त हो ज जXNUMX अन्नमय कोष प परे हटकर प्राणमय कोष में की जो क कшить प प वह इसी में पहुँचने की जो क्रिया है वह इसी तल से प प प Вивра होती है जो एक एक संत संत वह वह वह वह कोष कोष कोष कोष कोष कोष. , उपनिषद् और कुरान और बाइबिल इन सभी को समान रूप से देखता है- उसे रामायण में वही दिखाई देता है— क्योंकि प्राण स्थिति के माध्यम से तो सर्वत्र प्राण एक साथ हैं— और ऐसी स्थिति में वह किसी घटना का साक्षीभूत बन जाता है, क्योंकि प्राण तो अन्दर से हुई हुई त त त है पू पू बшить ब ब ब त हुई है, पू आंख बंद क क क ब ब ब ब ब चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच हत हत हत चुपच हत हत हत हत हत हत हत हत हत हत हत हत हत चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच चुपच है है है भी है है है भी भी भी भी भी भी भी भी घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घट घटन घटन घट घट घट घटन घटन घट है घट जो घटन घटन घट है घट घट घट है घट जो जो घट है घटन आंख आंख आंख किसी भी स्त्री या पुरूष को देखते ही उसका पूरा पिछला जीवन साकार हो जाता है, मात्र पिछला जीवन ही नहीं कई-कई जीवन साकार और स्पष्ट हो जाते हैं- इस क्षण अमरीका में क्या हो रहा है, उसके सामने साकार है, क्योंकि प्राण सर्वत्र व्यापक है।
प्राण को नहीं होत होता, प्राण तो त त त है जो समय के एक सेकण सेकण के हज हज हिस में पू समय के एक सेकण सेकण के हज हज हिस में पू पृथ पृथ के के के चक चक चक के हज के के के के के के केven वें के केven वें के केven वें के केven हिस के केven हिस के्वी के्वी के chven है chven है चक्वी चक चक chytry त चक chypen उसकी आंखों के सामने हो जाती है, ठीक प प्रकारक जिस पшить वह कालातीत हो जाती है वह वह काल प प प हो जात है— जो प प प ईश ईश्व ने प प ड क क जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन जीवन इस इस इस इस इस इस इस власти जीवन इस хозяй जाता है तो, उसके सामने से प50 व्यक्ति खड़ा है, वह सी अवस अवस्था में है किस किस अवस्था में थ सी इससे मे मे मे मे50 में क्या सम्बन्ध होग होग50
क्योंकि काल को फिर वह टुकड़ों में नहीं देखता। पू выполнительный इसीलिये प्राणगत अवस्था में पहुँचा हुआ व्यक्ति एक उच्चकोटि का प पहुँचा हुआ व्यक्ति एक gtrचकोटि का परमहंस अवस्था प्राप्त व्यक कहल कहल जीवन जीवन जीवन कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहलхов वह कहलхов वह कहल कहलхов व कहलхов व कहलхов व कहलхов व कहल कहलvenहै वह कहलvenत वह कहल तपसvenत थिति कहल तपस तपस तपसven तपस कहल तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस तपस कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहल कहलven व कहल, प उच जीवन जीवन, वे प्राण जो समस्त ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। Закрыть वे प्राण जो ब्रह्म का साक्षात् स्वरूप हैं। प्राणगत अवस्था में पहुँचने पर ईश्वर उसके सामने उपस्थित नहीं रहता क्योंकि, जहां ईश्वर का बोध होगा- वहां राम, कृष्ण, नानक, ईसा का बोध होगा— इससे सर्वथा अलग हटकर वहां पर उसके सामने एक ब्रह्म की अवस्था प्रारम्भ हो जाती है- एकमात्र ब्रह्म होता है, जो सर्वत्र व्याप्त है।
प्राणगत अवस्था जीवन की एक उच्चतम अवस्था है, एक श्रेष्ठतम अवस्था है। जहां पर भूख, प्यास, नींद सुख-दुःख विलाप कुछ महत्व नहीं XNUMX।। जहां देश, काल, पात्र महत्व नहीं रखते। वह समस्त संसार को बैठा-बैठा निर्विकार भाव से देखता XNUMX है।।।।। वह समझ लेत| उसका प्राण समय हज हज हजXNUMX हिस हिस अम अम अम अम वियतन वियतनाम अफ्रीका के जंगलों में पहुँच ज ज है है उन जंगलों आदिव आदिव हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे हे है है है है Hetry, है अफ है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है अफ है है लेत है अफ है है h देख लेत in जाने पर ही संभव होती है। अगला तल 'निर्बीज अवस्था' है। निर्बीज का तात्पर्य है- प्राणगत अवस्था से भी पहुँचने की की क्रिया।। प्राणगत अवस्था में तो विश्व में या ब्रह्माण्ड में जो घटना घटित होती है, हम उसके साक्षीभूत मात्र होते है, हम केवल द्रष्टा होते हैं, केवल देखते रहते हैं- इस समय अफ्रीका में क्या हो रहा है, न्यूयार्क में क्या हो रहा है, वाशिंगटन में क्या हो रहा है— या मेरी पत्नी क्या क Как य— वह चुपच उसी्नी क्य क ही है है— वह चुपच उसी प्ा देख सकत है जिस प प प प प प प है है प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प सकत सकत सकत सकत सकत वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस वस
जब वह आगे बढ़क बढ़कर 'निर्बीज' अवस्था में पहुँचत है तो तो उसमें क्षमता आ ज है जिससे वह क क क क में हस हस भी क क क जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह जह सके सके सके सके सके सके सके सके सके सके सके सके सके सके है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है है. अपने मन त तरंगों के म| से हिंस हिंस की घटन घटन ोक सके सके उनको प प प प हट हट सके उस में वह स स पैद हो ज है जब वह हिंसक पु पु भी अहिंसक बन है। जब वह हिंसक पु को अहिंसक बन बन है। वह एक पु पु अहिंसक अहिंसक बन बन सकत है। वह सर्प-विष को अमृतमय बन बना देता है, वह हुए स स भी अपने आप में में श औ औ स स बन बन देत वह शे शे को भी भी भी भी को को को को को को को को को को को को युद युद युद युद युद युद युद युद युद प पven सकत युद युद प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प।।।। चित चित। चित चित बन। बन बन बन बन बन बन बन बन बन बन बन बन बन बन बन बन। बन बन। बन बन स वह है बन वह भी अमृतमय अमृतमय भी भी भी भी भी भी भी अमृतमय अमृतमय अमृतमय अमृतमय अमृतमय अमृतमय अमृतमय
क्योंकि उसमें क्षमता प्राप्त हो जाती है वह प्रकृति में हसшить मनुष्य के विचारों में हसшить क क उसके अन अन्द जो जह है जो जो विषैल विषैल है जो हिंस हिंस हिंस उसको दू जह क है जो औ औ औ औ औF सके औ औ औ औFोध औ औFोध औ औ क कf से सके कvenले क कvenले क कvenले क कven दू सके कvenले क कvenले क क कvenले क सके कven व के क क क कvenले से सके कvenले से सके व क व व व व व व क क व क क क क क क क क क व क क व वven दू जो कfrके अन व व जो हस व । इतनी हिंसायें होती उन हिंस हिंसाओं को दूा लोभ के होक होक जितनी हत्याएं हो रहीं हैं- उस को को, उस पाशविक पшить को मनुष मनुष के अन अन अन अन से हट की क्षमता, ऐसे व के आ ज है है की क क क ऐसे व में आ आ है है।।। क।। आ आ आ आ आ आ ज ज है है है है है है आ आ आ आ आ आ ज ज ज ज ज ज ज आ आ o उसे यह क्षमता प्राप्त हो जाती है कि अनшить की दुष्प्रवृतियों को परे धकेल क उनको सही चिन्तन दे सके।।।।। सके सके हिंसक को अहिंसक बना कर उससे रचनात्मक काम ले सक।
एक हिंसक व्यक्ति चाकू से किसी को घायल कर सकता है और— यदि निर्बीज सम्पन्न व्यक्तित्व उसकी उस भावना को हटाकर उसके हाथ में पेंसिल और कागज दे देता है तो, वो एक अच्छा चित्र भी बना सकता है— उसमें हिंसात्मक प्रवृत्ति थी, पर हिंसात्मक प्रवृत्ति ही पेंसिल के माध्यम से सुन्दर चित्रकारी में परिवर्तित हो गयी— पूरा रूपान्तरण ही कर दिया— प्रवृत्ति तो रही पर प्रवृत्ति को रूपान्तरित कर दिया— यह उच्चतम अवस्था है, यह महत्वपूर्ण अवस्था है क्योंकि, ऐसा ही व्यक्ति गुरू बनने का सामर्थ्य रखता है, यहीं पर सद्गुरू बनने की प्रक्रिया प्रारम्भ होती है। अभी तक पू पूा लेकिन तल प प एक सद्गुरू बनता है, क्योंकि उसकी भ भ सद Как हती बनत क क Вивра भ भ भ क क क हती है प प प प प प प प प प स स स स स स स स स) धारणा दूं।''
इसके आगे की स्थिति 'मनस अवस्था' है। इस तल पा इस जगह पर पूर्ण समाधि, पूर्ण निश्चिन्तता प्र्ण समाधि, पूर्ण निश्चिन्तत्तता प्र्ण समाधि, पूर्ण निश्चिन्तत्तता प ударя सातवें तल जब वह स्पर्श का है तब पू पू ध्पान अवस्था होती-- जहां अपन कोई होश हत हत हते हत हत हत हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हते हत हत औ में में में में में में में में में नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं अपन नहीं नहीं पूर्णता प्राप्त होता है। उसके मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह नहीं होता, उसके अन्दर किसी प्रकार की प्रवृति नहीं।।।।।।।।।। वह तटस तटस्थ भाव से इस संस संस मे मे हत हुआ सभी क क से क संस संस संस मे हत हुआ सभी क क क क क क क क क क क क क क नियंत नियंत gtrहत ण होत होत होत में में में में में में में प grूप प प प पven में मेंven में मेंven में मेंven में हीven ही हीven ही हीven ही ही हीven ही हीven ही हीven ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही ही पू पू, सकता है। मन ूप रूपान्तरित कर, एक डाकू को वाल्मीकि बनाया जा सकता है— उसको ऊंचाई पर उठाय ज सकत सकत उस उस जगह उस गह गह में ज की को ध जगह जगह जगह जगह जगह जगह जगह जगह जगह जगह ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध ध जगह जगह जगह जगह जगह जगह जगह जगह जगह उस उस उस जब मनुष्य उस पहुँच ज ज ज ज फि फि भले उसकी आंखें बंद हों, तब भी ध्यानावस्था में होत है।।।।।।।।।।।।।।।।। फिर भले उसकी आंखें खुली हों, तब ध ध्यानावस्था में होता है।।।।।
Вопрос: इसे किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है? इसे प्राप्त करने के लिए जो रास्ता बताया गया है इस र जो रास्ता बताया गया है इस र र र प्ता बताया गय है इस इस र र र र प चलने क क्रिय| हो सकता है प्ाедая में पगडण पगडण पगडण अटपटी हो य हो हो सकत है है कि यह र अपने में अस अस अस अस हो क मनुष मनुष मनुष र ज ज आप अस अस अस हो क मनुष मनुष को यह ज ज ज नहीं नहीं है मैं कैसे दूस दूस दूस दूस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस अवस कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे कैसे कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि कि मैं मैं कि हो कि मैं यहां पर गुरू की आवश्यकता होती है— इन कठिन कठिन से बच बच लिए ही ही एक सहारा, एक म म म म म के ूप सद सदшить की आवश आवश एक है।।।।।।।।।।।।।।।।।। है है है।।।।।। है है है है है है।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। यह आवश्यक नहीं गु गुरू हो तभी ध्यानावस्था में गु ज हो हो ध ध्यान्थ्थВу में जा सकता है— प्रयत्न क выполнительный
र रास्ते में कांटे ज्यादा हो हैं हैं, उसमें झाड़, झंखाड़, ज्यादा हो हैं हैं, भटकने क कхов क सकती है है है है है है है है है वह गन गन गन गन ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज chvether इसीलिये प प Вишен करने के लिए आवश आवश्यक है कोई सह सह हो हो कोई सह सह आवश कोई म कोई सह सह हो हो कोई कोई सह सह हो कोई म म म म हो गु हो जो सही सही सही प प प प प प प प प प प प प प सही सही सही सही सही सही सही प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प प हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो सद सद हो सद सद हो हो सद कोई हो हो प फिर भले ही वह इस दुनिया में रहे या हिमालय में रहे फिर वह साधारण अवस्था में रहे या दिखाई दे। फिर वह ही गै वसरिक वस्त्र पहने हो हो यामान्य श्त वस पहने हो य य सXNUMX लम्बाई, मोटाई, ऊँचाई अपने आप में कोई महत्व नहीं रर महत्व XNUMX इस रास्ते से परिचित होने की क्रिया।
जो र रास्ते पर चल कर ध्यान की अवस्था तक गय गय है ऐस ध्यान अवस अवस्था तक गय गय है है ऐस ऐस सद सद्गुरू मिल ज ज है मनुष मनुष्य क क क क क क Предо ज क क क Предо ज क क क क कждено ऐसा गुरू मिल जाता है तो मनुष्य जाति काग्य होता है कि युग में किसी गु गु ने जन जन्म लिया। यह मनुष्यता का अपने-आप में सौभाग्य होता है उसके बीच में ऐसा कोई सद्गुरू है।।।।।।।।।।।।।।। उन व्यक्तियों को अपने-आप में सौभाग्य होता है वे ऐसे सद सद आप सौभ श श में औ औ उसके जीवन क अहोभ अहोभ की श में हैं औ औ यह जीवन क अहोभ अहोभ होत होत है है यदि सद सदXNUMX जीवन में श्रेष्ठतम सौभाग्य की स्थिति तभी होती है- जब ऐसा सद्गुरू उसे मिल ज उसे अपन अपन ले उसक उसका सदाथ उसे उसे मिल ज उसे अपन अपन अपन ले उसक ह ओ बढ़ बढ़ बढ़।। प प प प प= प प प प प क क= क प प प क= जिसके जीवन यह घटन घटन घटती है है वह आप में महत महत्वपूर्ण और अद्वितीय घटना होती है- महोत महोत्सव होत होत है यह मह मह अवस अवस अवस अवस होती महोत महोत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत होत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोत महोतven
यह जीवन एक उछ उछXNUMX जिसके जीवन भी यह बिन्दु घटता है, उसकी तुलना तो देवत भी नहीं क क सकते।।।। पूरी मनुष्य जाती उसकी ऋणी हो जाती है। यदि ऐसा ही व व्यक्ति मिले तो उसके बताये हुए रास्ते पर चल क इन स स स्थितियों को प्राप्त क क हुए अन अन अन स स स स स स स अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन अन गह गह गह गह गह गह गह chpenतवीं गह गह गह गह उत उत chpen गह उत क उत उत उत chpen को से क उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत उत क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क क उत क क उत प क प हुए पहुँचे चल र पहुँचे व व व प क क व व अन हुए क जब व्यक्ति ध्यानावस्था में पहुँच जात| समस्त सिद्धियां उसके सामने नृत्य करती रहती हैंे विजय वर-माला लिये टुकुर-टुकुर निहारती रहती है।
लाखों-करोड़ों अप्सराएं उसके सामने नृत्य करत।रती रती रती रती ररी ऋद्धि और सिद्धि हाथ बांधे उसके सामने खड़ी रहहै खड़ी रहहै उसके सामने तब च चरणों हज हजारों-हजारों ाज मुकुट बिख बिख हुए पड़े XNUMX हैं।।।।। तब ऊंचे-ऊंचे श्रीमंत उसके चरणों में नमस्कार करते हुए दिखाई देते हैं।।।।।।।।।। क्योंकि कई हजार वा बाद ऐसा व्यक्तित्तित अवतXNUMX कई हजारों वर्षों बाद ऐसी घटना घटती है। इसलिये व व Вивра का जिस पीढ़ी में अवत अवतरण होता है, वही भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ भ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ सौभ की है उसके ब ब की की की की। है है है की की की की की की की की की की की।।।।।।।।।।।।।।।।। की की की की की की की उसी पीढ़ी यह सौभ सौभाग्य प्राप्त होता है, जिस पीढ़ी समय एक सद सद्गुरू इस पृथ्वी तल पर अवत होत है।।।।।। पृथ प प प अवत अवत होत है। सद पृथ प प प अवत होत है।। प प प प प अवत अवत होत है।
बार- बार ईसा मसीह पैदा नहीं होते, हजारों वर्षों के बाद ईसा मसीह पैदा होते हैं।।।।।।।।। हैं कई हजार वर्ष बाद एक महावीर, बुद्ध, कृष्ण पैदाह।तैह।त हर वर्ष कृष्ण पैदा नहीं होते होते, राम पैदा नहीं होते, हXNUMX हिंसा, द्वेष, मार-पीट, छल-कपट और लड़ाइयां बढी हैं, शांति समाप्त हो है— जब व व व्यक्ति काप होत होत है तब तब की क सम सम सम क क क क क क क क क क क क क क क कpen सम सम कpen सम क chy औ क सम chy जब तब कin ऐसा व्यक्ति होता है वह पीढ़ी अपने आप में महत महतшить होती है है क क क उसके सम सम सम में महत महत महत उसके अहस में में में व क क उसके उसके सम सम हने में अवस अवस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस उपस власти अवस उपस влади में आते हैं। वे उसके पास क कшить क सकते हैं हैं, वे उसके स सान्निध्य में हने का सौभाग्य प्राप्त क सकते हैं।।।।।।।।।।।।। हने हने हने हने।।।।।।।।।।।।।।।।।। हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं हैं
ऐसा ही व्यक्तित्व मनुष्य की उंगली पकड़ क उस जगह पहुँच देता है जह जह देह पकड़ क अवस उस पहुँच समाप है जह जह की स अवस्थायें समाप्त होक ध धtra की अवस्था पшить प ध o जो ध्यान की अवस्था है, वह अपने-आप में पू पू पू पू की अवस्था है, एक से समुद में पू पू की की अवस्था है एक बूंद से समुद समुद बनने अवस अवस्था है, प्रम्भ से पू्णता अवस अवस्था है श शшить अवस अवस पू अवस अवस अवस्था है श प्ठतver से पू अवस्था है प प प अवस अवस chven अवस chven
परम् पूज्य सद्गुरूदेव
Г-н Кайлаш Шримали
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